प्रभाकर गोपालपुरिया

सबसे नीमन हमार गाँव हS

माई की अँचरा के छाँव हS,
सबसे नीमन हमार गाँव हS.
जहाँ गाइ, बछड़ू के दूध पियावे,
प्रेम से ओके चूमे-चाटे,
पुरनियन की सनेह के छाँव हS,
सबसे नीमन हमार गाँव ह.
जहाँ कोयल आपन गीत सुनावे,
कोयलिया के खूब रिझावे,
टिकोरवा से लटकल अमवा के डारी,
लइका खेलेंकुलि ओल्हा-पाती,
भउजी-ननद की तीत-मीठ के छाँव हS,
सबसे नीमन हमार गाँव हS.
जहाँ बहे ले खूब पुरवइया,
झेमड़ा से लटके लउकी, तिरोइया,
घरहीं में बनल अदउरी, अँचार हS,
सबसे नीमन हमार गाँव हS.
जहाँ पियर सरसों से लदाइल धरती,
गाँवभरी खेले चिक्का, गुल्ली-डंडा, कबड्डी,
जहाँ टूटइ मड़इयो में पेयार हS,
सबसे नीमन हमार गाँव हS.
जहाँ ईद, होली, दिवाली,
सबके आपन तिउहार हS,
केवाड़ी के पीछे, बाबू के पुचकार हS,
भउजी की छागल के झनकार हS,
जहाँ राम के रहीम से पेयार हS,
माई-बाबूजी-ईया-बाबा के दुलार हS,
केहू के फुफुअउरा त केहू के ननिहाल हS,
उहे हमार गाँव हS, उहे हमार गाँव हS, सबसे नीमन हमार गाँव हS.
सबसे नीमन हमार गाँव हS.


प्रभाकर पाण्डेय 'गोपालपुरिया',
आई.आई.टी. बांबे