शिशु क्रन्दन

डा॰कमल किशोर सिंह

हम करीलां कमाल अपना क्रन्दन से,
बान्ही सब परिवार, एही बन्धन से.

हम दिनवा के सोईँ, रोज रतिया के रोईं.
सभे दउरल आवेला दनादन से.

केहू दादी के बुलावे, केहू दवाई पिलावे,
नानी निन्दीया बुलावेली नन्दन बन से.

केहू बोतल पिलावे केहू पेट सहलावे,
केहू चन्दा के बुलावेला, उपर गगन से.

एगो अचूक दवाई खाली जाने हमार माई
देली अमृत पिलाई अपना स्तन से.

हम करीलां कमाल अपना क्रन्दन से,
बान्ही सब परिवार, एही बन्धन से.


रिवरहेड, न्यूयार्क