वैलेंटाइन

डा॰कमल किशोर सिंह

सभे इतराता देखि अपना इयार के,
फुला ना समाली देखि नया उपहार के,
हमरो गुमान बाटे अपना भतार पे,
उनका से प्यार कतना कहलो ना जाला,
कतनो बखान करी मने ना अघाला.
नाही चाही चोकोलेट कार्ड,फुल, गहना,
सिन्गार बा बेकार हमार उनका बिना रहना.
का करब गुलाब गेन्दा उहे हमार फुलवा.
सूद से ना काम चली, चाही हमरा मुलवा.
गतर्-गतर उनकर नाम गोदवाई लेब
टिकुली अस उनका के लिलार प लगाई लेब.
साटि दबि सगरो लिखि 'यु आर माईन'
आयी होली परब चाहे आयी वैलेन्टाईन,
नीयरा ना आवे देब कौनो सौत डाईन.


रिवरहेड, न्यूयार्क