Manoj "Bhawuk"
समलैंगिकता पर मनोज भावुक के गीत
मनोज "भावुक"
समलैंगिकता
नैतिकता से जादे कानूनी दांव-पेच के मसला बन के रह गइल बा. आज हाईकोर्ट के ऐतिहासिक फैसला के बाद समलैंगिक समाज के लोग के खुशी के ठिकाना नइखे. बाकिर भारत जइसन पारंपरिक देश में समलैंगिकता पर असमंजस के स्थिति बा. कोर्ट के कहनाम बा कि धारा 377 जनता के मौलिक अधिकार के हनन बा. एह से दिल्ली हाईकोर्ट भारतीय दंड़ संहिता के धारा 377 के अपराध के श्रेणी से हटा दिहले बा. न्यायालय के कहनाम बा कि अगर आपसी रजामंदी से कवनो वयस्क पुरुष चाहे महिला आपस में संबंध बनावत बाड़न त ऊ धारा 377 के श्रेणी में ना आई. कोर्ट के एह फैसला के बाद समलैंगिक लोग में खुशी के लहर दौड़ गइल बा.
एगो लइका अपना बाबूजी के समझावत बा -
समलैंगिकता पर मनोज भावुक के गीत
ई आज के डिमांड बा, रउरा ना बुझाई.
नर, नर संगे, मादा, मादा संगे जाई.
हाईकोर्ट देले बाटे अइसन एगो फैसला,
गे लोग के मन बढल, लेस्बियन के हौसला.
भईया संगे मूंछ वाली भउजी घरे आई,
ई आज के डिमांड बा, रउरा ना बुझाई.
खतम भइल धारा अब तीन सौ सतहत्तर
घूमऽतारे छूटा अब समलैंगिक सभत्तर.
रीना अब बनि जइहें लीना के लुगाई,
ई आज के डिमांड बा, रउरा ना बुझाई.
पछिमे से मिलल बाटे अइसन इंसपिरेशन,
अच्छे भइल, बढी ना अब ओतना पोपुलेशन.
बोअत रहीं बिया, बाकि फूल ना फुलाई,
ई आज के डिमांड बा, रउरा ना बुझाई.
(Posted on 3 July 2009)