कविता

बाढ़ अउर सुखाढ़

नूरैन अंसारी,

कुछ बाढ़ ले गइल, कुछ सुखाड़ ले गइल.
बाकी बचल तवन महंगाई झाड़ ले गइल.
कुछ उम्मीद रहे सरकार से जनता के भलाई के,
कोटा आईल लेकिन रसुखवाला उतार ले गइल.
अब त बा घर में ना राशन, ना पाकिट में पइसा,
ई सीज़न बढ़िया बढ़िया आदमी उजाड़ ले गइल.
आ जाला अंखिया में आंसू देख के खेतवा के दशा,
ख़ुशी छीन के सावन, भादो, अषाढ़ ले गइल.
कब से पढ़ लिख के घूमत रहलें बाबू बेरोजगार,
पेट के आग के खातिर कइल चोरी तिहाड़ ले गइल.
कइसे पार लागी हे भगवान अब जिनगी के गाड़ी,
आइल अइसन बिपत कि मुंह के आहार ले गइल.

नूरैन अंसारी
ग्राम - नवका सेमरा, पोस्ट - सेमरा बाज़ार,
जिला - गोपालगंज (बिहार)

Noorain Ansari
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