साड़ी महिमा अपरम्पार
रश्मि सिन्हा
नारी बीच साड़ी बा,
की साड़ी बीच नारी बा?
नारी बा त साड़ी बा,
की साड़ी बा त नारी बा?
(ठीके कहल बा)
नारी आ साड़ी एक दूसरा के पर्याय होला
नारी के सुन्दरता साड़ी में बढ़ जाला
ओकरा खातिर नर लोग के
पाकिट हल्का हो जाला.
जेतना परब बनावल बा
ऊ सब नारी के खातिर बा.
अब तीज करी त
नारी पहिरी नया साड़ी.
जिउतिया करी त
नारी के फेरु नया साड़ी.
जब छठ करी त
नारी खातिर फेरु किनाई साड़ी.
कहल जाओ त नारी
ओह्कर बहुत आभारी
जे एतना परब बना गइल
आउर नया साड़ी के जुगाड़ बता गइल.
साड़ी के विषय में नारी के सामान्यज्ञान
बहुत सही रहे ला
उनकरा खूब मालूम रहेला
की मद्रास में कांजीवरम
बनारस में बनारसी
राजस्थान में बांधनी
त कश्मीर में चिनोन भेंटाला.
बाबु, भईया
पईसा मत देखीह लोग.
मान ल हमार बात,
अगर ना किनबऽ लोगिन साड़ी
त होई अँसुवन के बरसात
(जे ठीक ना कहाई)
काहे कि
जवन घरे हँसे जनानी
तवने घरे बसे भवानी.
त बाबू लोग
जे अगर देखे के बा
सुखी घर संसार
त प्रेम से बोलऽ
साड़ी महिमा अपरम्पार!
रश्मि सिन्हा एगो सैनिक अधिकारी के पत्नी हईं आ बरिसन से भोजपुरी आ नेट से जुड़ल बानी. रश्मि सिन्हा के ब्लॉग पर उहाँ के लिखल बहुते रचना भेंटाई.