लघुकथा संग्रह थाती
भगवती प्रसाद द्विवेदी
धरम करम
भिनुसहरा होत पंडीजी जइसहीं कनखियवनीं कि भगत लोग ओकरा के अन्हाधुन्ह पीटल शुरु कऽ दिहल आ तब ले ओकर ठोकाई होते रहि गइल जब ले ऊ बेहोश ना हो गइल. भला होखे त काहें ना, भला चमार होके मठिया में ढूके के गलती जे कइले रहे!
साँझी खा मठिया में भगत लोग के भीड़ देखते बनत रहे. पंडी जी पाठ शुरु कइनीं, - ' जात पाँत पूछे ना कोई, हरि के भजे से हरि के होई'...
भगवती प्रसाद द्विवेदी, टेलीफोन भवन, पो.बाक्स ११५, पटना ८००००१