इंटरनेट अउरी भोजपुरी

अभय कृष्ण त्रिपाठी

'इंटरनेट आ भोजपुरी, राम राम इ का कहत बानी रउआ', 'ई इंटरनेट का होला बबुआ? हमरो के बतइबऽ?'

ज्यादा ना सिर्फ ६ या ७ साल पहिले के बात बा जब गाँव देहात में इंटरनेट आ भोजपुरी के सम्बन्ध में अइसने न जाने केतना बात सुने के मिल जात रहे. बात यदि गाँवे देहात के कइल जाव त आजुवो इंटरनेट अउरी भोजपुरी के लेके अइसने न जाने केतना डाँयलाग सुने के मिल जाई. बाकि जेकरा खातिर इंटरनेट बा ओकरा खातिर अब इंटरनेट पर भोजपुरी अनजान नइखे रह गइल. ई अलग बात बा कि आजुवो भोजपुरी साहित्य, भाषा (शुद्ध व्याकरण सहित) अउरी संस्कृति के समृद्ध करे खातिर कुछ नाहीं हो रहल बा. जे बा ऊ या त आपन चौधराहट साबित करे में न घर के रहत बा ना घाट के, आ जे सचमुच कुछ करे क कोशिश कर रहल बा ऊ साधन चाहे सहयोग के अभाव में कुछ कर नइखे पावत. चाहे कुआँ के मेंघुचा बन के रह गईल बा.

एकरा बादो हम ओह सब लोग के प्रयास के सराह रहल बानि आ सलाम कर रहल बानि जे आपन बहुमूल्य समय देके कुछ न कुछ करिये रहल बा. वजह चाहे जो हो केहु के प्रयास के कम कहल अपना दिल से बेईमानी करल होखी.

फिल्म इंडस्ट्रीज में जब रहीं तब भोजपुरी खातिर हमरा से कुछ ना हो पावल काहे से कि ओ समय उहाँ पर भोजपुरी सिनेमा के कवनो स्कोप ना रहे. अउरी ना ही केहू ओकरा प्रति उत्साह देखावे. कुछ कारणवश हमरा के २००३ में उहाँ से वापस लौट आवे के पड़ गइल. ममहर आरा जिला, घर छपरा (बाद मे सिवान), अउरी गंगा ए पार अउर ओ पार के दुनो भोजपुरियन के संगम बनारस में पूरा जीवन परवरिश होखला क कारण भोजपुरी भाषा हमरा आत्मा में कुछ अलगे अंदाज में बसल बा. बाकिर, रचनाकार होखतो भोजपुरी खातिर कुछ ना कर पइलीं के सोच, दिल के तोड़ के रख देत रहुवे.

अइसने में हमरा इंटरनेट के याहू पर भोजपुरी ग्रुप क बारे में पता चलल. इंटरनेट भोजपुरी पर हमार शुरुआत एक याचक क रुप में भइल रहे. काहे से कि ओ समय के दौरान हमार माली हालत ठीक ना रहे. हमरा के केहू से मदद त ना मिलल पर कुछ लोग के साथ मिल गईल. जेकरा साथ मिल के हमहूँ भोजपुरी खातिर कुछ करे क सपना देखे लगलीं. कमलेश पांडे जी के कहला पर भोजपत्र खातिर रचना लिखे लगलीं, जहाँ हमार सम्पर्क मनोज भावुक जी से भइल. एक साहित्यकार, चाहे कवि के रचना यदि दूसरा कवि के नीक लागे त बूझ लीं कि ओ साहित्यकार के कलम में जरुर कुछ न कुछ गुण बा. कुछ कारणवश भोजपत्र के निर्माण जवन उद्देश्य के लेके भइल रहे ऊ पूरा होत ना देखाइल आ हमरा के याहू के भोजपुरी ग्रुप से अलगा होखे के पड़ल.

भोजपुरी ग्रुप से अलगा होके हम करब का सोचते रहीं कि अँजोरिया के ओ.पी. से सम्पर्क भइल जिनका साथे साथे हमार भोजपुरी के दुनिया इंटरनेट पर दौड़े लागल. वईसे अँजोरिया के अलावा अउरी भी कई साईट बाड़ी सन बाकिर अँजोरिया शुद्ध भोजपुरी के पहिलका साईट बा एकरा में कवनो विवाद ना होखे के चाहीं. एक अउर कारन से हम अँजोरिया के सर्वोपरि राखब अउर ऊ ई कि अँजोरिया के जे चला रहल बा ओकरा भीतर में साइट के लेके कवनो भी स्वारथपूर्ति के बात नईखे. अँजोरिया के अलावा यदि हम भोजपुरिया डाट काम के नाम ना ली त ई भोजपुरी के प्रति बेईमानी होखी. हम भोजपुरिया डाट काम पर विजिट ना करिले पर हमरा के ई अच्छा तरह से भान बा कि भोजपुरिया.काम विजिट का मामिला में भोजपुरी के नम्बर वन साइट बा. काहे कि हम उहाँ विजिट ना करीले से हमरा ई भान नइखे कि उनकर प्रयास हमरा नजर में केतना सराहनीय बा. तबो उनका के हम भोजपुरी खातिर एगो अलख जगवला खातिर सलाम कर रहल बानी. ई दुनो साईट के अलावा भी कई अउर साइट बाड़ी सन पर हम सिर्फ नाम लेबे खातिर ओह लोग के नाम ना लेब. अउर एकर कारण सिर्फ एतना बा कि हम जहाँ भी विजिट कईलीं उहाँ या त हमरा के पूर्ण भोजपुरिया माहौल ना मिलल या फिर ओह लोग जवन उद्देश्य के साथ आपन सफर शुरु कईले रहे ऊ उद्देश्य हमरा के ओह लोग के साईट पर ना नजर आइल.

भोजपुरी आन लाईन पत्रिका के दौर के बाद शुरु भईल भोजपुरी सोशल साइट के दौर. एह दौर के निर्विवाद विजेता के नाम बा शैलेश मिसिर. नेट पर भोजपुरी में बतियवला के दौर के शुरुआत कईला खातिर हम बिना कवनो शक के मिसिर जी के नाम ले सकीला. भोजपुरी एक्सप्रेस नेटवर्क के शुरुआत कर के शैलेश जी भोजपुरी अउर इंटरनेट के बीच एक अइसन अविरल धारा बहा देले बाड़े जेकरा भीतर नहाये वालन क संख्या दिन रात बढ़ल जा रहल बा. वैचारिक मतभेद के बादो उनका के एह बात के श्रेय दिहला में कवनो हिचक नइखे कि उनका देखावल रास्ता पर चलके अब कई लोग के नेट के माध्यम से भोजपुरी भाषा अउर संस्कृति के सेवा करे क रास्ता मिल गइल बा. बात ई नईखे कि के कम करी आ के बेसी, चाहे के बढ़िया करी आ के खराब? बात ई बा कि अब भोजपुरी के काँरवा इंटरनेट पर बढ़ला से केहु ना रोक सकेला जेकरा खातिर भोजपुरी समाज हमेशा पहिलका प्राणी के जरुर नमन करत रही फिर चाहे ऊ अँजोरिया होखे, चाहे बेन, चाहे भोजपुरिया होखे, चाहे अउर केहू के साईट.

लोग आवत रही आ जात भी रही, वाद विवाद भी होत रही पर अब भोजपुरी अउर इंटरनेट के दामन एक दूसरा से कब्बो ना छूटी हमार ईहे विश्वास बा.