भोजपुरिया माई के व्यथा

चारो तरफ घनघोर अन्हारे का बीच रोशनी क खोज में उठल हमार कदम अचानक केहु से टकरा गइल आ हम लड़खड़ा के गिर पड़लीं. अन्हियारा में टकराइल मनही के, गिरला के बाद आ उठला से पहिले, गरियावे के सोचते रहलीं कि हमरा कानि में जनाना के कराहे कऽ आवाज आइल. घुप अन्हियारा में आपन खुद के एहसास के अलावा जदि कुछुओ समझ में आवे त बस अतने कि हम गिरल बानी आ हमरा आस पास से जनाना के कराहे कऽ आवाज आ रहल बा. पूछला पर पता चलल कि उहो रोशनिये का इंतजार में बिया बाकि रोशनी खातिर जब जब ऊ बहरी दुनिया में पग बढ़वलस तब तब ओकरा के अपना अपना मकसद खातिर लूटही वाला लोग बेसी मिलल. कहे के तऽ लोग ओकरा के माई कहेला पर जब जब ओकरा के लोग उजाला में देखलस तब तब लोग ओकरा से खेले के कोशिश करे लागल आ आज ऊ खुद के खिलौना चाहे एगो तवायफ से बेसी नइखे बूझत. शायद एही कारण से ऊ वईजगे पड़ल बिया एह उम्मीद में कि कब्बो तऽ सूरुज के उजाला ओकरो तक पहुँची. मगर उजाला तऽ दूर, अंधेरा के कारण, ओकरा हर आये जाये वाला के ठोकर सहन करे पड़ऽता.

'तोहार नाँव का हऽ माई..?', पुछला पर वईसहीं मरल आवाज में सुनाई पड़ल 'संस्कृति'. हमरा कुछ ना बूझात रहे कि का कहीं आ कइसे ओकर मदद करीं. बाकिर ओकर दबल, मरल आवाज सुन के ओकरा खातिर कुछ करे के इच्छा बलवती होखे लागल. बाकि घनघोर अंधेरा में खुद के रास्ता तलाशीं कि ओकर मदद करीं? चाहे करीं भी तऽ कइसे? सोच के दिमाग पगला जात रहे. हम ओकरा के लाख समुझावे चहलीं कि हमार हाथ पकड़ के उजाला के खोज में चलऽ पर ऊ माने खातिर तैयारे ना होखे आ बार बार इहे रट लगाये 'बचवा हमरा उजाला तऽ तोहरा आँखिये में देखात बा. तू हमरा पास जेतना देर बईसबऽ, प्रेम से बतिअईबऽ, हमरा सामने उजाला बढ़ते जाई.'

हमके ओकरा बात में जरिको दम ना नजर आवत रहे काहे से कि हमरा के तऽ आपन हाथो देखल दूभर भईल रहे. बस एगो अहसास रहे कि हमरा काम के देरी हो रहल बा जेकरा खातिर उजाला के दरकार बा. हमरा पूछला पर कि हम ओकरा खातिर का कर सकीले, ओकर करुण क्रन्दन हमरा कानि में गूँजे लागल, 'केहु हमरा खातिर कुछ ना करी. सब अपना अपना में लागल बा. दूसर तऽ लुटते बा, अब अपनो लूटे में लागल बा. तोहार पैर पकड़त बानी, हमरा के हमरा हाल पर छोड़ दऽ. हमरा पूरा यकीन बा कि अंधियारा जेतने करिया रही उजियारो ओतने उजर रही.'

ई शब्दन मे ओकर व्यथा आ आत्मविश्वास दुनो साफे महसूस होत रहे. ओकर आत्मविश्वास से भरल शब्द हमरा भीतर नया ताजगी भर दिहलस आ हम फिर ओतने तेजी से उजाला के खोजे में जाये खातिर तैयार हो गईलीं. बाकि जाये से पहिले हम ओकरा से जाने चहलीं कि ऊ केकर माई बिया? जेकरा से जदि रास्ता में ओकर लईका लोग मिले तऽ हम ओह लोग के उनका माई के स्थिति के बारे में बता सकीं. बाकि ऊ कुछ ना बोललस आ हम अपना काम के उजाला के खोज में अन्दाजे से एक तरफ फिर से ओतने तेजी से बढ़ गईंली. जईसे हम कुछ दूर आगा गईंली हमरा कानि में ओकर दबल आवाज में सुनाई पड़ल, 'हम भोजपुरिया माई हईं'. आ फिर यही आवाज हमरा कानि में बार बार गुजें लागल.

आज हम उजाला में अपना काम में व्यस्त बानी पर बार बार हमरा कानि में भोजपुरिया माई के आवाज गुँजेला. जईसे ऊ कह रहल हो कि हमरा पास जेतना देर बईसबऽ, प्रेम से बतिअईबऽ, हमरा के तोहरा आँखि में उजाला बढ़त नजर आई. हम भोजपुरिया माई खातिर कुछ करे चाहत बानि बाकि जब भी कुछ करे के कोशिश करिले हमरा सामने हमरा काम के अंधेरा छा जाला. जेकरा के अंजोर करे खातिर हम एहर ओहर भटके लागिले आ हमरा कानि में भोजपुरिया माई के कहल बात घुमे लागेला...

'केहु हमरा खातिर कुछ ना करी, सब अपना अपना में लागल बा, दुसर तऽ लुटते बा अब अपनो लूटे लागल बा. हम माई बानी बाबू, हमरा के खिलौना चाहे तवायफ नईखे बने के. एहि से हम अँधेरा में अँजोरिया के आस में पड़ल बानी.' ओकर ढ़ेर सारा बात याद करत के अचानक जईसे हमरा हाथे खजाना लाग गईल आ हमरा के भोजपुरिया माई के सामने अँजोर करे के रास्ता नजर आवे लागल. पर का हमरा रास्ता से सब लोग सहमत होखी? ई सबसे बड़ सवाल बा फिर भी हम सब लोगन के सामने ऊ बात जरुर रख्खे चाहब जेकरा कारण से हमरा जवन रास्ता नजर आ रहल बा ऊ रास्ता रउआ लोगिन के भी नजर आ जाये. काहे से कि हमरा पूरा यकीन बा कि अपना कर्मभूमि में उजाला खोजे के फेरा में रउआ लोगिन भी ई भोजपुरिया माई से जरुर टकराईल होखब आ कर्मभूमि में उजाला भईला के बाद जरुर से रउआ लोगिन के कान में भोजपुरिया माई के व्यथा के कराह गूज रहल होखी. भोजपुरिया माई रउआ लोगिन से का कहले बिया हमरा नईखे मालूम लेकिन भरोसा बा कि कम से कम एक बात तऽ ऊ सबकरा से एक जइसन ही कहले होखी आ ऊ बा...

'बचवा हमरा के उजाला तऽ तोहरा आँखी में ही देखात बा, तू हमरा पास जेतना देर बईसबऽ, प्रेम से बतिअईबऽ हमरा सामने उजाला बढ़ते जाई'.

हम समझत बानी कि हम लोग के अलगा अलगा भटकला के बजाय एक साथे ओकरा पास जाके बईसे के चाहीं. बकिया काम खुद बऽ खुद हो जाई. का अइसन होखल संभव बा? जवाब हम लोग के ही खोजे के बा आ हमरा यकीन बा कि यदि ई संभव बा त भोजपुरिया माई के आत्मविश्वास से भरल बात साँच होखत देर ना लागी, जेकरा में ऊ हमरा से कहलस 'हमरा के पूरा यकीन बा कि अंधियारा जेतने करिया रहि उजाला भी ओतने ऊजर रही.'

अभय कृष्ण त्रिपाठी
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