मारीशस आप्रवासी दिवस पर खास

मारीशस के कहानी

मारीशस का कुली घाट पर आज से १७५ साल पहिले जब पहिला गिरमिटहा मजदूर २ नवम्बर १८३४ का दिने उतरल रहुवे तब के जानत रहे कि एक दिन मारिशस पर ओहि लोग के वंशजन के शासन होखी. आज ओहि दिन के यादगार में मारीशस में आप्रवासी दिवस मनावल जा रहल बा आ ओह दिन के स्थायी महत्ता स्थापित करे खातिर भोजपुरी विश्व सम्मेलन एह दिन के विश्व भोजपुरी दिवस का रुप में मनावे के एलान कइले बा.

coolieghat of Mauritius

मारीशस के कुली घाट केन्द्र में नजर आ रहल बा

१८३४ में जब पहिलका गिरमिटहा मजदूर कुली घाट पर उतरल रहे तब से अब तक कतना परिवर्तन हो गइल मारीशस में. ओह घाट के नामो बदल के आप्रवासी घाट कर दिहल गइल आ यूनेस्को ओह घाट के विश्व के धरोहर का रुप में मान्यता दे दिहले बा. मारीशस में गिरमिटहा मजदूर ले आवे के योजना तब के ब्रिटिश सरकार प्रयोग का तौर पर शूरु कइले रहे. बाकि एकरा पहिले तनी मारीशस के इतिहास के बात.

हिन्द महासागर में स्थित एह द्वीप के साल १५०० में पहिलका बेर जिक्र मिलेला जब एकरा के दिना अरोबी (Dina Arobi) का नाम से बतावल गइल रहे. साल १५११ में पहिलका युरोपियन पुर्तगाल के डोमिन्गो फर्नाण्डिज एह द्वीप पर उतरल रहे आ एकर नाम दिहले रहे साइम (Cime). तब एह द्वीप पर डोडो नाम के पक्षी बहुतायत से मिलत रहे. डोडो के खासियत रहे कि पक्षी होखला का बावजूद ऊ उड़ ना सकत रहे. ओकरा बाद आइल दोसरका पुर्तगाली डान पेड्रो मस्करेन्हास (Don Pedro Mascarenhas) एह द्वीप समूह के आपन नाम दे दिहलस मस्करेन्हास. बाकिर पुर्तगाली ढेर दिन ले ओहिजा रुकले ना काहे कि ओह जगहा में ओह लोग के कवनो रुचि ना बन पावल.

Present day Aapravasi Ghat of Mauritius

तब के कुलीघाट जवना रुप में बा आज आप्रवासी घाट का नाम से

तब साल १५९८ में आइल डच फौज एकरा ग्रैन्ड पोर्ट पर उतरल आ एह द्वीप के नाम दिहलस मारीशस जवन आजु ले चलत बा. मारिशस नाम डच राजकुमार मारीश वान नसाऊ के सम्मान में दिहल गइल रहे. ओकरा बाद साल १६३८ तक कवनो खास घटना ना घटल आ ओह साल पहिलका बेर ओहिजा डच कालोनी बसावे के काम शुरु भइल. डच लोगो ढेर दिन ले मारीशस में ना रह पावल आ आखिर में साल १७१० में छोड़ के चल गइल. बाकिर जात जात ऊ लोग मारीशस में ईख के खेती, पशूपालन आ हिरण पाले के काम चला दिहले रहे. ओहि सोना के मृग वाला मारीच देश शायद हिन्दुस्तान का लोककथा में रच बस गइल.

तब अइले फ्रेंच जे साल १७१५ में एह द्वीप पर कब्जा कर लिहलें. तब एकर नाम पड़ल आयजल डि फ्रान्स. साल १७३५ में एह द्वीप के फ्रेंच गवर्नर माहे द ला बर्दोनाइस पोर्ट लुइस पर नौसेना बेस बनवलन आ जहाज बनावे के काम शुरु भइल. ओह गवर्नर का शासन में पहिला बेर मारीशस विकास के रोशनी देखलस. तब से ले के साल १८१० तक ले एहिजा फ्रान्स के शासन बनल रहल जब ब्रिटिश फौज एह द्वीप पर कब्जा कर लिहलस. ब्रिटिश शासन में साल १८३५ में दास प्रथा के अन्त कर दिहल गइल आ खेतमालिकन के ओह दासन का बदले बीस लाख पाउण्ड स्टर्लिंग के मुआविजा दिहल गइल. बाकिर तब समस्या आइल कि ईख के खेती कइसे होखी?

ईख उत्पादन के बचावे खातिर ब्रिटिश शासन तब अपना कब्जा वाला भारत देश से एग्रीमेण्ट के तहत कुली मजदूर ले आवे के फैसला कइलस आ २ नवम्बर १८३५ का दिने पहिलका बेर भारत से आइल कुली मजदूर, जे बाद में गिरमिटहा का नाम से मशहूर हो गइलन, के कदम मारीशस का धरती पर पड़ल. भारत से आवे वाला एह लोगन में हिन्दू आ मुसलमान दुनु धर्म के लोग रहल आ आजु के सत्तर फीसदी मारीशसियन ओहि लोगन के वंशज हउवन.

गिरमिटहा मजदूर लोग के एग्रीमेंट के शर्त तब पता चले जब ऊ लोग मारीशस चहुँप जाव. ओह शर्त में कहल रहे कि ऊ पांच साल ले वापिस ना जा सकस, एह बीचे ऊ अपना मालिक के नौकरी ना छोड़ सकस, आ तनखाह बढ़ावे के मांग ना कर सकस. ऊ लोग काम करे से इन्कारो ना कर सकत रहे. जइसे तइसे जब पांच साल गुजार के वापिस लवटे चाहल लोग त कहल गइल कि आउरी पांच साल काम कइला का बादे वापिस के भाड़ा दिहल जाई. कुछ लोग आपन पेट काट के बचावल पइसा के इस्तेमाल कर के वापिस लवटल बाकिर बहुते लोग ओहिजे रह गइल. गनीमत अतने रहल कि दस साल काम कइला का बाद ओह लोग के एग्रीमेंट से मुक्त कर दिहल गइल आ ऊ लोग तब अपने खेती कइल शुरू कर दिहल आ फेर एगो लमहर इतिहास बा ओह लोग के संघर्ष के आ मारीशस के आजादी के. जवना के चर्चा फेर कबो.

मारीशस से हमनी के खास लगाव के वजह बा ओह लोग के अपना भाषा आ संस्कृति से प्रेम. आजुवो ओहिजा भारतीय आ भोजपुरी संस्कृति के जियतार बनवले रखले बा लोग आ एह खातिर हर भोजपुरिया के गर्व होखे के चाहीं. आजु आप्रवासी दिवस पर अँजोरिया ओह लोगन के जीवट के सलाम करत बधाई देत बा कि एगो कुली मजदूर का रुप में गइल लोग के वंशज आजु ओहिजा के शासन चलावत बाड़े. बहुत बहुत बधाई!


अँजोरिया प्रस्तुति