कइसे बनल भोले शंकर?

(निर्देशक पंकज शुक्ल क कलम से, सिर्फ अँजोरिया.कॉम पर) भोले शंकर - आखिरी कड़ी

आगे के सुधि लेहु...

Pankaj Shuklaहमरा से अकसरहां लोग ई पूछत बा कि हम भोजपुरी भाषी ना होखला का बावजूद पहिलका फिलिम भोजपुरिये में काहे बनवनी ? सांच पूछीं त एह सवाल के जवाब खुद हमरो अबले नइखे बुझाईल. जतना बजट में भोले शंकर बनल बा ओतना बजट में त खोसला का घोसंसला आ भेजा फ्राई जइसन फिलिम आसानी से बन जाइत. फेर भोले शंकर काहे ? शायद एह चलते कि जबहम फिलिम बनावेके फैसला लिहनी त ओह घरी हमरा सबसे सुलभ आ सस्ता सुपर स्टार मनोजे तिवारी लउकलन. पहिलके फिलिम अगर बिना कवनो सितारा के लिहले बना दिहलजाव त फिल्मी दुनिया में पहिचान बनावल मुश्किल हो जाला. इ अलगा बात बा कि भोले शंकर का मेकिंग का दौरान मनोज तिवारी के फिलिम एक एक करके लगातार नौ गो फिलिम फ्लॉप हो गइली सन आ अगर फिलिम भोले शंकर में मिथुन चक्रवर्ती ना रहतन त शायेद भोलहूं शंकर मनोज तिवारी का दूगो फिलिमन, ए भउजी के सिस्टर आ छुटका भईया जिन्दाबाद, लेखा रिलीज होखे के राहे तिकवत रहित. ई दुनू फिलिम भोले शंकर का पहिले से बनत रहली सन आ आजु ले सिनेमा हाल के मुँहना देख पवली सन त बस एही कारण कि मनोज तिवारी के टक्कर देबे खातिरअब खालि रविये किशन ना बलुक तीनचार गो आउरी तीसमार खाँ भोजपुरी सिनेमा में आ चुकल बाड़े. खैर, हम त इहे चाहेम कि मनोज तिवारी दिन दूनी आ रात चौगुनी तरक्की करस, शोहरत में सेहत में ना. बस अब समय आ गइल बा कि ऊ सोलो हीरो फिलिम करे के जिद्द छोड़ देस आ आपन फीस के व्यावहारिक धरातल पर ले आ के भोजपुरी सिनेमा के फेरसे वइसने सहारा देस जइसन फिलिम ससुरा बड़ा पइसा वाला से ऊ दिहले रहलन. भोले शंकर के चर्चा के एहिजे हम रोकत बानी आ अब आगा के बात...

भोले शंकर जब से बन के तईयार भइल बा आ टि सीरीज का मार्फत एकर प्रोमोज आ गाना टीवी चैनलन तक चहुँपल बा, हमरा कम से कम चार गो भोजपुरी फिलिमन के प्रोपोजल मिल चुकल बा. कम से कम दु गो निर्माता मिथुन चक्रवर्ती का साथे एगो आउरी भोजपुरी फिलिम बनावे के गुजारिश कइले बाड़न. दिल्ली के एगो निर्माता मनोज तिवारी आ निरहुआ के लेके कॉमेडी फिलिम बनावल चाहत बाड़न. बाकिर हम ना त केहू के हँये कहले बानी ना नाहिये. भोजपुरी सिनेमा चाहे त आपन कील कांटादुरुस्त कर के दोसरा क्षेत्रीय भाषावन के फिलिमन का लेखा सम्मानित सिनेमा का श्रेणी में आ सकेला. एह बात में दम बनल रही तबहिये मुंबई मंत्रा जइसन आउरी कंपनी एह भाषा में पइसा लगावे के हिम्मत जुटा पईहें सन. अभय सिन्हा जी के फिलिम हम बाहुबली के रशेज हम देखले बानी. रवि किशन एहमें मंटू गोप का किरदार में कमाल कइले बाड़े. फिलिम के फोटोग्राफिओ काबिले तारीफ बा आ संगीत में भोले शंकर का बाद धनंजय मिश्रा फेरु कमाल कइले बाड़े.

भोले शंकर आ हम बाहुबली दुनू के मेकिंग कवनो हिन्दी फिलिम से कम नइखे. निर्माण के लागतो कमोबेश बरोबरे बा. भोले शंकर के दाम अगर बाजार के दर पर लगावल जाव त दू करोड़ से कम ना बईठित, बाकिर अपना बेवहार का चलते हम अपना निर्माता के कम से कम तीस चालीस लाख रुपिया त बचाइये दिहले बानी. वइसे सांच पूछीं त भोजपुरी सिनेमा के देखनिहारन के अब निमन आ बाउर के फरक बुझाये लागल बा. ई अलगा बात बा कि बिहार के वितरकन के बही खाता अबहियों पुरनके ढर्रा पर चलत बा आ ओह लोग का झोरा से निकल के निर्माता के बगली तक पईसा पहुँचल दूरे के कौड़ी बनल बा. पूरा फिल्मी दुनिया बिहार के वितरकन का नाम पर जवन कहेले ऊ पूरा गलत ना होला ई अब कुछ कुछ हमरो लागे लागल बा. मुंबई में हिन्दी फिलिमन के चरचा होखत बेरा जब एकनी के लागत निकाले के बात आवेला त कवनो निर्माता बिहार से आमदनी के बात सोचबो ना करे. ई एह बात का बावजूद कि बिहार में करीब ६०० थियेटर बाड़ी सन आ एकनी में से कम से कम साढ़े चार सौ में अबहियों नियम से सिनेमा देखल जाला.

कहे के मतलब कि एगो ढंग के भोजपुरी फिलिम मरलो से मरल हालात में बिहार में छह महीना का भीतर कम से कम साठ से सत्तर लाख के कारोबार करेले. हँ शुरु के चार हफ्ता का बाद अइसनका कवनो फिलिम के बिहार के कवनो थियेटर में चले के जिकिर कवनो वितरक का बही खाता में ना होला. ई कमाई बस पर्चीये पर गिनाला आ वितरक का तिजोरी में सिमट के रह जाला. हम जब पिछला बेर बिहार गईल रहीं त देखुवीं कि निरहुआ रिक्शावाला अबहियों अंदरुनी इलाका में चलत बा. बाकिर शायदे निरहुआ रिक्शावाला के निर्माता के अब ओवरफ्लो का नाम पर बिहार से कुछ भेँटात होखी. समय आ गइल बा अब पेशेवर इमानदारी के आ बिहार के छवि मुंबई के निर्मातन का बीच संवारे के. वक्त बिहार के सिंगल स्क्रीन थियेटरन के दशा सुधारहूं के आ गइल बा. पसीना से तरबतर होखला का बावजूद फिलिम देखत लोगन के आरा में देखि के हमार मुड़ी श्रद्धा से झुक गइल. ईहे ऊ लोग बा जे सितारा बनावेलन. आ भोजपुरी के सितारा लोग बा कि एक हालि आसमान पर चढ़ गइल त फेर जमीन पर आवे के नामे ना लेबे.

कहल सुनल माफ,

पंकज शु्क्ला
निर्देशक भोले शंकर


(पाठक आपन प्रतिक्रिया पंकज शुक्ल के pankajshuklaa@gmail.com पर भेज सकेलें.)