दोस्तन का चलते मिलल शोहरत कहेले बृजेश त्रिपाठी

अपना तीस साल का फिल्मी कैरियर में सफलता असफलता के कई गो उतार चढ़ाव देख चुकल बृजेश त्रिपाठी बड़ा सहजता से सकार लेबे लें कि उनकर सफलता आ शोहरत दोस्तन का चलते मिलल. पढ़ाई में मन ना लगला का चलते घर के लोग मुंबई चाचा का लगे भेज दिहल, यूपी का सुल्तानपुर से आइल बृजेश किस्मत के धनी निकललन आ पान का दोकान पर बनल दोस्ती का सहारे फिल्मी दुनिया में चहुँप गइलन.

Brijesh Tripathi

कांदिवली का तिवारी पानवाला का दोकान पर बृजेश के दोस्ती हो गइल दिलिप परयानी से. दिलिप फिलिमन के दीवाना रहले आ फिलिम निर्माण के सपना देखल करस. संजोग से एह जुगल जोड़ी के मिल गइलन माधुरी के उपसंपादक रहल विनोद तिवारी. ऊ परिचय करवा दिहलन अनजान साहब से आ बन गइल टैक्सी चोर. एह फिलिम में मिथुन दा आ जरीना वहाब का संगे बृजेश आ अमिता के लांच कइल गइल रहुवे.

दू गो हिन्दी फिलिम कइला का बाद दोस्ती हो गइल राकेश पांडेय से. राकेश ओह जमाना में भोजपुरी सिनेमा के बड़हन अभिनेता मानल जात रहलन. उनका सहायता से भोजपुरी फिलिम कब अइहें सजनवा हमार में बृजेश के पद्माखन्ना के बाप के किरदार करे के मिल गइल आ शुरु हो गइल भोजपुरी सिनेमा में बृजेश के सफर. फेर मिलल सईंया तोहरे कारण जवना में बृजेश एगो गुण्डा के किरदार कइले. बाद में जब राकेश निर्देशन कइल शुरु कइलन त अपना पहिलका फिलिम बाँसुरिया बाजे गंगा तीर में बृजेश के खलनायक बना के पेश कर दिहलन.

बृजेश हिन्दी के लगभग सगरी बड़ कलाकारन आ निर्देशकन का साथे काम कर चुकल बाड़न. बकौल बृजेश हिन्दी आ भोजपुरी सिनेमा में बस कैनवास के अन्तर बा. हिन्दी सिनेमा बड़हन कैनवास पर बनावल जाला जहाँ संसाधन के कमी ना होखे दिहल जाव. भोजपुरी फिलिम छोटहन बजट पर बनावल जाली सन. हिन्दी में मेहनताना ठीक बा जबकि भोजपुरी में बहुते कम.बाकि एह सब का बावजूद आज भोजपुरी सिनेमा बड़ा तेजी से हिन्दी का बरोबरी में खड़ा होखल जा रहल बा.

भोजपुरी सिनेमा के तीसरका युग के शुरुआतो में बृजेश के एगो योगदान बा. मोहन जी प्रसाद से बृजेश के दोस्ती लमहर दिन से रहे. मोहन जी भोजपुरी फिलिम बनावे के योजना बनावत रहलन आ अदो बदो कह देस कि कवनो हीरो खोज के राखऽ जल्दिये एगो फिलिम शुरु करे के बा. बृजेश के ई बात धेयान में रहत रहे आ ऊ अग्निमोर्चा का सेट पर भइल रविकिशन से भेंट का बाद जब उनका सामने प्रस्ताव रखलन त रवि किशन बिना हील हुज्जत हामी हकार दिहलन.आ जब मोहन जी मुंबई अइलन त बृजेश दुनो जने के भेंट करवा दिहलन. ओही मुलाकात में भोजपुरी सिनेमा के तीसरका युग के शुरुआत के बीजारोपण हो गइल. मोहन जी के बनावल फिलिम सईंया हमार में रविकिशन हीरो बनलन, फिलिम सुपर हिट रहल आ थिराइल पड़ल भोजपुरी उद्योग फेर से हिलोर मारे लागल आ आजु ओकर सफलता के दौर देखे लायक हो गइल बा.

बृजेश त्रिपाठी माने के तइयार ना होखस कि भोजपुरी सिनेमा उद्योग में कवनो तरह के गुटबाजी बा. कहेलें कि हर क्षेत्र का तरह भोजपुरी सिनेमो में सितारन के इर्द गिर्द कुछ खास लोग के जमावड़ा रहेला जवन लोग उनुका फिलिमो में नजर आवत रहेला. अब एकरा के गलतो ना कहल जा सके काहे कि सगरी उद्योगे आपसी संबंधन पर टिकल बा. कहलन कि ऊहो जवन बाड़ तवन अपना दोस्तन का बदौलत. पुनीत इस्सर के त ऊ खासे शुक्रगुजार रहेलन. कहलन कि उनुका साथे बढ़िया काम करे के मौका मिलल. सलीमो अख्तर के नौ गो फिलिमन में काम करे के मौका मिलल आ बृजेश के पहिचाने बनल सलीम अख्तर के फिलिम जिगर से. केसी बोकाडिया वगैरह कई लोग बृजेश त्रिपाठी के अतना साथ दिहलें कि चरचा करे लागस त घंटो बीत जाव.


स्रोत : उदय भगत, मुंबई. फोन 09967485359