छोट टँगड़ी का बावजूद आसमान छुवे के ललक राखेले रत्नेश

अकसरहाँ छोहन कद काठी वालन के फिल्मी दुनिया में कॉमेडी कलाकार बना दिहल जाला आ ओकर काम लबारी करे भर के रहेला. बाकिर अपना छोट कद का बावजूद भोजपुरी सिनेमा जगत में तेजी से उभरत अभिनेता रत्नेश बरनवाल के मकसद सिनेमा का परदा पर अपना अभिनय के छाप छोड़ल बा.

Ratnesh Barnwal

बिहार के नरकटियागंज में अपना बाबूजी का दोकान पर बचपन में बईठे वाला रत्नेश के बुझा गइल रहे कि ऊ दोसरा लड़िकन माफिक नइखे. अपना संगे पढ़ेवाला साथियन खातिर ऊ मजाक के पात्र से बेसी ना रहे. एह सब से उदास रत्नेश के उनकर माई समुझवली कि बेटा मजाक उड़ावेवालन के मुँह बन्द करे के एके गो उपाय बा कि तू अइसन कुछ कर देखावऽ कि ओह लोग के बोलती बन्द हो जाव आ लोग तोहरा से प्यार करे लागे. एही माहौल में रत्नेश आपन बीए के इम्तिहान बढ़िया नम्बर से पास कइलें आ दोकान पर बइठला भा कतहूं छोटमोट नौकरी का बजाय आपन राह खुद बनावे के तय कर लिहलें. आ कबो अपना शहर के सिवान ना लाँघेवाला रत्नेश दू साल पहिले मुंबई चल अइलें. एहिजा उनकर भेंट मशहूर भोजपुरी लेखक संतोष मिश्रा से हो गइल जे हर डेग पर उनकर साथ दिहलन. रत्नेश केढ़ केहू काम देबे के तइयार ना रहे त संतोष मिश्रा कहलन कि काम दीं आ अगर ओकरा बाद बुझाई कि स्टॉक बरबाद गइल त ऊ ओकर दाम दे दीहें. आखिरकार जब दिवाना खातिर रत्नेश के पहिलका शॉट भइल त खुशी से निर्देशक राजकुमार पांडे उनका के गोदी उठा लिहलन.

ओकरा बाद ओढ़निया कमाल करे, कबहू छूटे ना ई साथ, प्रेम रोग, जाबांज जिगर वाला वगैरह फिल्मन में रत्नेश के काम मिलल. रत्नेश के खुशी के ठिकाना ना रहे जब उनका गाँव का लगे का सिनेमाघर में दिवाना नौ सप्ताह ले लगातार चलल. घरे गइलन त उनका से भेंट करे वालन के लाइन लाग गइल. दुख के बात तबो ई रहे कि रत्नेश के मा६ ई दिन देखे खातिर जिन्दा ना रहली. रत्नेश कहेलें कि शायद पूर्वजन्म में कवनो गलती हो गइल होखी जवना के सजाय ऊ अबहीं भुगतत बाड़े, एहसे एह जनम में त कवनो गलती ना करीहें. जल्दी शादी के ख्वाहिशमंद रत्नेश चाहत बाड़े कि अभिनय में ऊ आसमान छू लेस.


स्रोत : उदय भगत