Dr. Janardan Rai

Ballia.

गाँव जब सहरा गईल

डा॰ जनार्दन राय

तार जब टूटल हिया के टीस मन में रहि गईल.
हो गईल आपन पराया, गाँव जब सहरा गईल.

मोह बा भउजी ना भईया के, न कवनो गीत के,
दरद पंझरिया पलनिया में, अकेले रहि गईल.

ताल आ तलवा तलइया, जल जलाजल हो गईल,
बाढ़ में आईल जवनबुड़ुवा, ऊ खइनी दे गईल.

देति बा गारि रमयना के, रमवती इयाद बा,
का कहीं, जगुवा जुआड़ी के कहानी रहि गईल.

मान मरदन के जवन कइलसि, महजनी मरि गईल,
जरि गइल सम्मत, सधुइया के पलानी बंचि गईल.

भागि से बाँचल भभीखना के कुटी, कुछ इयाद बा,
गाँज में गाँजा रहल, रावन हिया में रहि गईल.

आस में चलल, अकासे में सतहवा रहि गईल,
ज्ञानगंगा में रहल मोती जवन, ऊ का भईल?

मोह बा एकर, न तिरिया का, तनय का बाति के,
दरद बा दिल में सपुरनी फेर कुँवारे रहि गईल.