नेताजी अईलें

ज्ञानेश पान्डेय

दौड़ऽ हो भईया, दौड़ऽ हो चाचा, नेताजी अईलें.
नेताजी अईलें, सपना लईलें, ले अईलें वादों के हार.
हाथ जोड़िहें, मीठ बोलिहें, कहिहें सबकर मन के बात.

"सुन लऽ भईया, सुन लऽ बहिनी, सुन लऽ खोल के कान -
गईया भैंसी बैल बकरिया, बेढी कोला राम मडै़या, बीड़ी खैनी पान
चोरी-चुहाड़ी मारामारी, पट्‍टीदार के पट्‍टीदारी, खेत चाहे खलिहान.
बिना झिझक के दुख बतला दऽ; आपन मुश्‍िकल नोट करा दऽ.
नोट करा के स्‍िलप ले ली हऽ; भोट के दिन ले सजग से रहि हऽ.
ऊँख चूस के पानी मत पी हऽ; देख दाख के सड़क पर चलिहऽ.
अरे हेने ना सुनऽ हो बुढऊ, तू केने अईँकताड़ऽ पहलवान
मेहरारु लोग सुनऽ तारू ना आ तू का करऽताड़ऽ जवान
सोच समझ के भोट गिरईहऽ समय आज के बहुत अलग बा,
विकास प्रकाश तऽ बहुत सही बा, लेकिन मुद्‍दा ऊहे नाही बा.
प्रजातंत्र में, जान लऽ बाबू, केवल बहुमत के बतकही बा.
अब पूछबऽ तू हमरा से जे काहे,रोड के सोलिंग ना भईल बा ?
हम बोलेम जे जनता के गलती, हमरा मे ईहाँ कौन कमी बा.
जबले ना मिली पार्टी के बहुमत हमरा हाथ मे कुछ नाही बा.
नोट करऽ हो विद्‍यार्थी , आ तनी माईकवा तेज करऽ हो रहमान
प्रजातंत्र मे बहु के राज, एक के मतलब कुछ नाही बा.
का तू करबऽ से ना राजा, बाकी मे तोहार भाग धईल बा.
तोहनी के सेवक हम हरदम करेम तोहनी के भला के बात
तू ढेर खिसिअईबऽ तऽ ईहाँ से चुनबऽ कौनो बादुड़ छाप.
लेकिन ई जान लऽ सब लोगिन, हम कह देतानी साफ-साफ;
पूरा प्रदेश मे हवा बहऽता, बहुत ही जोर शोर से आज -
अबकी बार डिब्‍बा सरकार
डिब्‍बे के होई राज जान लऽ चली आवऽ हमरे साथ
डिब्‍बा पर गिरईबऽ या पछतईबऽ - फैसला बा तोहरे हाथ."


डानिल, नार्थ श्रीकृष्णपुरी, बोरिंग रोड, पटना ‍ १