Noor Alam Badshah

Doha, Qatar

सहनशीलता के धनी नारी

नूर आलम बादशाह

प्रकृति में जेतना भी प्राणी आ बनस्पति मिलेला ऊ सब के अपन अपन जात होखेला. हरेक बनस्पति आ प्राणी अपन अपन तरीका के प्रतिक्रिया देखावेला आ हर एक दोसर के बीच परिपक्व आ आश्रित भईल देखल जाला. प्राणी मधे इन्सान सबले श्रेष्ठ मानल जाला. इन्सान के सोचल कवनो अईसन चीज असंभव नइखे कहके सुनल जाला. लेकिन आदमी केतना किसिम के होखेला, तनिका सोचल जाव त ?

अबहीं तक के जानकारी अनुसार आदमी दू जात के मिलेला, एक पुरुष दोसर नारी. जब बच्चा के जनम होखेला त ऊ कि लड़का कि लड़की के ही जनम होखेला. धीरे धीरे सेवा टहल का बाद जवान बनेला, जवान संगे ओकरा में कवनो के जरुरत पड़ेला. नारी होखे त पुरुष के, पुरुष होखे त नारी के.

धन्य बा भगवान के लीला. दुनिया के बहुत जइसन मुलुक में अबहियों नारी के ही नीचे देखल जा रहल बा. बात का ह कि हम कुछ शब्द नारी का बारे मा हमनी जईसन पुरुष कहावे वाला के व्यभिचार, आरोप, शोषण, आ गारी बेइज्जति का बारे में लिखे जा रहल बानी. जब नारी भा पुरुष परिपक्व हो जाला त केहू ना केहू से केहू ना केहू के शादी होला. कुछ बरस बहुत ही प्यार कईल देखल जाला लेकिन वास्तविकता बहुते फरक मिलेला. नारी पुरुष त हाथ आ गोड़ जईसन ह. कवनो ऐसन भी घर व्यवहार चलावे में नारी के बहुते बड़ भूमिका होला. जवन घर में नारी शिक्षित होखेली ऊ घर के बाल बच्चा शिक्षित आ ईमानदार होखेला. काहे से कि बालबच्चा बाप से जेयादा मतारिये में निहित रहेला. बालबच्चा के पहिलका पाठशाला अपन घर आ महतारी के कोख हऽ. एक घर में नारी अगर शिक्षित होली, त अपन बाल बच्चा जल्दीये ज्ञान हासिल करेला काहे से आज तक कवनो बाप अपन संतान के जरुरत भर समय देहल ना देखल जाला. एहिसे कवनो भी काम में पुरुष से जेयादा नारी के महत्व रहेला.

नारी ऊ हऽ जेकरा बिना कवनो भी पुरुष अपन जीवन के कल्पना ना कर सकेला. फिर भी पुरुष प्रधान ई समाज नारी के अस्तित्व का उपर चाकू चलावत रहेला. नारी अगर कुछो करे के खोजेली त ऊ काम के उपर धेयान ना दिहल जाला उल्टे ऊ काम पर प्रतिबन्ध लगावे में पीछे ना हटेला. कवनो एक विवाहित नारी अपन पति बाहर गईल अवस्था मे भूख से छटपटी भईलो पर साथ में खायेम कहिके ईन्तजार करेली लेकिन पुरुष मे ई धीरज ना मिलेला. नारि केतना महान बाड़ी, भूख से छटपटी भईलो पर राह जोह के बईठल नारी, पति जब घर आवेला आ खाना खातिर कहला पर बहरे से खा के आईल बानी कहके जवाब मिलेला. केतना के उल्टे गारी बेईज्जति पिटाई भी मिलेला. नारी के धीरज आ सहनशीलता के फायदा उठावत पुरुष नारी का उपर दमन भी कर रहल बा. अगर नारी पुरुष के जगह होखतन त का पुरुष ऊ धीरज आ सहनशीलता के प्रदर्शन कर सकतन, जवन नारी अबही कर रहल बाड़ी ? उहे नारी अपन पति के लम्बा उमिर खातिर एतवार सोमार के पूजा करेली, बहुत अइसन भगवान के प्रार्थना करेली, व्रत उपवास रखेली. लेकिन अतना कईलो पर का पावेली ? हमेश अईसन उहे पुरुष द्वारा कईल दमन सह के जियत रहेली लेकिन ओइसन पुरुष के नारी का हा कह के कवनो धेयान ना होला. पुरुष नारी के अपना पैर के धूल समझेला लोग. जे मन कईलख करी, खीस बरल कि खुब पिटी, मन भर बोली आ सारा खानदान गारी दी. फिर भी नारी केतना सहनशील बाड़ी , चुपचापे रहेली. लेकिन ई ठीक ना ह कहिके नारी के खुद मालूम भईलो पर आखिर काहे चुप रहेली नारी ? इहे त हऽ नारी के कमजोरी. अब नारी के भी एक होखे के परल. रउरा खुदे सोची, नारी बिना घर में चुल्ही जरल मुश्किल बा कहके एमे कवनो दू मत नईखे. काहे कि नारी लक्ष्मी के रूप हऽ. अपन घर बार खुदे चलावेली, सब के खातिर खाना बनावेली, बाल बच्चा के स्कूल भेजेली आ बाहर भीतर के सारा काम खुदे पुरा करेली. अब खुदे कहीं, नारी केतना महान बाड़ी ? परिवार में केहू के तनका बोखार भईला पर रात भर जाग के ओकरे खयाल करेली लेकिन पुरुष हजारो मस्ती कईल सपना देख के आराम से सूतेला. एने परिवार के कवनो चिन्ता नईखे. घर में खाके बाहर जा के गप्प लड़ावे के मिल गईल हो गईल. एने नारी अपन घर धंधा में पसीना चुवा के काम करेली. एक तनिका फुरसत नईखे. दिनभर के काम के थकन से तनका आराञो ना मिलेला आ फेरू पति का सेवा में समर्पित होखेली. का हमेशा पुरुषपीड़ित रहीहें ? अब उठऽ, जागऽ. सम्पूर्ण पुरुष स्वार्थ त्याग के, पुरुष कहावेवाला के दलदल से जल्दी बाहर निकल के अपन इतिहास के सीमारेखा खींचऽ


नूर आलम बादशाह,
मुकाम : कोतवाली ९, जमनिया बारा, नेपाल
हाल दोहा कतार से

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