समधिन के एहसान

शम्भुनाथ

हम अपने बिटिया के चौथी म
धोती कुर्ता हेरवाय आवा.
हम बोटी रोटी खाय आवा.
पुरखन क नाम कटवाय आवा.

अपने मँझली बिटिया के घर चौथी लेके चला गये हम.
पाँच सात जन साथ रहें बिटिया के घर रुक गये हम.
इज्जत पानी जम के भये, रोटी बोटी का जुआड़ बना.
महुआ कय दारु परी मेज पर, बगल भउकी मां दाल चना.
लौडन के चक्कर भय गवा, हमहूँ पैग चटकाय आवा.
धोती कुर्ता हेरवाय आवा.
हम बोटी रोटी खाय आवा.

गप्प पर गप्प चलत रही, जाम पे जाम टकरात रहा,
छिनछिन पर झँझट होत रही, हमरा मूंड्वा झन्नात रहा.
चार किलो तक बोटी रोटी हम नशा में खाय आवा.
धोती कुर्ता हेरवाय आवा.
हम बोटी रोटी खाय आवा.

नशा में इतना जुल्म भया हम याददाश्त सब भूल गये.
जइसे मस्ती मा साँप लोटय, वाही मस्ती मा झूल गये.
वही नशा में चला गये बगली ऊख के खेते में,
गोड़ लगा मेड़ का उपर, जाय गिरे चपेटे में.
वही नशा के अउझड़ में सारा रुपया गवाय आवा.
जूता चप्पल खाय आवा,
धोती कुर्ता हेरवाय आवा.
हम बोटी रोटी खाय आवा.

भवा भिनौखा तब मेहरारू टट्टी का जब जात रहीं.
हाय हाय हम करत रहे, हमरिव बात ओनात रही,
पड़ी निगाह समधिन के हमरे, मुंह से निकला हाय दईया,
लागत तो हमरा समधी बाटे, बहू देख तोहरे अहे बपईया,
अपने बिटिया का ससुरा मा अपनी नाक कटवाय आवा.
धोती कुर्ता हेरवाय आवा.
हम बोटी रोटी खाय आवा.

इतनी अच्छी समधिन हमरी, हमका शाल ओढ़ाय दिही.
आँचर से मुंह ढकवाय दिही, हमरी इज्जत बचवाय लिही.
पीच्छे वाले दरवाजे से घर के अन्दर लाय दिही.
महकउवा साबिन लाय के समधिन हमके खूब नहवाय दिही.
अपने देहिया के कोइला माटी समधिन से धुलवाय आवा.
धोती कुर्ता हेरवाय आवा.
हम बोटी रोटी खाय आवा.

जब हम समधिन के सूरत देखी मन ही मन म कुछ बोली.
खड़ा रहे बिल्कुल लखटकवा, ना एहमू डोली ना ओहमू डोली.
झट से समधिन बोल परीं ई कइसे रात गुजारा है,
घूमत रहेया एहमू ओहमू कतहू का मुंह मारेया है.
दिल कय बात हमसे ना पूछा फोकट में रात गुजार आवा.
धोती कुर्ता हेरवाय आवा.
हम बोटी रोटी खाय आवा.

इतनी विनय हमारी बाट्य, ई राज कतऊ अब खोलू ना.
हमरी बिटिया जो बहू तुम्हारी ओहसे बात ई बोलू ना.
ई आपस कय है मामला दिल के अन्दर छूपाय लीहू.
अगर कभऊ जब काम परे पीछे दरवाजा से बोलाय लीहू.
हंसी ठिठोली मा पल बीता समधिन से आँख लड़ाय आवा.
धोती कुर्ता हेरवाय आवा.
हम बोटी रोटी खाय आवा.


राय फाउण्डेशन,
486/87, उ‌द्योग विहार फेज III, गुड़गाँव, हरियाणा.एगो भोजपुरी कविता