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हरेन्द्र कुमार

सुष्मिता सान्याल के डायरी - १

परिवार अदालत
अलीपुर
कोलकाता

केस संख्या 76/1987

श्रीमती सुष्मिता सान्याल
बनाम
डा॰ अजितेश लाहिड़ी
आदेश तारीख १३.०९.१९८९ बुधवार

दुनो पक्ष के प्रार्थना स्वीकार कर के, ई अदालत उक्त केस बन्द करे के हुक्म देता.

हस्ताक्षर
(गोपा बसु)
जज

बस अतने सा लिखल कागज सुबेश लाहिड़ी खातिर पहाड़ बन के खड़ा भइल रहे. सुबेश लाहिड़ी मध्यप्रदेश कैडर के आई॰ए॰एस॰ अधिकारी रहलन २००९ बैच के. २००८ में ऊ भारत सरकार के कानून मंत्रालय में सहसचिव के पदबार संभालत रहलन. देश के इनल गिनल उच्च अढ़िकारियन में उनकर नाम गिनाव. कवनो समस्या के समाधान चुटकी में निकाले में उनकर जोड़ ना रहे.

एकदिन कानून मंत्री आ सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के साथ ऊ बईठल रहस. सरकारी विषय पर बातचीत करीब करीब खतम हो आइल रहे. तबहियें मंत्री जी का मन में ना जाने का आइल, कह भइलन, 'न्यायाधीश महोदय, आप सबे खाली कानून के दाँवेपेंच चलाइब जा की कुछ जनमुखी कार्यक्रमो बनाईब?' मुख्य न्यायाधीश अपना स्वाभाविक तरीका से उत्तर दीहलन -

'ओकरा खातिर त अपने सभन बानी. जदि आपके मन में कुछ होखे त बतावल जाय.' मंत्री जी संगे-संगे सुबेश क ओर निहरलन. सुबेश के दिमाग तेजी से चले लागल. अगिला साल वोट होखे वाला बा. मंत्री जी के नजर जरुर कवनो अइसन जगह बा जहाँ प्रचार के भरपूर गुंजाइश होखे. सुबेश अबही सोचते रहस कि मंत्रीजी के आवाज आइल -

'अरे आप दूनो के त लागता हम फेर में डाल दीहनी. माफी चाहत बानी. हमरा कहे के मतलब रहे कि कानून समाज के ज्वलंत समस्या के स्वस्थ समाधान खातिर बहुत कुछ कर सकता. अब देखल जाय, तलाक क दर केतना बढ़ल जाता. जदि अइसहीं चलल त शादी से ज्यादा तलाक होखे लागी. परिवार अदालत कानून १९८४ में बनल रहे लेकिन ओकरा बाद एह क्षेत्र में ज्यादा कुछ नइखे भइल. त हमरा कहे के मतलब बा कि एह दिसाईं कुछ करे के सोंची सभे.'

न्यायाधीश महोदय का सोंचले इ त ना पता चलल, बाकिर सुबेश के समुझे में कवनो कुछ बाकी ना रहल. ऊ संगे संगे कहलन - 'सर, महीना भर में हम एगो प्रस्ताव तईयार करतानी.'

मंत्री जी अच्छा तरह से जानत रहस कि सुबेश लाहिड़ी के एक महीना माने तीस दिन होला, एकतीस दिन ना. उनका चेहरा पर एगो संतुष्टि के भाव पसर गइल. न्यायाधीश महोदय सुबेश से पुछलन - 'हमरा तरफ से का करे के पड़ी?'

'आपके कार्यालय से एगो विज्ञप्ति निकाल दीहल जाय कि देश के प्रत्येक परिवार अदालत में अब तक कतना तलाक के मुकदमा दायर भइल, मुकदमा के बारे में टिप्पणी का साथ पूरा विवरण मंत्रालय में एक सप्ताह में आ जाये के चाहीं.'

मंत्री जी संग-संग न्यायाधीश महोदय का ओर मुखातिब भइलन - 'हां, प्रधानमंत्री जी से आपके कार्यक्रम के बारे में चर्चा आजुये भइल हऽ. आप जाये के तइयारी करीं.' हेग में अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन होखे के रहे जवना में जाये खातिर न्यायाधीश महोदय के खूब इच्छा रहे.


अगिला कड़ी कुछ दिन में.