भउजी हो

भउजी हो!

का बबुआ ?

कुछ कहबू ना का?

कहे सुने लायक रह गईल बानी का? ईयाद बा आजु कतना दिन बाद भउजी का लगे आईल बानीं?

सब इयाद भा भउजी. बाकिर आजु सफाइयो ना देहब. तूहूँ जानत बाड़ू कि घर सरिहावे में कतना दिन से लागल बानी. तहार वाली कोठरी पूरा ना भईल रहुवे से ना आवत रहनी हा.

हम त सोचत रही कि हमरा भज गोविन्दमे करे के पड़ी.

ना भउजी, गोविन्द के बात मत करऽ. ऊ अइलें त उनकर टिकट कट गईल केदारनाथ के.

से काहे बबुआ जी ?

कहले रहुवी कि अबकि का चुनाव में चूना ना लगवा दिहनी त केदारनाथ चल जायेम. अतना ताव में रहली कि अपने सहयोगी के चटकन मार दिहली. अब जब जनता चटकन लगवले बा त चुप हो गईल बाड़ी.

बबुआ जी, सन्यासी लोगन का बारे में बात ना करे के. सुनले नईखीं कि राँड़ साँढ़ सीढ़ी सन्यासी, एसे बचे त सेवे काशी. आ ऊ त साँढ़ जईसन सन्यासी हवी.

ठीक बा भउजी. हमहूं ना चाहेम कि हमार करकरे होखे.