भउजी हो

भउजी हो

आईं. गुझिया बनावल हके लाग गईल. हमरा पक्का भरोसा रहुवे कि देवर अईसे आवसु भा ना फगुआ में ना भुलईहन.

भउजी तोहरा के का फगुआ का दीवाली हमेशा याद राखीलें. तू ही त बारू महतारी आ मेहरारू का बीच के. माई अस ममता, मेहरारू अस प्रेम, दुनू के मिलल जुलल रुप.

का बात हऽ बड़ा कविताई करे लागल बानीं ?

संगत के असर हऽ. ओहि दिना हमरा के पुलिस वाला पकड़ लिहलसि. कहलसि कि आत्महत्या के कोशिश करत रहीं.

से कइसे बबुआजी ?

कहलसि कि हतना कवियन का बीच में अकेला बईठल बाड़ऽ.

बड़ा मजेदार रहे ऊ. बुझाता कि कबो आलोचक रहल होखी.

खैर छोड़ऽ ई सब. कुछ अउरि सुनावऽ.

का सुनाईं, चीनी छब्बीस रुपया आ खोवा डेढ सौ रुपिया के बात ?

ना भउजी, ई त सभे भुगतत बा.

त ई कि मियां मुशर्रफ भारत आके भारते के धमका गईलन कि अगर काश्मीर समस्या के समाधान ना भईल त कई गो कारगिल होखी.

काहे पिछलका कारगिल भुला गईलें का ? जब अपना आका का गोड़धरिया करवले रहलन कि भारत के युद्ध रोके खातिर मना लेव.

ई त उहें बतइहन. चलीं रउरा गुझिया खा लीं.

भांग नइखू नू मिलवले ?

अपना भईया से पिटवायेब का ?