लहराये वसन्त के लहँगवा (फगुआ)

डा॰कमल किशोर सिंह

लहराये वसन्त के लहँगवा
फुल बान चलावे अनंगवा.*

मदन मिलल लागे मन्द पवनवा,
अलसाए अजब सब अंगवा.

भोरवा के घाम लागे रेशमी चदरिया,
तनी लागे सिहरावन साँझवा.

सरसो पियरिया पलास लाल गोटवा,
छींट गेंदवा गुलाब सतरंगवा.

दूध जस टपकेला महुआ का फुलवा,
मोजर सजल सब आमवा.

बुढ़ बरगदवो के चमकेला पतवा,
आइल नीमियो बबूर में उमंगवा.

गदराइल गेंहू, बूंट, मटर, मसूरिया,
सोन्ह होरहा के आवे सुगन्धवा.

लहराये वसन्त के लहँगवा


*अनंग कामदेव के दोसर नाम हऽ.


रिवरहेड, न्यूयार्क