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भोजपुरी संसद

भोजपुरी वेबसाइटन पर आजकल एगो बड़हन विवाद चल रहल बा. कुछ लोग एकता के बात करत बा कुछ लोग अकेले चले के.

हमहूँ अकेलहीं चलल रहुँवी जब इन्टरनेट पर कवनो भोजपुरी वेबसाइट ना रहुवे. बिनय जी के आ शशिभूषण राय जी के वेबसाइट अंगरेजी भाषा में भोजपुरी के बात करत रहुवे, आ आजुवो ले करत बा. ऊ लोग जब से इन्टरनेट पर भोजपुरी के चर्चा कइले बा तब यूनिकोड फॉन्ट के प्रचलन ना रहुवे. आ अतना दिन के बाद नया फार्मेट पर काम कइला से व्यतिक्रम हो जाई एहसे ऊ वेबसाईट के रोमन लिपि में राखल मजबूरी बा. ओहू लोग के नयका वेबसाईट भोजपत्र.कॉम देवनागरी लिपि में आ गइल बा.

अँजोरिया के पीछे कवनो संगठन, कवनो समूह ना तब रहुवे ना अब बा. भोजपुरी भाषा से अपना लगाव के चलते स्वान्तः सुखाय चलावल जात बा. रउरा काम लायक लागी तऽ आयेम, ना लागी तऽ ना आयेम. अइसन बात नइखे कि हम कवनो सिद्धान्त का चलते अँजोरिया के गैर व्यावसायिक बनवले बानी. हमरा लगे ना तऽ ओतना टाइम बा, ना संकल्प.

तबो हमरा बहुते खुशी भईल जब सुधीर कुमार के भोजपुरिया शुरू भइल. बधाई देबे में, अँजोरिया पर उनकर बड़ाई करे में हमरा तनिको उरेज ना बुझाईल. ओह घरी हमरा ना मालूम रहुवे कि शशि कुमार सिंह जी भी ओह साइट से जुड़ल बाड़ें. हमरा से सुधीर जी अक्सरहाँ फोन पर बतियावेलें. अबहियों बात होखेला. मन्थन के एवार्ड मिललऽ आ महत्व के लड़ाई शुरु हो गइल. शशि सिंह अलगा हो गइलन आ आपन लिट्टीचोखा.कॉम शुरु कइलन तऽ हमरा पता चलल कि दुनू जाना अलगा हो गइल लोग. पट्टीदारी के झगड़ा भोजपुरियन के संस्कार में बा. अबर बानी, दूबर बानी, भाई मे बरोबर बानी वाला ठेठ अन्दाज हमनी के मौलिकता हऽ. ई सब होखत रहेला. बाकिर हम इहो देखले बानी कि गाँव से संगही निकली लोग, कचहरी में जा के अपना अपना वकील के लेके मुकदमा लड़ी लोग, आ फेर लवटे के बेरा संगही लौटी लोग ! ई अदवता अब ना जाने कहवाँ चल गइल ?

एह बीच में अँजोरिया के सम्पर्क भोजपुरी के मशहूर गजलकार मनोज भावुक से भइल. मनोज जी के गजल संग्रह "तस्वीर जिन्दगी के" भारतीय भाषा परिषद के वर्ष २००६ के पुरस्कार से सम्मानित भइल तऽ हम ओह संग्रह के सम्पूर्ण रूप से अपना पाठक लोग का सोझा परोसे के अनुमति मँगनी. मनोज जी खुशी खुशी अनुमति दे दिहनी बाकिर एगो शर्त लगा के कि प्रकाशन के पहिले हमरा से प्रूफ जरुर देखवा लेम. दूनो आदमी मेहनत कइल आ संग्रह अपना पूर्णता में प्रकाशित हो गइल. एकरा पहिले ओह संग्रह के गजल रोमन लिपि में प्रकाशित हो चुकल रहुवे. एकाध गो गजल जहाँ तहाँ कई गो वेबसाईट पर भी रहुवे. बाकिर, भोजपुरी में पूरा का पूरा प्रकाशन करे के सौभाग्य अँजोरिया के मिलल.

प्रकाशन के बाद एगो बड़हन वेबसाइट के प्रकाशक मनोज जी से सम्पर्क कइलें कि उनुको के अनुमति मिलो. तब ले आसान हो गइल रहे ओकर प्रकाशन. बस अँजोरिया से कटपेस्ट कर के अपना साइट पर डाल देबे के रहुवे. मनोज जी कहुवन कि बहुत खुशी से डालीं. बाकिर अँजोरिया के मेहनत के बदले साभार लिख देम. इहे बतिया उनुका खराब लाग गइल. कहे लगलन कि हमरा साइट पर लाखों विजिटर आवेलें. हम २० २५ गो विजिटर वाला अँजोरिया के प्रचार ना कर सकीं. ई बात हमरो नीक ना लागल. मान लिहनी कि ऊ बड़ हउवऽन. उनुका लगे ढेर विजिटर बाड़न. बधाई होखे. बाकिर इन्कार के भाषा में दम्भ लउकत रहे. आदमी के अपना कृति पर गर्व होखेला पर दम्भ ठीक ना हऽ. रावण लेखा अपना धन सम्पत्ति आ सन्तान पर घमण्ड कइल ठिक ना होखी. एक लाख पूत, सवा लाख नाती, ओकरा घरे दिया ना बाती. सब एहिजे रह जाई. जुल्म किये तीनो गये धन धर्म और वंश, ना मानो तो देख लो रावण, कौरव, कंस. सौ कौरवन के पाँच पाण्डवन से हार माने के पड़ल. कबो झँझावात आई तऽ उहे रह जाई जे विनम्र होखी आ झुके के जानत होखी. झुकला के मतलब टूटल ना होला. पूरा स्वामिभान के संगहूं विनम्र रहल जा सकेला. स्वाभिमान आ विनम्रता में विरोध ना होला, दम्भ आ विनम्रता में होला.

मानत बानी कि अँजोरिया छोटहन वेबसाइट बा. हमरा लगे विजिटर्स के भीड़ नइखे. तबहूँ यदि समूचा भोजपुरी जगत के वेबसाइटन के बारे में जाने के होखे तऽ अँजोरिया पर सबकर जन्म कुण्डली मिल जाई. हम तऽ अपना साइट पर आपन नामो ना दिहिले. छद्म नाम से लिखिलें. हमरा ना चाहीं केहू से लिंक. रउरा हमार पता मत बताईं. जेकरा जरूरत होखी खोजिये ली. आखिर गूगल, याहू, लाइव, कॉपरनिकस कवना दिन रात खातिर बा ? हमरा केहू के विजिट से कमाये के नइखे. कमाइल खराब बात ना हऽ. बाकिर कमाये लायक मेहनत हमरा से ना हो पाई एहसे हम ओकरा चक्कर में नइखीं. रउरा कमाईं. हमार शुभकामना रउरा साथे बा, आ रही.

खैर एह विवाद का संगे एगो आउरी बहस शुरु हो गइल बा. भोजपुरी के संगठनन के एगो महासंघ बनावे के. बड़का बड़का लोग एकरा पीछे लागल बा. नीति में ठीक बा, नेति ठीक रहे के चाहीं.

भोजपुरी के सबसे पुरान, सबसे बड़हन समूह के संचालक अभी एकरा से सहमत नइखन. भोजपुरी के सबसे पॉपुलर वेबसाइट वाला भी सहमत नइखन. बाकिर अमेरिका के भोजपुरी संगठन के शैलेश मिश्रा जी के भावना सम्मान करे लायक बा. ओह पर विचार करे के बा. बहस हो रहल बा. कवनो ना कवनो राह निकलबे करी. एह विचार के साथे सिंगापुर के भोजपुरी संगठक शशि भूषण राय जी भी बानी. बिनय जी के विरोध एह बात पर बा कि भोजपुरी के नाम लेके केहू खड़ा हो जाव ऊ ओकरा संगे हो जासु, ई सम्भव नइखे.

अभी बहस जारी बा. जइसे जइसे आगे बढ़ी हम बतावत रहेम. रऊरा एह छोटको वेबसाइट पर कबो कबो आईल करेम इहे निहोरा बा.

राठौर भोजपुरिहा

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