Ajit Tiwari

नई दिल्ली

बलिप्रथा : एगो घोर पाप

अजीत तिवारी

जय माता की !

सनातन हिंदू धर्मं में कही भी एह बात के चर्चा नइखे कईल गईल की कवनो देवी-देवता के जीव-जन्तुवन के बली देबे के चाही आउर बली देला से मनोकामना पुरा होला . तबो भी लोग माई दुर्गा चाहे उनका आउर रूप के जीव-जन्तुवन के बली दे रहल बा . माई दुर्गा जेकरा के जगत-जननी कहल जाला, आदमी , जानवर, चिरई आउर सभी जीव जेकर संतान हवे, ऊ माई दुर्गा जे संसार के परमममतामई माई हई, उनके सामने उनके संतान के अन्धविश्वासी आउर धरम के आन्हर लोग के द्वारा गरदन रेत के मुवावाल जाता . का अपाना संतान के ई हालत देख के माई के छाती ना फाटत होई ? दुनीया के कवनो भी माई अपना संतान के आँखी से एक बुंद लोर भी ना देख सकेली . तब फेर अपने संतान के आपना आँखी के सामने गला रेतात देख के जगत-जननी माई दुर्गा का केतना दुखः होत होई तनी रुअरा सोची ता ?

रउरा सभे से हमार ई निहोरा बा एह कुप्रथा के जल्दी से रोके प्रयास करी लोगीन, लोग के समझाई-बुझाई की ई काम ग़लत बा .

ई बली देबेवाला काम आपना देश के आउर सब मन्दिर के साथे-साथे थावेवाली माई के मन्दिर में भी होला . बली रोकेवाला सुभ काम के श्रीगणेश थावेवाली माई के मन्दिर से कईल जाव, लोग के समझावल-बुझावल जाव के बली देहल पाप हवे ऐसे माई खुश ना होली ऊता रोवेली, माई खुश होली तब ज़ब मन में माई से खूब प्रेम रहेला, उनका कवनो चढावा ना चाही, जईसे हमनी का आपना माई का लगे खालीयो हाथे जाइलेसन ता माई देखते करेजा से लगा लेबे ले ईना पूछेले के हमरा खातिर का लेआईल बाड़ वैसही माई दुर्गा का भी कुछ ना चाही खाली सरधा-भक्ति होखे के चाही, हां अगर बेटा माई के प्रेम से कुछ दिही त माई का खुसी जरुर होई . ऐसे हमनी का माई के अगर कुछ देबही के बा ता उन्हा के नारियल, लड्डू ,चुनरी ई सब भेंट कईल जाव जावना से माई खुश होके हमनी के आशीर्वाद दिहे . आख़िर कही-ना-कही से शुरवात करही के परी तबे देश के आउर हिस्सा में भी बढ़िया असर पड़ी आउर सुधार होई .

रउरा से रिहोरा बा की ई संकल्प लीही के थावेवाली माई के मन्दिर में चाहे आउर कही भी होखेवाला बली के अब आउर ना होखे दिहल जाई . सब लोग के समझावल-बुझावल जाई , सही रास्ता पर ले आवल जाई आउर माई जगदम्बा के हिरदय के अब आउर दुःख ना होखे देहल जाई .

एह बली नाम के कुप्रथा के जल्दी से आउर हमेसा खातिर कैसे ख़तम कईल जा सकेला रुअरा आपन राय जरुर दिही .

चली हमनी का सब आदमी मिलके आपना हित-मित्र , सगा-सम्बन्धी, अडोस-पड़ोस सभका के जागरूक बनावल जाव आउर ई घोर पाप करे से रोकल जाव , हमरा पुरा विश्वास बा के लोग हमनी के बात मान के ई पाप कईल बंद कर दिही आख़िर सब लोग अपने न बा .

जय हो माई थावेवाली की !

अजीत तिवारी

इमेल - admin@jaimaathawewali.com