Ajit Tiwari

नई दिल्ली

तु साँझ के रंग में आवेलु

अजीत तिवारी

तु साँझ के रंग में आवेलु
हमरा मनवा के भावेलु
कबो पायल बजावत
कबो चूड़ी खनकावत
धीरे-धीरे..आहिस्ता-आहिस्ता
हमरा जीयरा में समायेलु
तु साँझ के रंग में आवेलु

तु चैन-सुकून बनके आवेलु
प्रितिया के आँचर ओढ़ावेलु
हम दिन भर के काम से रहिले थाकल
तोहरा अँचरा के पाके हो जाईले पागल
सुतल रही चाहे रहिले जागल
तु प्रेम के अमृत बरसावेलु
तु साँझ के रंग में आवेलु

कबो हिरनी बनके आवेलु
हमरा अंखिया में बस जायेलु
बलखात चलेलु.... इठ्लात चलेलु
मंद-मंद मुस्कात चलेलु
कांच-कपोल से.. प्यार के बोल से
करेजवा पर तीर चलावेलु
तु साँझ के रंग में आवेलु

कबो कोईल बनके आवेलु
प्रीत के गीत सुनावेलु
तोहरा बोलीया में मिसीरी घुलल बा
तोहरा बिना मुस्किल जीयल बा
प्यार के मीठ गीतिया से
जिनगी भर के प्यास बुझावेलु
तु साँझ के रंग में आवेलु

तु मोरीनी बनके आवेलु
अखियन से नींद चुरावेलु
खुदे बरसेलु बादल बनके
खुदे गीरेलु बिजुरी बनके
जीयरा में अगीया लगावेलु
तु साँझ के रंग में आवेलु

कबो बेली बनके आवेलु
कबो चमेली बनके आवेलु
खुशुबू के बगईचा बनके
कोमलता से छुवेलु हमके
मनवा के कोना-कोना मह्कावेलु
तु साँझ के रंग में आवेलु

अब तु बुल-बुल बनके आ जईतु हो
हर साँस में समा जईतु हो
अब दिन कटत नइखे कटला से
ना मतलब बा महल-दुमहला से
"अजीत" के काहे एतना तड़पावेलु
तु साँझ के रंग में आवेलु

अजीत तिवारी

इमेल - admin@jaimaathawewali.com