सतीश प्रसाद सिन्हा

 

His article were published in the early issues of Anjoria : The First Bhojpuri Website. This issue is available in PDF format and you may need Adobe Reader to read it.

भोजपुरी लोकगीत में आधुनिक भावबोध

 

(1)

जिनिगी से अकुलाईं मत,
रो रो के पछताईं मत.

आँसू के कीमत समुझीं,
जहें तहें ढरकाईं मत.

आपन सूरत दरपन में,
देखे से कतराईं मत.

जाए के त बड़ले बा,
मउअत से घबड़ाईं मत.

मुड़ि मुड़ि के का देखीलां,
बीतल के दोहराईं मत.

का देलीं का लेलीं हऽ,
पचड़ा में अझुराईं मत.

बूढ़ा कहि कहि अपना के,
हमरो के हदसाईं मत.

 

(2)

तन पर ताला उम्र के, मन पर सदा बहार.
मन के आगा हार के, तन बेबस लाचार.

आतंकित सभ लोग बा, बच्चा, बूढ़, जवान.
अइसन दहसत दे गइल, आतंकी हैवान.

अलग अलग सभ लोग बा, बीच बीच दीवार.
आपुस में संवाद के, टूट गइल सभ तार.

आसानी से जे मिलल, ऊ बेमोल अनेर.
काँटा भरल गुलाब के, मोल दिआला ढेर.

बीतल दिन का याद के, मन से दिहीं बिसार.
नया हवा के साथ दीं, बदलीं सोच विचार.

जे भी रउरा बा मिलल, कर लीहीं स्वीकार.
अनका धन के देख के, मत टपकाईं लार.

मुँह जब्बर के जीत बा, मुँह दुब्बर के हार.
बाहुबलिन के राज मे, बल के भइल सुतार.

 

सतीश प्रसाद सिन्हा

परिचय : १ जून १९३८ के आरा में जनम. पटना विश्वविद्यालय से राजनीति विज्ञान के स्नातक. पटना उच्च न्यायालय के सचिव पद से सेवा निवृत. १९५४-५५ से ही हिन्दी आ भोजपुरी में लेखन. प्रकाशित भोजपुरी पुस्तक मन के अँगना में काव्य संग्रह २००६ में. सम्पर्क करीं : - कल्याण विहार, अम्बेदकर पथ, बेली रोड, पटना ‍ ८०००१४

भोजपुरी कविता के त्रैमासिक पत्रिका कविता के जुलाई २००७ अंक से साभार.

कविता के पता

भोजपुरी साहित्य प्रतिष्ठान,
प्रथम मंजिल. ए २१, साधना पुरी,
रोड न॰ ६ डी, गर्दनीबाग,
पटना ‍ ८००००१