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September 2006

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Sept-I | August'06

भोजपुरी हलचल

केकर केकर लीहीं नाम, कमरी ओढ़ले सगरी गाँव

लिट्टी चोखा का फेर में हम गोईंठा में सेंकाऽतानी.

अंजोरिया पर कुछ दिन पहिले हम लिट्टीचोखा आ लिट्टी-चोखा का झगड़ा में अझुरा गइनीं. बूढ़-पुरनिया लोग ठीके कहले बा कि दोसरा का फटला में टंगड़ी ना फँसावल जाला. बुरबकाही हो गईल.

ए सखी तोर बड़ कि मोर? आपन-आपन नाम के पहिला जगह देआवे का चक्कर में ई तोर-मोर के झगड़ा शुरू हो गईल बा आ सबसे अधिका दोष हम मंथन के देम जवन भोजपुरिया.कॉम के पुरस्कार देके एह विवाद के जनमा दिहलस. सुधीर बड़ कि शशि ? हमरा केहू से भेंट ना हऽ. सुधीर भाई से अबो-तबो बात हो जाला. शशि जी से अबले बात नइखे भईल. तबो जब हम लिट्टी चोखा का फेर में पड़नी तऽ सुधीर भाई के शिकायत मिलल जायजे रहुवे. बिना उनुका से बतियवले हम उनुकर शिकायत क देले रहीं. अब जब पूरा बाति मालूम भईल तऽ हम सोचनी कि काहे ना रिसर्चे कऽ लियाव एह झगड़ा पर ? मुर्गी पहिले कि अण्डा ?

गईनी नेट पर आ शुरू कईनी भोजपुरी, भोजपुरिआ, भोजपुरिया, आ भोजपुरिहा पर आपन खोज. ई चार गो शब्द भोजपुरी बदे आसान बा. अन्दाजो से केहू खोजी तऽ एही चार नाम का अगल बगल.

असली झगड़ा के शुरूआत भइल भोजपुरिआ.कॉम से. भोजपुरी में अंजोरिया का बाद ई दूसरका साइट रहुवे (ओकरा पहिले के दुनू साइट अंग्रेजी भाषा में रहे) आ एकर बढ़िया से प्रचार भईल आ एकर हिट रेट अबले सबसे अधिका बा.

भोजपुरिआ में शशि आ सुधीर दूनू जाना रहुवे लोग. बाद में शशि डॉटकाम का जगहा डॉटइन आ डॉटइन्फो के शुरूआत कईलन. ओकरा बाद जब शशि जब आपन लिट्टिचोखा परोसलन तऽ सुधिरो लिट्टी-चोखा ले लिहलन. नीचे देखीं

ई तीनो नाम भोजपुरिआ.कॉम पर ले जाला. शुरु में भोजपुरिआ.कॉम वाला लोग भोजपुरीसंसार.कॉम खोलल लोग. बाकिर विनय जी के याहू ग्रुप एही नाम से ओकरा पहिले से चलत रहे आ स्वाभाविक रूप से ओह ग्रुप के ई खराब लागल रहे. ओही घरी ई लोग सुधार कऽ लीहल आ भोजपुरिआ.कॉम शुरू कइल लोग. बाकिर भोजपुरीसंसार.कॉम अब ले आपन काम करत बा आ विजिटर के भोजपुरिआ.कॉम पर ले जात बा.

हमरा एहू से विरोध नइखे. काहे कि भोजपुरीसंसार नाम से कवनो वेबसाइट तब ना रहे, याहू के ग्रुप के बात दोसर बा.खेर ओह घरी जब इ सुधार हो गइल तऽ फेर से ओही गलती के पुनरावृति ना होखे के चाहत रहे. लिट्टीचोखा के शशि जी से भी बात करे के सौभाग्य हमरा मिल गइल आ उहाँ से बात करके इहे लागल कि कवनो गलत उद्देश्य ना तब रहे, ना अब बा. जइसहीं गलती बुझाइल उहो दोसरा नाम से साइट खोल लिहलन.

एही लगले एगो आउर बाति. यदि केहू के अँजोरिया नाम ढेर नीक लागत होखे तऽ ऊ अँजोरिया.नेट, अँजोरिया.इन्फो, अँजोरिया.आर्ग,अँजोरिया.बिझ, अँजोरिया.इन, अँजोरिया.को.इन वगैरह नाम लेके खोल सकेला, हमरा कवनो विरोध ना होखी. हमरा लगे अतना पइसा रहित कि सब नाम बुक करा लीं तबो ना करइतीं काहे कि अँजोरिया कवनो हमार खोजल शब्द ना हऽ. भाषा में, व्यवहार में ई शब्द जमाना से चलत बा. ओही तरे कहनाम, चुटकी, भिनुसार, माटीकेबोली, पुरवईया, भोजपुरी जनपद, भोजपुरी साहित्य, भोजपुरी संस्कृति, बिदेसिया, आपन बोली, आपन भाषा, बनारसीबाबू, छपरहिया, आराछपराबलियादेवरिया, ठेंठभोजपुरिहा/या/आ जइसन कतान नाम हो सकेला. नाम के कवनो कमी नइखे. कहेम तऽ आउरि नाम बतावल जा सकेला.

भोजपुरी के दोसर कुछ साइट के भी देखिये लिआव

एह सबसे आउर कुछ होखे चाहे ना, अतना तऽ बुझाते बा, नव गो कनउजियन के नब्बे गो चूल्हा, का अन्दाज में भोजपुरी के वेबसाइट के कमी नइखे. जरूरत बा कि लोग मिलजुल के रहे. महेन्द्रू घाट लेखा नाश्ता के दूकान पर खींचे खातिर गाहक के गरदन मत धरऽ लोग. खैर नेट पर तऽ विजिटर के मर्जी चले के बा. एक हाली तऽ आ जाई बाकिर मजगर सामान ना रही तऽ दोहरा के ना आई, तू आपन नाम चमकावत रहऽ.

अब जब सबकर जनमदिन पता लाग गइल तऽ देखिये लियाव कि के कतना उमिरगर बा -


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