धीरज तनिकी भरि धरऽ दुलहिनिया.

शम्भुनाथ उपाध्याय

अबकी के अलगलि बे मोर खरिहनिया.
धीरज तनिकी भरि धरऽ दुलहिनिया.

बड़का लईकवा बा धइले नौकरिया,
दीही कमा के जरुरे मोहरिया.
रही ना पहिले नियर परेशनिया.
धीरज तनिकी भरि धरऽ दुलहिनिया.

खाये के दे दिहले राम असो अनघा,
माघवा में भईल सुतारे से बरखा.
बछियो दी नाफा, पोसले मुलतनिया,
धीरज तनिकी भरि धरऽ दुलहिनिया.

छोड़ऽ फिकिरवा तू जाँगर लगावऽ,
रोवत लरिकवा बा, जाके बझावऽ.
रामजी जो चहिहें तऽ बनिहें झुलनिया,
धीरज तनिकी भरि धरऽ दुलहिनिया.

ओढ़ल पहिरल केकरा ना भावे ?
नीमन चीझुइया ना के के लुभावे ?
सभकर पियारी हऽ आपन धनिया,
धीरज तनिकी भरि धरऽ दुलहिनिया.

मालिक जो दे देत तऽ गहना बना दीं.
रूसलि दुलारी के अपना मना लीं.
सरगे के परी बना दीं सजनिया,
धीरज तनिकी भरि धरऽ दुलहिनिया.