अभय त्रिपाठी

बनारस, उत्तर प्रदेश

 

हमरे अँखिया फुटल बा केहु के पहचान नइखीं पावत..

हमरे अँखिया फुटल बा केहु के पहचान नइखीं पावत..
साँस त मजगरे चलत बा जिन्दगी के जान नइखीं पावत..
राहे सफर के बस एतने फसाना बा..
हाथ त बहुत बढ़ल हमहीं जुड़ नइखी पावत..
दिल में खाली बतकही वाला कमरे नइखे त का करि हँ अभय.
लोग त बोलवावे के कोशिश करत बा हमहीं बोल नइखी पावत..
अब सवाल एगुड़े बा हम जीयत काहे बानी.
काहे लोगन के बात बात पर लोर बहाव तानी..
जवाब ई मिलेला कि सब माया के फेरा बा..
उनका पास सिक्का हेड अउर हमरा पास टेल बा..
सही दुनो लोग बा बस समझ समझ के फेरा बा..
बस अपना अपना बात पर अड़ल रहे क टेरा बा..
इहे सोच के हमार मन गदगद हो जाला..
हमरा के जिये खातिर आक्सीजन मिल जाला..