Manir Alam

Doha, Qatar

नेहिया के रंग

मनिर आलम

पल भर में जवन टूट जाला ऊ किरिया ना.
नेहिया करिके जवन भुला जाला ऊ हम ना.

तू बेवफा बन जइबू एहमे कवनो दम नइखे.
काहे कि हमार वफा भी कुछ कम नइखे.

बहुर खूबसूरत ह आँख तोहरी,
एके बना द किसमत हमरी.

ओके अउरी का चाहीं जीवन में,
जे के मिल जाये नेहिया तोहरी.

तोहरा आँख के देख के हँसे के बहाना मिल गइल.
तू हमसे दूर का गइलू, सारा समाज बदल गइल.

एगो उमर गुजार दिहनी, एगो उम्र बाकी रहे.
ऊ अइसहीं गुजरा दिहनी, ई अइसहीं गुजरल रहे.

कवना के कदर होखेला, तोहरा आवे जाए के.
हमहीं रखी ले तोहर खबर हर ठेकाना के.

हमरा के ना देखऽ दूर से, लगे आ के देखऽ.
पत्थर बानी हलुका फूल से, हमरा के उठा के देखऽ.

कफन के पोशाक में उतरल ना जाला.
परेसानी तू अपना खुद सुना के देखऽ.

खुशबू के कइसे ले के उड़ल झोंका वहां के,
तू भी अपना नेहिया के खुशबू लुटा के देखऽ.

कवनो शिकायत ना रहल तोहरा से.
ई समझौता हऽ, एगो वादा रहे तोहरा से.

बस एगो बात के बड़ उम्मीद रहे,
नाराज ना होईहऽ कभी हमरा से.

ई ईयाद ह तोहरी कि ईयादे में तू हौ.
ई सपना ह तोहार कि सपना में तू हौ.

हम नइखी जानत, हमें बस अतना बता दऽ.
हम जान है तोहार, कि तू हमार जान हौ.



मनिर आलम,
इनरवामाल, हरनहिया, बारा, नेपाल