Manoj Srivastav.

An article courtsey Bhojpuri Sansar magazine.

भोजपुरी शख्सियत मनोज भावुक

आज भोजपुरी के बाजार बहुत गरम बा आ लोग भोजपुरी के कैश क के आपन जेब गरमावे में लागल बा. केहू भोजपुरी वेबसाइट खोल के सतुआ पिसान आ गमछा बेंचऽ ता त केहू भोजपुरी फिलिम आ एलबम के नाम पर लंगटा नाच क के भोजपुरिया संस्कृति के भोथर छुरी से हत्या क के आपन तोजोरी भरऽ ता. अइसना में एगो अइसन व्यक्तित्व के चर्चा अनिवार्य हो जाता जे लंदन आ अफ्रीका के लाखो रुपिया के नोकरी के लात मार के अपना माटी, अपना मातृभाषा आ अपना साहित्य संस्कृति के विकास आ संवर्धन खातिर अपना देश भारत लवटि आवऽ ता, ई गुनगुनात कि :

हमरा के काटऽ ताटे सोनेके पिंजरवा
हमरा के खींचऽ ताटे माई के अंचरवा
लौट चलीं देश अपना कवनो रे बहनवा से
अइलीं फिरंगिया के गाँवे हो संघतिया.

जी हाँ हम बात करत बानी, भोजपुरी के चर्चित शायर, सुविख्यात गीतकार आ फिल्म समीक्षक श्री मनोज भावुक के.

मनोज भावुक के नाम आज कवनो परिचय के मोहताज नइखे. भोजपुरी थियेटर,लिटरेचर, फिल्म, वेबसाइट, देश विदेश, संस्था सम्मेलन, पत्र पत्रिका कहीं भी नजर डालीं, मनोज भावुक कौनो ना कौनो रुप में सार्थक आ सक्रिय प्रयास करत नजर अइहें.

एगो समय रहे जब मनोज भावुक भोजपुरी सिनेमा के वरिष्ठ निर्माता निर्देशक मोहन जी प्रसाद, विनय सिन्हा, सुपर स्टार सुजीत कुमार, राकेश पाण्डेय, कुणाल सिंह, रवि किसन, हिन्दी फिल्म के युवा निर्देशक अनुभव सिन्हा, विक्रम भट्ट, नृत्य निर्देशक निहाल सिंह, अशोक चंद जैन, किरण कान्त वर्मा, संजय राय भा दीप श्रेष्ठ जइसन भोजपुरी सिनेमा के दिग्गज लोगन के साथे बइठ के भोजपुरी सिनेमा के भविष्य, चुनौती आ संभावना पर घंटन बात करस. भोजपुरी सिनेमा के संदर्भ मे महानायक अमिताभ बच्चन से बात कइलन.

अपना छोट कमाइ के मोट पइसा भोजपुरी सिनेमा के बिखरल इतिहास के खोजे आ संजोवे मे लगवलन, जवना के परिणति में उनकर शोध पुस्तक भोजपुरी सिनेमा के विकास यात्रा तइयार भ५ल. एह पुस्तक मे १९४८ से लेके अब तक के भोजपुरी फिल्मन पर विहंगम दृष्टपात कइल गइल बा. लेकिन उनकर आर्थिक मजबूरी आ पेट के आग उनका के मुंबई से अफ्रीका आ अफ्रीका से लंदन खींच ले गइल. फेर त लोग एह गीतकार आ फिल्म समीक्षक के भुला गइल. सन् २००३ में भोजपुरी सिनेमा के नया लहर आइल. एह लहर के लहरा में कई गो नाच पार्टी आ ओकर जोकर भोजपुरी सिनेमा के हिस्सा बन गइलें. एलबम में भँड़इती करे वाला गीतकार आ कलाकार लोग एह फिल्म इन्डस्ट्री में समाये लागल. कुछ गीतकार लोग नामी कैसेट कम्पनियन के दलाल बन गइल आ एह दलाली के बल पर ओह लोग के दोकान चले लागल. कुछ तलवा चाटे वाला गीतकार लोग तलवा के तेल चाट चाट मोटाये गोटाये लागल. अइसना में मनोज भावुक जइसन स्वाभिमानी, संवेदनशील, जिम्मेवार आ तेज तर्रार गीतकार जगह कहाँ?

बाकिर एह से भावुक जी पर कवनो फरक नापड़ल. उनकर भोजपुरी सेवा जारी रहल. ऊ देश विदेश में भोजपुरी के प्रचार प्रसार करत रहले. भावुक के नेतृत्व में २००५ में भोजपुरी एसोसिएसन आफ युगाण्डा के स्थापना भ५ल. अफ्रीका जइसन देश में पुआ पाकल, ठेकुआ बनल आ छठ दियरी शुरु हो गइल.

सन २००६ में लंदन के हाइड पार्क में भावुक भोजपुरी वासियन के गेट टुगेदर करवलें. बी॰बी॰सी॰ लंदन से भोजपुरी लिटरेचर आ फिल्म विषय पर भावुक के इंटरव्यू प्रसारित भइल. गजल गीत पाठ प्रसारित भइल. यू॰के॰ के पत्रिका पुरवाई में भअवुक के भोजपुरी गजल छपे लागल.

मतलब भावुक भोजपुरी के रंग में अइसन रंगाइल बाड़न कि अंग्रेजन के दश में भी ऊ भोजपुरी के ब्राण्ड अम्बेसडर बन के भोजपुरी के उत्कर्ष खातिर काम करत रहलें. भावुक के रोंआ रोंआ में भोजपुरी बा. उनका वय्क्तित्व आ कृतित्व में भोजपुरी बा. आ ऊ भोजपुरिये खातिर बनल बाड़न प्रतिबद्ध बाड़न. बाकिर संस्कृति के बेंच के पइसा कमाये खातिर ना, बल्कि खुद के तपा के अपना रचनात्मकता के बल पर कुछ अइसन सृजन करे में लागल बाड़न, जवना के लेके भोजपुरी के अन्तर्राष्ट्रीय साहित्य आ गीत संगीत के समक्ष राखल जा सके. भावुक के एगो शेर बा :

पेट में आग त सुनुगल बा रहत ए भावुक,
खुद के लवना का तरे रोज जरावत बानी.

लंदन से भारत अइला के बाद भावुक एगो भोजपुरी टीवी चैनल के सी॰ई॰ओ॰ मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में नियुक्त भइलें. बाकिर अभी तक भोजपुरी के कवनो चैनल आन एयर नइखे हो सकल.

सब व्यस्तता के बावजूद भावुक मूलरुप से अपना के गीत लेखन पर केन्द्रित कइले बाड़न. गीत भावुक के लेखन के मुख्य विधा हऽ. गीत स्वतः उनका भीतर से फूटेला. गीत में ऊ सहज बाड़न. एकरा खातिर उनका मेंन्टल एक्सरसाइज ना करे के पजरुरत ना पड़े. एहसे ई कहल जा सकेला कि भावुक मूलतः गीतकार हउवन.

बकौल भावुक हम भोजपुरी सिनेमा में गीत लिखे के चाहत बानी. मरे के दिन ले भले दसे गो गीत लिकीं, संख्या के महत्व नइखे, बाकिर गीत अइसन होखे जवना से भोजपुरी के मानमर्यादा बढ़े, जवना के चलते भोजपुरी के राष्ट्रीय अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर सम्मान मिले आ जवना के युगो युगो तक याद कइल जाय. .... अइसन गीत लिखला से का फायदा जवना के सुन के लोग भोजपुरी के नाम पर नाक भौं सिकोड़े लागे. भोजपुरी के वल्गारिटी के भाषा कहे लागे.

भोजपुरी हिन्दी के साहित्यिक गलियारा में भावुक के गीतन के गूँज अनुगूँज त बड़ले बा. प्रो॰ मैनेजर पाण्डेय, पाण्डेय कपिल, कविवर जग्गनाथ, डा॰ अशोक द्विवेदी, भगवती प्रसाद द्विवेदी, डा॰रमाशंकर श्रीवास्तव, प्रो॰रामदेव शुक्ल, डा॰प्रभुनाथ सिंह, डा॰अरुणेश नीरन, माहेश्वर तिवारी आ कविवर सत्यनारायण जइसन विद्वान लोग भावुक के गीत गजलन के प्रशंसक बा.

सात संमुदर पार संयुक्त अरब अमीरात के कवयित्री आ अभिव्यक्ति अनुभूति वेबजीन के संपादक श्रीमती पूर्णिमा वर्मन, ग्रेट ब्रिटेन के वरिष्ठ साहित्यकार डा॰कषष्ण कुमार, कथाकार तेजेन्द्र शर्मा, बीबीसी लंदन के अध्यक्ष श्रीमती अचला शर्मा, बीबीसी लंदन के युवा पत्रकार पंकज प्रियदर्शी आ मुकेश शर्मा आ मारीशस के महात्मा गाँधी संस्थान के अध्यक्ष आ बसंत पत्रिका के संपादक श्रीमती सुचीता रामदीन जइसन समीक्षक आ विद्वान भी मनोज भावुक के गीत गजलन के प्रशंसक रहल बा.

भोजपुरी फिल्म के सुपर स्टार कुणाल सिंह, भोजपुरि गीत सम्राट भरत शर्मा व्यास आ सगीत मर्मज्ञ पंडित रामचन्द्र दूबे अजेय जइसन अनुभवी आ राग सुर लय के जानकार लोग भी भावुक के गीत पुरुए के संज्ञा देला आ उनका रचनन के कालजयी आ भोजपुरी समाज के आइना मानेला.

आखिर गुलजार जइसन महान गीतकार भावुक के भोजपुरि काव्यपाठ पर वाह वाह कर उठल, त काहे? कुऽ त बात होई भावुक में?

कुछ त बात होई उनका गीतन में जवना के चलते भारतीय भाषा परिषद जईसन प्रतिष्ठित आ राष्ट्रीय स्तर के एगो संस्थान पहिला बार कवनो बोजपुरी साहित्यकार मनोज भावुक के सम्मानित कइलस. गुलजार आ ठुमरी साम्राज्ञी गिरिजा देवी के हाथे मनोज भावुक के भारतीय भाषा पुरस्कार से नवाजल गइल. श्री गुलजार के अध्यक्षता में भावुक के भोजपुरी काव्य पाठ भइल आ पूरा सभागार भोजपुरीमय हो गइल.

गत साल सन् २००७ में भी कई गो संस्था मनोज भावुक के सम्मानित कइली ह सन, कवना में अखिल विश्व भोजपुरी विकास मंच, जमशेदपुर, माँ काली बखोरापुर ट्रस्ट, भोजपुर, जीवनदीप चैरिटेबल ट्रस्ट, वाराणसी आ भोजपुरी समाज सेवा समिति, काशी प्रमुख बा.

एह दशक में मनोज भावुक के रंगकर्म आ काव्य कर्म खातिर अउर कइ गो प्रतिष्ठित अवार्ड मिल चुकल बा, जवना में बिहार कलाश्री पुरस्कार परिषद द्वारा रंगमंच के क्षेत्र में विसिष्ट, बहुमूल्य आ बहुआयामी योगदान खातिर बिहार कलाश्री पुरस्कार, अखिल भारतीय भोजपुरी साहित्य समंमेलन द्वारा कविता खातिर गिरिराज किशोरी कविता पुरस्कार, बिहार आर्ट थियेटर, कालीदास रंगालय, पटना द्वारा बेस्ट एक्टर अवार्ड, अउत अखिल भारतीय साहित्यकार अभिनन्दन समिति द्वारा काव्य का क्षेत्र में विशिष्ट योगदान खातिर कविवर मैथिली शरण गुप्त सम्मान प्रमुख बा.

इहाँ हम बतावल चाहब कि मनोज भावुक के रंगमंच से भी गहरा संबंध रहल बा. ऊ बिहार आर्ट थियेटर द्वारा आयोजित द्विवर्षीय नाट्यकला डिप्लोमा पाठ्यक्रम के टॉपर रहल बाड़ण. भोजपुरी सिनेमा के तरह भोजपुरी नाटक खातिर भी बहुत काम कइले बाड़न. श्री मनोज भावुक के लिखल शोधपत्र भोजपुरी नाटक के संसार विश्वविद्यालय के पोस्ट ग्रेजुएशन के पाठ्यक्रम में शामिल बा.

एने हाल ही में काशी हिन्दू विश्विद्यालय में आयोजित विश्व भोजपुरी सम्मेलन में मनोज भावुक के कुशल वक्ता आ सफल मंच संचालक के रूप भी दृष्टिगोचर भइल. साथ ही कवि सम्मेलन में उनकर जलवा आ अंदाजेबयां देखे जोग रहे.

शेर जाल में फँस जाला त सियरो आँख देखावेला, बुरा वक्त जब आ जाला त अन्हरो राह बतावेला, आ गोदी से लेके डोली, डोली से लेके अर्थी, अतने में बा समूछा तस्वीर जिन्दगी के के रचनाकार के लोग दीवान हो गइल. परिणाम ई भइल कि एगो टीवी चैनल भोजपुरी विषयक बातचीत में लाइव टेलीकास्ट खातिर पांच गो विद्वान के एगो पैनल आमन्त्रित कइलस त ओह में जनेवि के प्रो॰ मैनेजर पाण्डेय, विभोज महासचिव डा॰ अरुणेश नीरन, मारीशस के स्वास्थ्य मंत्री जगदीश गोवरधन, आ मारीशस के टेम्पल फैदरेशन के प्रधान सोमदत्त दल्तमन का साथे मनोज भावुक के भी शामिल कइल गइल.

अब भावुक के गीत गजल के कुछ बानगी देखी, जवना से ई पता चलऽता कि भावुक के अंदर के गीतकार केतना सजग, सहज, सरल, सधल, सरस, सुरीला, समृद्ध, संवेदनशील, भोला, लयदार आ लहरदार बा.

दोहा

एगो से निपटी तले, दोसर उठे बवाल
केहू कतनो हल करी, जिनिगी रोज सवाल.

रिस्ता नाता, नेह सब, मौसम के अनुकूल
कबो आँख के किरकिरी, कबो आँख के फूल.

पड़ल हवेली गाँव में, भावुक बा सुनसान
लड़का खोजे शहर में छोटी मुकी मकान.

बड़ बुजुर्ग कहले जहाँ देखल हवे गुनाह
भावुक हो मन ले गइल, उहवे रोज निगाह.

गजल के चुनिन्दा शेर:-

हमरा संगे अजीब करामात हो गइल
सूरज खड़ा बा सामने आ रात हो गइल.
परिचय हमार पूछ रहल बा घरे के लोग
अइसन हमार हाय रे औकात हो गइल

जिनिगी के जख्म, पीर जमाना के घात बा
हमरा गजल में आज के दुनिया के बात बा.

बहुत नाच चिनिगी नचावत रहल
हँसावत, खेलावत, रोवावत रहल.

रोशनी के राह देखत रात पागल हो गइल

गीत

बबुआ भइल अब सेयान कि गोदिये नू छोट हो गइल.
माई के अंचरा पुरान, अंचरवे में खोट हो गइल.

बिखरल खोंता माई के नू
भाई भोंके भाई के नू
जिउवा भइल कसाई के नू
मनवा जब सभकर बउराइल
बिषधर मने सभे बिखिआइल
बाबूजी के घरवा नागे नाग हो गइल
टुकी टुकी बाबूजी के बाग हो गइल.

बदरी के छतिया के चीरत जहजवा से
अइलीं फिरंगियाके गांवे हो संघतिया.

कसक करेजवा में होला अधिरतिया के
सेजिया चुभेला हमके गतरे गतरे हो
लाल से पियर भइली हमरी सुरतिया हो
तोहरी फिकिरिया हमके कुतर कुतरे हो.

दिल के गली में अचके गुलजार हो गइल बा.
मोहे प्यार हो गइल बा, तोहे प्यार हो गइल बा.

अब हमरा पूरा विश्वास बा कि अगर भोजपुरी सिनेमा में शैलेन्द्र, अन्जान. मजरूह सुल्तानपुरी आ लक्षमण शाहाबादी के याद फेर से ताजा करे के बा त भोजपुरी फिल्म के निर्माता निर्देशक संगीतकार लोग के ई चाहीं कि ऊ लोग मनोज भावुक जइसन गीतकार से गीत लिखवावे. हमरा पूरा विश्वास बा कि अगर मनोज भावुक के गीत गजल के संगीत में पिरो के बढ़िया से फिल्मांकन कइल जाय त ऊ भोजपुरी सिनेमा खातिर मील के पत्थर साबित होई आ एह गीतन से भोजपुरी फिल्म के व्यवसाय आ मान प्रतिष्ठा बढ़ी.