Manoj "Bhawuk"

London

रतिया भर अँखिया ई देखे चनरमा.

मनोज "भावुक"

रतिया भर अँखिया ई देखे चनरमा.
हँसेला हमपे आकाश हो.
दूधवा के जइसन तोहरी सुरतिया,
भरेला मन में उजास हो.

आवेला जब कबो धीरे से नींदिया,
हमके पुकारेला माथे के बिंदिया,
खुल जाला अँखिया त, तोहरी सुरतिया,
लेबे ना देबे सवाँस हो.

अइसे त अँखिया ई का का ना देखलस,
बाकिर कबो तोहरा लेखा ना देखलस.
साँचो बसन्त होला, एह बतिया के अब
करेला मन विश्वास हो.

चनवा के पीछे पीछे मनवो चलेला.
दियवा के संगे संगे तनवो जरेला.
रूपवा के रानी तोहके जतने निहारीं,
बढ़ेला ओतने पियास हो.