Manoj "Bhawuk"

London

अइतऽ तऽ करतीं जी भर बात

मनोज "भावुक"

तोहरा के देखला बरिस दिन भइलें, बरिस दिन भइलें हो,
अइतऽ तऽ करतीं जी भर बात,
पिया हो अइतऽ तऽ करतीं जी भर बात.

हमरा हियरवा के सून रे पिंजरवा में,
तोहरे सुधिया के चिरई चहके-चहके हो.
रतिया सपनवा में तोहरा से मिलनीं तऽ,
मनवा के बगिया लागल महके-महके हो.

आइल फगुनवा तऽ लागल अगनवा हो,
सावनों में जरलीं दिन रात.
पिया हो अइतऽ तऽ करतीं जी भर बात.

कसक करेजवा में होला अधिरतिया के,
सेजिया चुभेला हमके गतरे गतरे हो,
लाल से पीयर भइली हमरी सुरतिया हो,
तोहरी फिकिरिया हमके कुतरे कुतरे हो.

मटिया मिलल जाला सोना के जवनिया हो,
काहे ना बूझेलऽ तू ई बात ?
पिया हो अइतऽ तऽ करतीं जी भर बात.