Manoj "Bhawuk"

London

अबकी आवे अइसन नयका साल

मनोज "भावुक"

अबकी आवे अइसन नयका साल.

अबकी आवे अइसन नयका साल, सबका थाली में हो रोटी दाल.

भाभी के पिल्ला चाभेला रोजे दूध मलाई.
भउजी के लल्ला रोवेला भूखे माई माई.
एह अन्तर के खाई पाटे, सभे होय खुशहाल.
अबकी आवे अइसन नयका साल, सबका थाली में हो रोटी दाल.

नइखी माँगत दिन सोना के, आ चांदी के रात.
बाकिर सभका थरिया में, होखे के चाहीं भात.
भूख मरी से मरे ना अब, भारत के कवनो लाल.
अबकी आवे अइसन नयका साल, सबका थाली में हो रोटी दाल.

राते ना होला दिल्ली के, सगरो बाटे शोर.
इहवाँ गाँवन में ए भईया, भइल ना अबले भोर.
चलऽ गाँव में सूरज बाबा, उहवों ठोकऽ ताल.
अबकी आवे अइसन नयका साल, सबका थाली में हो रोटी दाल.

नोट त केहू खाई नाँही, खाई आखिर रोटी.
भूखे रही किसान त भावुक, कहाँ से रोटी होखी.
जिनिगी बा तबले ही जबले, बा गेहूँ में बाल.
(एहसे ए भाई)
अबकी आवे अइसन नयका साल, सबका थाली में हो रोटी दाल.

भइया के मुँह से फूटे संगीत, भउजी के कंगना से खनके ताल.
अखिल विश्व में सभे रहे खुशहाल, शुभ हो, मंगलमय हो, नयका साल.
अबकी आवे अइसन नयका साल, सबका थाली में हो रोटी दाल.