चुटपुटिहा

सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में।
बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में।
घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया,
चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में।

  • संगीत सुभाष


आपन जिद्द ना छोड़ब रउरा,
सबका से मुँह मोड़ब रउरा,
हम रउरा से जुड़ल चहनी,
हमसे नाता तूड़ब रउरा ?

  • संतोष विश्वकर्मा सूर्य के ह्वाट्सअप से

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रउरा केहू का बोलावा पर ओकरा जमघट में चहुँपी आ देखीं कि मेजबान सभका से त मिलत-जुलत बा, स्वागत करत बा बाकिर रउरा से कुछऊ नइखे बोलत त रउरा कइसन लागी ?

ऊपर से अगर इहो कहिे देव कि जानत बानी जेतना लोग आइल बा, ओहमें से कई लोग लवटि जाई आ दुबारे ना आई, त का ई रउरा खातिर कवनो संकेत बा ?

दोस्त अपना माशूका के बिआह से लवटल त पूछनी कि कइसन लागल अपना माशूका के दुलहा के गुलदस्ता थमा के ?
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कहलसि कि बूझाइल जइसे चुनाव में अपना विरोधी के वोट डाले के पड़ गइल होखे.
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हे भगवान, अबकी वर्ल्डकप 2023 में INDIA के जीतवा दऽ. बदला में भलही 2024 को चुनाव में I.N.D.I.A. के हरवा दीहऽ.
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महतारी साले-साल कलेण्डर छापत रही आ बेटा के कहना बा कि केहू एडुकेटे ना कइले रहल उनुका के.
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दुख के लोरे से दहवा के सहि जाले ई।
सुख में बदरी के जल बनि के बहि जाले ई।
मुँह त लबजा हवे जाने कब का कही?
आँखि लबजी ना ह साँच कहि जाले ई।

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हम एकसँसिए  दउरत बानीं,
तहरो  तऽ   कुछ  करे  पड़ी।
हमरे  जइसन  तहरो   बाबू!
धधकत  अगिनी  जरे  पड़ी।
दाल-भात के कवर हवे  ना,
रिन्हल राखल, चट खा  लऽ,
जिनिगी हउए कठिन लड़ाई,
जिए  का  पहिले  मरे  पड़ी।

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कवन रूप अँखियन में राखीं, कवन रूप बिसराईं हम?
लउकत बा ऊ सचहूँ बाटे, कवन भाँति पतिआईं हम?
अदिमी का चेहरा पर चेहरा, चेहरा पर फिनु चेहरा बा;
सभे देखि ले चेहरा अतना दरपन कहवाँ पाईं हम?

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तहरे नाँवे पल-पल जिनिगी, तू मानऽ, भा मति मानऽ।
भावसुमन सब तहरे माँथे, तू भलहीं लाते खानऽ।
कबिताई के दीप जराईं तहरा बदे अन्हरिया में;
हमरा मन में बस तू ही तू,अपना मन के तू जानऽ।

– ऊपर क चारो चुटपुटिहा सुभाष पांडेय का व्हाट्सएप से

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ऊँच-नीच ना सोचे गुनिजन आगे माथ झुका देला।
अच्छरि-अच्छरि, शब्द- शब्द के रोजे पाठ पढ़ा देला।
अधरे हँसी, काने रूई भरि, जीभि लगाम लगावे जे,
बड़े-बड़े वक्ता-वीरन के, छन में धूरि चटा देला।

– सुभाष पांडेय का व्हाट्सएप से

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अपने मूड़ी, अपने डंडा, अपने हाथ पिटाई बा।

अपने रस्ता रोके, खोले, उतरे – चढ़े चढ़ाई बा।

अपने जोरे, अपने छोड़े, अनके नाम बतावेला;

मन का भीतर झँकनीं, पवनीं, खुद से सजी लड़ाई बा।

– सुभाष पांडेय का व्हाट्सएप से

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फूल डाली से टूटल बेजान हो गइल,

भागि जेकरे से रूठल हेवान हो गइल;

लाख जोरीं, सटाईं, मिलाईं मगर,

दिल जो टूटल त टुटते जियान हो गइल।

– सुभाष पाण्डेय के व्हाट्सएप से

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भोला बाबू का पीछे एगो पिल्ला लागल रहुवे.
भोला बाबू चिचियात भागल जात रहलन कि हम त जियो सिम डलववले बानी. ई ससुरा वोडाफोन के नेटवर्क कइसे ध लिहलसि.

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  • ओकरा ला तू शराब छोड़ दीहलऽ, सगरी नशा छोड़ दीहलऽ. बाकिर बुझाइल ना कि ओकरा से बिआह काहे ना कइलऽ ?
  • अरे यार, का बताईं. ओकरो ले नीमन नू भेंटा गइल !

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मरीज के जाँच कइला का बाद डाक्टर बतवलनि कि –
तोहार बेमारी पुरान ह आ गँवे गँवे तोहरा के खात बिया.

ई सुन के मरीज फुसफुसाइल – डाक्टर साहब तनी धीरे बोलीं. बाहरे बइठल बाड़ी.


लड़िका – बुझाता कि हमनी के बिआह ना हो पाई.
लड़िकी – काहे ? बाबूजी का कहुंई ?
लड़िका – तोहरा बाबूजी से त भेंटे ना भउवे. तोहरा घरे गँउई त तोहरा बहिन से भेंट हो गउवे. आ गजब के धांसू बिया तोहर बहिनिया ! सोचतानी कि ओकरे से बिआह क लीं.

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सावित्री जमाना पहिलहीं अपना पति सत्यवान के यमराजो का हाथ से छीन ले आइल रही साबित कर गइल रही कि अगर मेहरारू ठान लेव त यमराजो ओकरा मरद के बचा ना सकसु.

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शादी का सालगिरह पर एक जने अपना मेहरारू के हीरा के हार दिहलें.
मेहरारू ओकरा बाद उनुका से छह महीना ले ना बतियवलसि.
काहें ?
….

इहे तय भइल रहुवे.

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अंजोरिया पर प्रकाशित होखत चुटपुटिहा लोग के बहुते पसन्द आवत रहुवे बाकिर भोजपुरिका पर चुटपुटिहा छूट गइल रहुवे. अब एकरा के एहिजो शुरु कइल जात बा.


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