बांसगांव की मुनमुन – 4

( दयानन्द पाण्डेय के बहुचर्चित उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद ) धारावाहिक कड़ी के चउथका परोस ----------------------------------------- ( पिछलका कड़ी अगर ना पढ़ले होखीं त पहिले ओकरा के पढ़ लीं.) एने…

कजरी

- संगीत सुभाष बदरी आवऽ हमरी नगरी, नजरी डगरी ताकति बा। सूखल पनघट, पोखर, कुइयाँ असरा गिरल चिताने भुइयाँ छलके नाहीं जल से गगरी, नजरी डगरी ताकति बा। बूढ़ लगे…

बांसगांव की मुनमुन – 3

- दयानन्द पाण्डेय के बहुचर्चित उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद धारावाहिक कड़ी के तिसरका परोस ( पिछलका कड़ी अगर ना पढ़ले होखीं त पहिले ओकरा के पढ़ लीं.) मुनमुन जइसे लक्ष्मी…

लाजे भवे बोलसु ना आ सवादे भसुर छोड़सु ना

भोजपुरी के पहिलका वेबसाइट होखला का नाते ई हमार जिम्मेदारी होखे के चाहीं कि हम भोजपुरी के विकास आ बढ़न्ती ला हर संभव सहजोग करीं. एही उद्देश्य से आजु से…

उल्था आ उलटबाँसि (बतकुच्चन – 206)

आजु ढेर दिना बाद बतकुच्चन लिखे बइठल बानी. करीब पाँच बरिस पहिले हर हफ्ता एगो बतकुच्चन लिखल मजबूरी जइसन रहत रहे. काहें कि कलकत्ता (आजु के कोलकाता) से छपे वाली…

अबहीं ले ना बिहान भइल का गजल कहीं

- शैलेन्द्र पाण्डेय शैल (एक) संउसे उमिर जियान भइल का गजल कहीं जियले बिपति के खान भइल का गजल कहीं। चाहत पियार इश्क के चक्कर बुरा चलल चोटहिल बड़ा परान…

बांसगांव की मुनमुन – 2

(दयानन्द पाण्डेय के बहुचर्चित उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद) धारावाहिक कड़ी के दूसरका परोस -----------------------------------------   पहिलका कड़ी अगर ना पढ़ले होखीं त पहिलो ओकरा के पढ़ लीं.) गिरधारी राय के…

सीख भरल कविता

- अशोक कुमार तिवारी (एक) बैर बेलि जे उपजल भाई-भाई में, जइहैं दूनो जने जरुरे खाई में । नीक-जबून कहे से पहिले सोच लिहीं, जनि बोलीं कुछऊ कबहूँ अकुताई में।…

गजल – हीरालाल ‘हीरा’

- हीरालाल ‘हीरा’ सुर साधीं तऽ लय बिगड़े, बे-ताल के बनल तराना बा। जिनिगी गावल बहुत कठिन बा, उलझल ताना-बाना बा।। केतना अब परमान जुटाईं,अपना त्याग, समरपन के, अरथहीन अब…

एक कप चाय ला तरसि गइल भोजपुरी

मथैला पढ़ि के माथ घूमत होखे त घुमावले हमार मनसा बा. काहे कि आजु हम कुछ तीख परोसे जा रहल बानी. पूरा पढ़ि के देखीं आ सोचीं कि हमरा बाति…