स्व. कैलाश चन्द्र चौधरी उर्फ मास्टर साहब के कविता
खालऽ, खालऽ ए चिरई जवन तोहरा रुचे उड़ते खा, चाहे बइठ के खालऽचाहे अलोता कहीं ले जाके खालऽटुकी टुकी खालऽ चाहे लीलऽ सउसें.खालऽ, खालऽ ए चिरई जवन तोहरा रुचे. हई…
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खालऽ, खालऽ ए चिरई जवन तोहरा रुचे उड़ते खा, चाहे बइठ के खालऽचाहे अलोता कहीं ले जाके खालऽटुकी टुकी खालऽ चाहे लीलऽ सउसें.खालऽ, खालऽ ए चिरई जवन तोहरा रुचे. हई…
मुम्बई का विले पार्ले स्थित “नवीन भाई ठक्कर सभागार” में “अभियान” संस्था का सहयोग से आयोजित ‘सबरंग फिल्म स्टार सम्मान समारोह’ आ ‘भोजपुरी पंचायत’ वार्षिकोत्सव का अवसर प डा0 अशोक…
– डा॰ अशोक द्विवेदी फजीर होते, भीम आश्रम से निकलि के सीधे जलाशय का ओर चल दिहलन. माता के प्रातः दरसन आ परनाम का बाद, उनसे कुछ सलाह निर्देश मिलल.…
– डा॰ अशोक द्विवेदी अइसे त प्रकृति के एक से बढ़ि के एक अछूता, अनदेखा मनोहारी रूप ओह विशाल बनक्षेत्र में रहे बाकिर कई गो मुग्ध करे वाला जगह, हिडिमा…
– डा॰ अशोक द्विवेदी स्नान-पूजा का बाद जब कुन्ती अनमनाइल मन से कुछ सोचत रहली बेटा भीम का सँगे बाहर एगो फेंड़ का नीचे हँसी-ठहाका में रहलन स. हिडिमा के…
– डा॰ अशोक द्विवेदी एगो विशाल बटवृक्ष का नीचे पत्थर शिला खण्ड का टुकड़न से सजाइ के एगो चबूतरा बनावल रहे. वृक्ष का एकोर ओइसने पत्थर के चापट टुकड़न के…
– डा॰ अशोक द्विवेदी सोझा बन के कुछुए भीतर एगो बड़का झँगाठ फेंड़ का ऊपर से दू गो आँख ओनिये टकटकी बन्हले भीम आ उनका पलिवार का एक-एक हरकत के…
– डा॰ अशोक द्विवेदी भयावह आ भकसावन लागे वाला ऊ बन सँचहूँ रहस्यमय लागत रहे. जब-तब उहाँ ठहरल अथाह सन्नााटा अनचीन्ह अदृश्य जीव जन्तु भा पक्षियन का फड़फड़ाहट से टूट…
– डा॰ अशोक द्विवेदी गंगा नदी पार होत-होत अँजोरिया रात अधिया गइल रहे. दुख आ पीरा क भाव अबले ओ लोगन का चेहरा प’ साफ-साफ देखल जा सकत रहे. छछात…
दुर्गम बन पहाड़न का ऊँच-खाल में जिए वाला आदिवासी समाज के सहजता, खुलापन आ बेलाग बेवहार के गँवारू, जंगलीपना भा असभ्यता मानेवाला सभ्य-शिक्षित समृद्ध समाज ओहके शुरुवे से बरोबरी के…
मशहूर हिन्दी साहित्यकार दयानंद पाण्डेय के लिखल हिन्दी उपन्यास “लोक कवि अब गाते नहीं” भोजपुरी भाषा, ओकरा गायकी आ भोजपुरी समाज के क्षरण के कथे भर ना होके लोक भावना…