बांसगांव की मुनमुन – 8

by | Jan 9, 2024 | 0 comments

( दयानन्द पाण्डेय के बहुचर्चित उपन्यास के भोजपुरी अनुवाद )

धारावाहिक कड़ी के अठवां परोस, मुनमुन के जवानी

( पिछलका कड़ी अगर ना पढ़ले होखीं त पहिले ओकरा के पढ़ लीं.)

मुनक्का राय आ उनुकर अफ़सरान बेटा लोग मुनमुन के एह हुस्न अउर नज़ाकत से बेख़बर रहलें. राहुल के बिआह का बाद भाइयन में ना-जाने बारात में कुर्ता वाली घटना से भा कवनो दोसरा कारण से मनमुटाव के बीया पड़ गइल रहल. भा उनहन के व्यस्तता अउर शहरन के दूरी उनहन के अउर दूर करत रहुवे, ई समुझल कठिन रहल. बाकिर ई फ़रक मुनक्का राय साफ़े महसूस करत रहलें. अब जज साहब, ए.डी.एम. साहब, बैंक मैनेजर साहब के फ़ोने आइल कम ना हो गइल रहुवे, बलुक घर कइसे चलत बा एकरो सुधि केहू ना लेत रहुवे. अलबत्ता थाईलैंड से राहुल के फ़ोन हफ़्ता में एक दू बेर ज़रूर आ जात रहल. बाद के दिन में जब अम्मा घर ख़रचा अउर बीमारी आ दवा के दिक्क़त बतवली त राहुल रेगुलर त ना बाकिर गाहे-बगाहे कुछ रुपिया भेज देत रहुवे – हवाला का ज़रिए. बाकिर जइसे बांसगांव के हालात बिगड़ल जात रहुवे, ओही तरह मुनक्का राय के घर के आर्थिक हालातो बद से बदतर होखल जात रहुवे. आ अइसे में जब फ़ोन के बिल चार हज़ार रुपिया से अधिका के आ गइल त मुनक्का राय के माथा ठनकल.

ऊ टेलीफ़ोन आफ़िस जा के भिड़ गइलन आ बतवलन कि, ‘फ़ोन आवेला अधिका, कइल कम जाला.”’ बाकिर एस.डी.ओ. कुछ सुने के तइयार ना रहलन. उनुकर कहना रहल कि, ‘कम्प्यूटराइज़ बिल हवे, एहमें कुछ ना कइल जा सके. आगे से अपना किहाँ से होखे वाला काल पर कंट्रोल करीं.’ एह पर मुनक्का राय कहलन, ‘बाकिर एह बिल के जमा कहाँ से करीं ?’

‘अरे राउर बेटा लोग अतना बड़हन-बड़हन ओहदा पर बाड़ें, से दिक्क़त का बा ?’

‘अब का दिक्क़त बताईं हम रउरा के ? आ रउरा समुझब का ?’ मुनक्का राय तिलमिलइलन.

‘बूझनी ना.’ एस.डी.ओ. कहलन.

‘अरे, अब कवना बेटा का आगा हाथ पसारी कि ऊ टेलीफ़ोन के बिल जमा करवा दे ?’

‘ओह!’ एस.डी.ओ. समुझ गइलन मुनक्का राय के मुश्किल. कहलन, ‘लीं हम एकरा के दू पार्ट में कर देत बानी. दू बेर में जमा करा दीं. बाकिर फ़ोन पर या त डायनमिक लाक ले लीं भा बाज़ार वाला ताला लगा लीं. ना त ई दिक्क़त हर बेर आई.’

‘काहें आई ?’

‘एहसे कि फ़ोन त हो रहल बा. चाहे घर वाला करत होखसु भा बाहर वाला.’

‘ठीक बा.’

घरे आ के ऊ समस्या बतवलन त मुनमुन भड़क गईल. कहलसि, ‘हम कहीं फ़ोन-सोन ना करीं.’

‘हम करीलें ना, तोहार माई करीले ना, तूं करेलू ना त फोन करत के बा ? का भूत करत बा ?’

‘अब हमरा का मालूम ?’ मुनमुन फेरु भड़क गइल.

मुनक्का राय बेटी के एह भड़कला से दुखित हो गइलन. डायनमिक लाक के कोड वग़ैरह उनुका बुझाव ना से ऊ बाज़ार से ताला ले आ के फ़ोन में लगा दिहलन. अगिला बेर बिल डेढ़ हजार रुपिया के आइल. मुनक्का राय फेरु घर में झांय-झांय कइलन आ धिरवलन कि, ‘अगर अगिला बेर फेरु बढ़ल बिल आइल त फोनवे कटवा देब.’ टेलीफ़ोन के बिल चनरमा का तरह घटत-बढ़त रहल बाकिर एवरेज बिल कबहूं ना आइल. दिक्क़त ई रहल कि फ़ोन कटवावलो व्यावहारिक ना रहल. लईकन से संपर्क के इहे एगो पुल रहल. ख़ास क के थाईलैंड में राहुल से संपर्क के. बाकिर मुनमुन रहल कि मानते ना रहल. एने मुनक्का राय नोट कइलन कि राहुल के एगो पुरनका दोस्त के उनुका घरे आइल-गइल कुछ अधिके बढ़ गइल रहल. ऊ मुनमुन के माई से पूछबो कइलनकि, ‘ई हमरा घरे काहें आवल करेला !’

‘राहुल के दोस्त हवे. हालचाल लेबे आ जाला.’ ऊ बतवली.

‘बाकिर राहुल के रहत घरी त अतना ना आवत रहुवे, अब काहें आवत बा?’ ऊ पूछलन कि, ‘हमरा घर के हालचाल से एकरा का ?’

‘रउरा त बिना वजह शक करत बानीं. ‘

‘शक नइखीं करत. बाकिर घर में एगो जवान बेटी बिया. फ़िक्र त करहीं के पड़ेला.’

एने मुनक्का राय के फ़िकिर आ ओने बांसगांव के सड़कन पर मुनमुन राय के ज़िकिर. दुनू के ग्राफ़ बढ़ते जात रहुवे. होखे के त विनीता आ रीतवो एही बांसगांव में जवान भइली सँ. बाकिर मुनक्का राय के कवो ओहनी के चिंता ना करे के पड़ल रहुवे. भाइयन के लगातार बांसगांव आवत-जात रहला आ जब-तब बांसगांवे में रुक गइलो एगो बड़हन फ़ैक्टर रहल. औह दुनू बहिनन के एह तरह बहकत-चहकत ना देखलसि बांसगांव. ओहनी के जिकिरो बांसगाव के सड़कन पर ना सुनाइल. अंकुश में रहुवे ओहनी के जवानी अउर जवानी के धड़कन. बाकिर मुनमुन राय?

एक तो जज, अफ़सर, अउर बैंक मैनेजर के बहिन होखला के ग़ुरूर. दोसरे, बूढ़ माई-बाप के ढील अंकुश. तिसरे, जवानी के जादू. जवना में केहू दोसरा के रोक-टोक सिरिफ आ सिरिफ माहूरे लागेला. मुनमुनो के लागत रहुवे. अब ऊ बी.ए. फ़ाइनल में पढ़त रहुवे आ बांसगांव के सरहद लांघते राहुल के ओह दोस्त का बाइक पर लउकल करे. कबो कवनो मकई के खेत में त कबो ऊँख भा रहर के खेत में ओकरा साथे बइठल बतियावत लउकल करे. आ जे कहीं अकेलहूं रहे तबो गावत चले, ‘सइयां जी दिलवा मांगे लैं अंगोछा बिछाई के !’ ऊ गावत जाव, ‘हम दिल दे चुके सनम!’ आ अब ऊ मेक-अपो ख़ूब करे लागल रहुवे. बांसगांव में जब ओकरा के कवनो नया मनई देखे आ केहू से ओकरा बारे में जानल चाहे कि, ‘कवन हियऽ ई भइया !’ त सामने वाला जवाब देव, ‘अरे अफ़सर आ जज के बहिन हियऽ.’ फेरु जोड़े, ‘मत देखीह ओने, ना त आंख निकाल लिहें सँ सभ.’

बाकिर बात जब हद से ज्यादा बढ़ल त मुनक्का राय एक दिन घर में ओकर जम के क्लास लीहलन. मुनमुन जवाब में कुछ कहला का जगहा सीधे उनुका गरदन पर दुनू हाथ डाल के झूल गइल. एकदम से कवनो नान्ह गुड़िया जइसन. आ कहलसि, ‘लोगन के बात में काहें जाइले बाबू जी ! का हमरा पर रउरा भरोसा नइखे.’ ऊ कहलसि, ‘केहू का साथे बाइक पर बइठ गइला से भा कतहीं बईठ के बतियवला भर से का कवनो लईकी आवारा हो जाले ? सोसाइटी बदलत बावे बाबू जी, रउरो बदलीं. ई सड़ल-गलल दक़ियानूसी ख़याल दिमाग़ से निकाल फेंकीं. आ हमरा पर भरोसा करीं.’

मुनक्का राय मान गइलन. रीझ गइलन बेटी के एह आधुनिक ख़याल पर. पोल्हा गइलन ओकरा एह भोलापन पर. बाप के वात्सल्य प्रेम के चश्मा उनुका आंखिन पर चढ़ गइल. ऊ अबले जइसे बाकी लईकन पर भरोसा कइले रहलन, आंख मूंद के, मुनमुनो पर कर लीहलन. ओही घरी एक दिन ऊ अपना गाँवे गइलन. घर तो गिर-गिरा के घूर बन गइल रहल बाकिर बटाई पर दीहल खेती के हिसाब किताब करे. ओहिजे पता चलल कि गांव के प्राइमरी स्कूल में शिक्षा मित्र के भरती होखे वाला बा आ कि गिरधारी राय अपना एगो पतोह के शिक्षा मित्र बनवावे जात बाड़न. मुनक्का राय के कान खड़ा हो गइल ऊ ओहिजे तय कर लीहलन कि गिरधारी के पटकनी देबे के बा. आ चाहे जवन कुछ हो जाव उनुका पतोह के शिक्षा मित्र नइखे बने के देव. मुनक्का राय के आर्थिक हालात त अबहीं बिगड़ते रहल बाकिर गिरधारी राय के आर्थिक स्थिति चरमरा गइल रहुवे. मुनक्का राय का लगे बेटड के एगो परदेदारिओ रहल, आ वक्त-बेवक्त बेटा कामे आ सकत रहलें. आइबे करसु. बाकिर गिरधारी राय के सगरी बेटा निकम्मा हो चुकल रहले सँ, एगो ओमई के छोड़ के. आ ओमईओ किहां कवनो पइसा बरसत ना रहुवे, उहो जइसे-तइसे आपन गाड़ी खींचत रहल.

बहरहाल, मुनक्का राय निचला स्तर पर ग्राम प्रधान वग़ैरह का बजाय शहर जा के सीधे बेसिक शिक्षा अधिकारी से मिले के सोचलन. हालां कि एह घरी अइसन हो गइल रहल कि आदमी ज़िलाधिकारी से त तबहियों भेंट कर सकत रहुवे. बाकिर बेसिक शिक्षा अधिकारी त गूलर के फूल रहलन, ईद के चांद रहलन. उनुका से मिलल भगवान से मिलल रहल. ख़ैर, बहुते कोशिश का बाद बेसिक शिक्षा अधिकारी मुनक्का राय के मिल गइलन. मुनक्का राय अपना जज अउर ए.डी.एम. बेटन के हवाला दीहलन आ अपना बेटी मुनमुन के शिक्षा मित्र बनावे के प्रस्ताव रखलन. बेसिक शिक्षा अधिकारी मुनक्का राय के पी.सी.एस. बेटा धीरज के जानत रहल. कवनो जिला में कबो दुनू एके साथ रहलें. से ऊ मुनक्का राय के भरपूर आदर दीहलन आ या कहलन कि, ‘अइसन भाईयन के बहिन के शिक्षा मित्र बनल शोभा ना दी.’

‘बाकिर हमार सगरी बच्चा स्वाभिमानी हउवें सँ. संघर्षे कर के आगा बढ़ल बाड़े सँ, इहो जगह पा जाई त आगा बढ़ी. आ फेर ई शिक्षा मित्र के नौकरिए त आखिरी पड़ाव नइखे होखे जा रहल. ऊ कंपटीशनन में बइठी, मेहनत करी आ जरुरे कहीं ना कहीं चुना जाई.’ मुनक्का राय बेसिक शिक्षा अधिकारी के झांसा दीहलन आ ऊ मान लीहलन. बाकिर एने मुनमुन तइयार ना रहुवे. उहो इहे तर्क दिहलसि कि जज आ अफ़सर के बहिन हो के अतना छोट नौकरी ! शिक्षा मित्र के नौकरी ? मुनक्का राय समुझवलन कि अपना गोड़े खड़ा हो जइबू आ इहो कि कवनो काम छोटा भा बड़ा ना होखे. आखिरकार मुनमुनो मान गइल.

(उपन्यास के नायिका मुनमुन नौकरी लागल कि ना, आ ओकरा जवानी के किस्सा केने आ कवना राहे चलल एकरा ला अगिलका कड़ी के इंतजार करीं. जल्दिए लवटब अगिला कड़ी का साथे.)

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

हेल्थ इन्श्योरेंस करे वाला संस्था बहुते बाड़ी सँ बाकिर स्टार हेल्थ एह मामिला में लाजवाब बा, ई हम अपना निजी अनुभव से बतावतानी. अधिका जानकारी ला स्टार हेल्थ से संपर्क करीं.
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