आजु बरसल ह
- सुभाष पाण्डेय (एक) डेढ़ कोस दउरे के ताकत, सइ जोजन के राह, मनवाँ, बड़ा कठिन निरबाह। दुख दरियाव पीर पगडंडी सड़क कुटिलई काँट कहीं प्रीति के प्याऊ लउके उहवों…
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- सुभाष पाण्डेय (एक) डेढ़ कोस दउरे के ताकत, सइ जोजन के राह, मनवाँ, बड़ा कठिन निरबाह। दुख दरियाव पीर पगडंडी सड़क कुटिलई काँट कहीं प्रीति के प्याऊ लउके उहवों…
- शैलेन्द्र पाण्डेय शैल (एक) संउसे उमिर जियान भइल का गजल कहीं जियले बिपति के खान भइल का गजल कहीं। चाहत पियार इश्क के चक्कर बुरा चलल चोटहिल बड़ा परान…
- अशोक कुमार तिवारी (एक) बैर बेलि जे उपजल भाई-भाई में, जइहैं दूनो जने जरुरे खाई में । नीक-जबून कहे से पहिले सोच लिहीं, जनि बोलीं कुछऊ कबहूँ अकुताई में।…
- हीरालाल ‘हीरा’ सुर साधीं तऽ लय बिगड़े, बे-ताल के बनल तराना बा। जिनिगी गावल बहुत कठिन बा, उलझल ताना-बाना बा।। केतना अब परमान जुटाईं,अपना त्याग, समरपन के, अरथहीन अब…
-शशी प्रेमदेव (एक) खूब गतरे-गतर फरी केहू ठूँठ-जस देखि के जरी केहू रो रहल बा सिवान में कुक्कुर फेरु टूटी कहर... मरी केहू का बिरिध का सयान का लरिका फारि…
- अक्षय पाण्डेय (एक) सुनऽ धरीछन ! जिनिगी में बहुते जवाल बा छन भर हँसी-प्यार संग जी ले। पानी के जी भर उछाल के मुट्ठी में रेती सम्हाल के गुनऽ…
- दयाशंकर तिवारी (एक) नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ पीरा पसरे लगलि पोर पोर गोइयाँ। देहिये भइल आपन अपने के भारी निरदइया अबहीं…
(1) बखारी बास के चचरा गोल गोल मोडाईल ऊपर से खरई सरिया के बंधाईल माटी के लेप चचरा पे लेपाईल बखारी के रूप लेके खड़ियाइल फिर टीका लगल अगरबत्ती बाराईल…
(1) नून इक दिन बहुत हाहाकार मचल भात, दाल, तरकारी में। काहे भैया नून रूठल बा बइठक भइल थारी में। दाल-तरकारी गुहार लगईलक नून के बइठ गोरथारी में तरकारी कहलक…
रामजियावन दास बावला देश भयल आजाद मगर रण कै बरबादी पउलस के,सोचऽ आजादी पउलस के ? के के आपन खून बहावल,के आपन सर्वस्व लुटावल,केकर लड़िका बनै कलक्टर ई ओस्तादी पउलस…
(एक) फूल के, फर के, टपक-चू के निझा जाए के बा.के रहल, कइसन रहल एहिजे बुझा जाए के बा. फूल के पचकत तपन बन के जुड़ा जाए के बाए दिया…