अबहीं ले ना बिहान भइल का गजल कहीं

- शैलेन्द्र पाण्डेय शैल (एक) संउसे उमिर जियान भइल का गजल कहीं जियले बिपति के खान भइल का गजल कहीं। चाहत पियार इश्क के चक्कर बुरा चलल चोटहिल बड़ा परान…

सीख भरल कविता

- अशोक कुमार तिवारी (एक) बैर बेलि जे उपजल भाई-भाई में, जइहैं दूनो जने जरुरे खाई में । नीक-जबून कहे से पहिले सोच लिहीं, जनि बोलीं कुछऊ कबहूँ अकुताई में।…

गजल – हीरालाल ‘हीरा’

- हीरालाल ‘हीरा’ सुर साधीं तऽ लय बिगड़े, बे-ताल के बनल तराना बा। जिनिगी गावल बहुत कठिन बा, उलझल ताना-बाना बा।। केतना अब परमान जुटाईं,अपना त्याग, समरपन के, अरथहीन अब…

शशी प्रेमदेव के दुगो गजल

-शशी प्रेमदेव (एक) खूब गतरे-गतर फरी केहू ठूँठ-जस देखि के जरी केहू रो रहल बा सिवान में कुक्कुर फेरु टूटी कहर... मरी केहू का बिरिध का सयान का लरिका फारि…

सुनऽ धरीछन अक्षय पाण्डेय के पाँचगो गीत

- अक्षय पाण्डेय (एक) सुनऽ धरीछन ! जिनिगी में बहुते जवाल बा छन भर हँसी-प्यार संग जी ले। पानी के जी भर उछाल के मुट्ठी में रेती सम्हाल के गुनऽ…

दयाशंकर तिवारी के पाँच गो कविता

- दयाशंकर तिवारी (एक) नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ नाहीं लउके डहरिया के छोर गोइयाँ पीरा पसरे लगलि पोर पोर गोइयाँ। देहिये भइल आपन अपने के भारी निरदइया अबहीं…

उदय शंकर “प्रसाद” के कविता – बखारी, मजबूरी

(1) बखारी बास के चचरा गोल गोल मोडाईल ऊपर से खरई सरिया के बंधाईल माटी के लेप चचरा पे लेपाईल बखारी के रूप लेके खड़ियाइल फिर टीका लगल अगरबत्ती बाराईल…

उदय शंकर के दू गो कविता

(1) नून इक दिन बहुत हाहाकार मचल भात, दाल, तरकारी में। काहे भैया नून रूठल बा बइठक भइल थारी में। दाल-तरकारी गुहार लगईलक नून के बइठ गोरथारी में तरकारी कहलक…

सोचऽ आजादी पउलस के

रामजियावन दास बावला देश भयल आजाद मगर रण कै बरबादी पउलस के,सोचऽ आजादी पउलस के ? के के आपन खून बहावल,के आपन सर्वस्व लुटावल,केकर लड़िका बनै कलक्टर ई ओस्तादी पउलस…