शंका के समाधान ह मानस
– शिवानंद मिश्र शिकारी लहलह हरीयर धान ह मानस, चाउर पुरान चिरान ह मानस, तुलसीजी के थान कहीं कि कामधेनु दुहान ह मानस । गुरू बसीठजी के जजमान के सुनर…
First Bhojpuri.website
– शिवानंद मिश्र शिकारी लहलह हरीयर धान ह मानस, चाउर पुरान चिरान ह मानस, तुलसीजी के थान कहीं कि कामधेनु दुहान ह मानस । गुरू बसीठजी के जजमान के सुनर…
– रामसागर सिंह दहेज लीहल बाउर बात ह… आपन बियाह भइला के बाद, दहेज लीहल बाउर बात ह… बेटा के बियाह कइला के बाद, ओइसहुँ कुछु माँगल ठीक ना ह……
– लाल बहादुर सिंह पंडित दयाशंकर तिवारी जी द्वारा के लिखल कवितन के संकलन वाली पुस्तक “नाहीं लउके डहरिया के छोर” के लोकार्पण, विमोचन के उत्कृष्ट कार्यक्रम पूरा होखते हमरा…
– गणेश नाथ तिवारी आजु महाकवि राधामोहन चौबे ‘अंजन’ जी के जनमदिन ह आ ई हमार सौभाग्य रहल कि साल 2014 में अंजन जी से हमार भेंट भइल रहे. उहाँ…
– डॉ कमलेश राय, (एक) समाज आज कऽ जाने कइसे रही निरोग बढ़ल जात बाटे दिन पर दिन अब अखबारी लोग । झूठ, फरेब, जाल, तिकड़म के बा गोरखधंधा निपट…
(एक) बेंड़ल बजर किंवाड़, यार अइले, चलि गइले ! ना सुनि परल पुकार, यार अइले, चलि गइले ! सूरज-चन्दा कऽ जोती से, तरइन का झिलमिल से, शान्त गगन कऽ मौन…
– भरत मिश्रा ऊ कइसे लिखिहे चिट्ठी हमरा के जमाना का दौड़ में फोन आ गइल. हम सोचनी जा के मिलब उनसे शहर बनला से उनुकर घरवे बिला गइल. कबो…
– संतोष पटेल हाथी त अब रहल ना, बाकिर सीकड़ बाचल बा. नदी त सूख गइल, अब कीचड़ बाचल बा. नीक रहे जे ऊ सभ, दुनिया से चल गइल. बेचत…
– राकेश कुमार पाण्डेय (1) माटी धूर क गंवई जिनगी, गइया भईंस चराईं। खेती-बारी भीर बहुत बा, फुरसत ना हम पाईं। भोरहटिये से सानी-पानी, चउवा नाद लगाईं। गोबर-गोंइठा दूधवा दूहत,…
“जय भोजपुरी – जय भोजपुरिया” परिवार के सलाना भोजपुरी साहित्यिक आ सांस्कृतिक महोत्सव 22 नवंबर 2023, दिन बुधवार के भोजपुरी के धाम अमही मिश्र, भोरे, गोपालगंज में होखे जा रहल…
– संगीत सुभाष बदरी आवऽ हमरी नगरी, नजरी डगरी ताकति बा। सूखल पनघट, पोखर, कुइयाँ असरा गिरल चिताने भुइयाँ छलके नाहीं जल से गगरी, नजरी डगरी ताकति बा। बूढ़ लगे…