खबर पुरान बा बाकिर काम के बा. देर एहसे भइल कि भोजपुरी के मठाधीशन के मालूमे नइखे कि कवनो अइसनो वेबसाइट बावे जवन एकइस बरीस से अधिका से दुनिया में भोजपुरी के अलख जगावे में लागल बावे. जब दुनिया में कतहीं कवनो वेबसाइट भोजपुरी भाषा में ना निकलत रहे ओह समय अंजोरिया के शुरुआत कइले रहनी. ओकरा बाद से केतने लोग आइल, चल गइल बाकिर अंजोरिया अपना जगहा मौजूद बिया. ठकुरसुहाती ना बतियावे का कमजोरी का चलते अंजोरियो के लोग भाव ना देव काहें कि इहो केहू के फालतू में भाव ना देव. खैर, शिकवा शिकायत त बनल रही, चलीं मुद्दा पर.
कहल जाला कि दुनिया में तीस करोड़ से अधिका लोग भोजपुरी भाषी हवे. बाकिर इहो कह देला लोग कि भोजपुरी भाषा से अधिका बोली हिय. आ जब बोली हिय त हिन्दी वाला एकरा लिलारे चन्दन कइसे चढे दीहें ! भोजपुरी के संविधान के अठवीं अनुसूची में जगहा ना मिल पावे एकरा ला सबले पुरजोर कोशिश भोजपुरिए इलाका के मूर्धन्य हिन्दी साहित्यकार करे में लागल रहेलें. हद त तब हो गइल जब बलिया से सांसद चन्द्रशेखर देश के प्रधानमंत्री बनलन त डोगरी के शामिल करा दिहलन बाकिर भोजपुरी से कगरिया गइलन. एकरा पाछे का कारण रहल से बहुते लोग बहुते तरह से बतावेला आ हम ओह में नइखीं पड़ल चाहत.
भोजपुरी में कई सौ संस्था बाड़ी सँ अखिल भारतीय से ले के अखिल विश्व तक ले के. अबहीं ले अखिल ब्रह्माण्ड भोजपुरी साहित्य सम्मेलन नइखीं सुनले बाकिर हो सकेला कि हमरा जानकारी में ना होखे बाकिर कहीं ना कहीं कवनो बोर्ड पर, कवनो लेटर पैड पर ओकर अस्तित्व होखे से हम इन्कारो नइखीं कर सकत. अपना लइकाईं का दिन में हमरे गाँव में एगो अखण्ड भारत सम्राट रहलन जे आए दिन प्रधानमंत्रियन के लिखित आदेश भेजत रहलन. अब ऊ चिट्ठी या त डाके विभाग गायब कर देत होखी भा पीएम आफिस के कूड़ादान में सुशोभित होखल करत होखी.
भोजपुरी सिनेमा के दुसरका दौर का दौरान तीन गो सुपर स्टार रहलन मनोज तिवारी, रविकिशन, आ निरहुआ. पवन सिंह आ खेसारीलाल के तब कवनो चरचे ना रहल. आ तीनों सुपर स्टार एक दोसरा के सुपर प्रतिद्वन्वी रहलन. इयाद बा हमरा जब बनारस में जब एह तीनो लोगन के जुटान एगो फिल्म समारोह ला भइल रहल त ओहमें कतना मेहनत से एह लोग का बीच के संघर्ष मेटावल गइल. आ संजोग देखीं कि तीनों के तीनो भाजपा का तरफ से सांसदो बन गइलन. मनोज तिवारी आ रविकिशन त अबकियो जीत के आ गइलन बाकिर निरहुआ ना आ पवलन. अब ई लोग भाजपा के फायदा उठावल कि भाजपा एह लोगन से फायदा उठवलसि ई शोध के विषय बन जाई आ ऊ हमरा वश के काम नइखे.
संसद में आपन निजी विधैयक पेश करत रविकिशन कहलन कि – “भोजपुरी भाषा केवल अश्लील गीतों तक ही सीमित नहीं है, बल्कि इसका एक समृद्ध सांस्कृतिक इतिहास और साहित्य है, जिसे बढ़ावा देने की जरूरत है. बहुत से लोग इस भाषा को बोलते और समझते हैं. यह हमारी मातृभाषा है.” भुला गइलन कि सिनेमा में अपना शुरुआती दौर में उनुके गावल एगो भोजपुरी गाना बहुते चर्चित हो गइल रहुवे आ ओकरा चलते उनुका बोलबाजियो – ट्रालिंग – झेले के पड़ल रहल. खैर वह जवानी जवानी नहीं जिसकी कोई कहानी न हो. हर केहू कमो बेस वइसनका दौर से गुजरल होला. केहू मी टू के विषय बन जाला बाकी लोग बाँच जाला.
आजु हम एगो ना दू गो वीडियो शेयर करे जात बानी. पहिलका रविएकिशन के गावल गाना – लहंगा उठा देब रिमोट से
आ दुसरका संसद में उनुकर भाषण –
रउरा सोचत होखब कि आजु के एह लेख के मथैला में हम सरकार के लहंगा रिमोट से उठावे के बात काहे कइले बानी. त जान जाईं कि भोजपुरी के मान्यता देबे के वायदा हर चुनाव का बेरा करे वाली भाजपा सरकार बनते भुला देले भोजपुरी के. एगो देखावा करे ला एह तरह के वितण्डा कर दीहल जाला. पिछलको संसद में रविकिशन एही तरह के विधेयक ले के आइल रहलन. बाकिर ऊ कालातीत हो गइल. कालातीत होखे के मतलब कि पिछलका लोकसभा के जीवन में ऊ विधेयक चरचा ला पेश ना हो सकल. अबकियो के विधेयक के परिणति अइसने होखे वाला बा.
एह बारे में जब हम भोजपुरी के कुछ सक्रिय लोगन से बतियावे चलनी त भोजपुरी जन जागरण अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संतोष पटेल के कहना रहल कि –
1970 के बाद से कवनो प्राइवेट मेंबर बिल पास भइल बा का? गोरखपुर से सांसद रवि किशन शुक्ला पिछला पांच साल से एगो ना दू दू गो प्राइवेट मेंबर बिल ले कर के आइल रहस। का हश्र भइल?पहिला भोजपुरी के आठवीं अनुसूची में शामिल करावे के प्राइवेट मेंबर बिल रहे आ दूसर जनसंख्या नियंत्रण के। का भइल ओकर हाल?
अब फेर एही शुक्रवार ( 26 जुलाई, 2024) के भोजपुरी संविधानिक मान्यता खातिर प्राइवेट मेंबर लेके रविकिशन शुक्ला फेर से लोकसभा में अइलें।
सवाल बा जब मनोज तिवारी, रवि किशन आ निरहू (अब हार गईले) पिछला बेर मजबूती से लोकसभा (सदन) में रहे लो त सरकार में रह के बकार काहे ना फुटल?हमनी भोजपुरी जन जागरण अभियान के आंदोलन के ठीक पहले पावर सेंटर के राजनीति करे वाला भोजपुरी के मान्यता के मांग के डाइल्यूट कर देलें।
देखीं सरकार के बैठल आदमी के सरकार केतना बात मानत बिया।
त दिल्ली सरकार के मैथिली भोजपुरी अकादमी के उपाध्यक्ष रहल आ भोजपुरी ला अनवरत काम करत अजीत दूबे जी के कहना रहल कि –
18 वीं लोकसभा में पुनः भोजपुरी भाषा के मान्यता ख़ातिर प्राइवेट मेंबर बिल शुक्रवार 26 जुलाई के प्रस्तुत कर माननीय रविकिशन जी सब भोजपुरी भाषी लोगन के भावना के सम्मान कईलन.आशा कईल जाऊ कि बिल पर चर्चा भईला पर सब भोजपुरी भाषी/प्रेमी सांसद लोग आपन पूर्ण समर्थन दीही लोग.उहां के बतवनी कि भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता दिआवे ला प्राइवेट मेंबर बिल लोकसभा में प्रस्तुत करे खातिर गोरखपुर के सांसद रविकिशन जी के 20 करोड़ भोजपुरी भाषियन का तरफ से आभार आ साधुवाद. दूबे जी कहनी कि भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता के प्रश्न संसद में 1969 से लगातार उठावल जा रहल बा. सबसे पहिले साल 1969 में चउथी लोकसभा में सांसद श्री भोगेंद्र झा एह बारे में प्राइवेट मेंबर बिल ले के आइल रहलन. 1969 से लेके आजुले संसद में भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता खातिर 21 बेर निजी विधेयक पेश कइल जा चुकल बा. एकरा अलावे कई बार स्पेशल मेंशन, कई बार ध्यानकर्षण प्रस्ताव त कई बेर शून्यकाल का दौरानो एह मुद्दा के संसद में उठावल गइल बा. उम्मीद जतावत दूबे जी कहनी कि सरकार 18वीं लोकसभा में आइल एह प्राइवेट मेंबर बिल पर विचार करी आ भोजपुरी के संवैधानिक दर्जा दे दी.
अजीत दूबे जी के उमेद होखे त होखे, हमरा त इचको उमेद नइखे आ रविकिशन अपना रिमोट से सरकार के लहंगा उठाइए दीहें.
बिहार विश्वविद्यालय में भोजपुरी के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर जयकान्त सिंह जय जी से जब एह बाबत बतियवनी त उहां के बारह पन्ना के सामग्री भेज दिहले बानी. आ हमार हाल दिल्ली के एगो न्यायालय के स्पेशल जज रहल न्याय बिंदू वाला हो गइल बा. उनुका लगे समय ना रहल कि ईडी का तरफ से पेश हजार पन्ना के सुबूत देखती भा पढ़ती जब कि उनुका हड़बड़ी रहल कि जमनात त देबहीं के बा. प्रोफेसर जय जी के भेजल सामग्री पर एगो पूरा लेखे लिखब, बाकिर कुछ दिन बाद.
गोरखपुर के मूल निवासी आ पत्रकार रहल हिन्दी के मूर्धन्य साहित्यकार दयानन्द पाण्डेय जी कहनी कि एह तरह के नौटंकी कइला के का जरुरत. अगर भाजपा सरकार चाहत होखे कि भोजपुरी के संवैदानिक मान्यता दे दीहल जाव त सीधे सरकारी बिल ले के आवे. हाथ घूमा के नाक छुवला के का जरुरत !