भोजपुरी साहित्य के समृद्धि में विमल के डायरी ‘नीक-जबून’
डॉ अर्जुन तिवारी न समझने की ये बातें हैं न समझाने कीजिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की. फिराक गोरखपुरी…
डॉ अर्जुन तिवारी न समझने की ये बातें हैं न समझाने कीजिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की. फिराक गोरखपुरी…
डॉ अशोक द्विवेदी एगो जमाना रहे कि ‘पाती’ (चिट्ठी) शुभ-अशुभ, सुख-दुख का सनेस के सबसे बड़ माध्यम रहे। बैरन, पोस्टकार्ड,…
रामरक्षा मिश्र विमल भोजपुरी दू डेग आगे त हिंदी दू डेग पाछे हिंदी के कुछ तथाकथित विद्वान एह घरी भोजपुरी…
दू दिन पहिले विमल जी के पत्रिका सँझवत के जानकारी आ सामग्री मिलल. एने कई एक महीना से हम थाकल…
– अशोक द्विवेदी लोकभाषा भोजपुरी में अभिव्यक्ति के पुरनका रूप, अउर भाषा सब नियर भले वाचिक (कहे-सुने वाला) रहे बाकिर…
– सौरभ पाण्डेय भोजपुरी के भासाई तागत भर ना, बलुक एकर आजु ले बनल रहला के तागत प केहू निकहे…
– डॉ प्रकाश उदय भइया हो, (पाती के संपादक) जतने मयगर तूँ भाई, संपादक तूँ ओतने कसाई। लिखे खातिर तहरा…
– डॉ अशोक द्विवेदी हम भोजपुरी धरती क सन्तान, ओकरे धूरि-माटी, हवा-बतास में अँखफोर भइनी। हमार बचपन आ किशोर वय…
– डा0 प्रकाश उदय केहू दिवंगत हो जाला त आमतौर पर कहल जाला कि भगवान उनुका आत्मा के शांति देसु।…
– डॉ अशोक द्विवेदी सोशल मीडिया का एह जमाना में वाट्स ऐप,फेसबुक पर, नोकरी-पेशा आ स्वरोजगार में लागल, पढ़ल –…
– डॉ अशोक द्विवेदी कविता के बारे में साहित्य शास्त्र के आचार्य लोगन के कहनाम बा कि कविता शब्द-अर्थ के…