लाजे भवे बोलसु ना आ सवादे भसुर छोड़सु ना

भोजपुरी के पहिलका वेबसाइट होखला का नाते ई हमार जिम्मेदारी होखे के चाहीं कि हम भोजपुरी के विकास आ बढ़न्ती ला हर संभव सहजोग करीं. एही उद्देश्य से आजु से…

उल्था आ उलटबाँसि (बतकुच्चन – 206)

आजु ढेर दिना बाद बतकुच्चन लिखे बइठल बानी. करीब पाँच बरिस पहिले हर हफ्ता एगो बतकुच्चन लिखल मजबूरी जइसन रहत रहे. काहें कि कलकत्ता (आजु के कोलकाता) से छपे वाली…

एक कप चाय ला तरसि गइल भोजपुरी

मथैला पढ़ि के माथ घूमत होखे त घुमावले हमार मनसा बा. काहे कि आजु हम कुछ तीख परोसे जा रहल बानी. पूरा पढ़ि के देखीं आ सोचीं कि हमरा बाति…

भिखारी ठाकुर के जयन्ती का अवसर पर स्मरण

भोजपुरी लोक-रंग के प्रतीकःभिखारी - डॉ0 अशोक द्विवेदी अपना समय सन्दर्भ में भिखारी ठाकुर, अपना कला-निष्ठा आ कबित-विवेक वाला रंग-कर्म से अपना समय के सर्वाधिक लोकप्रिय कलाकार रहलन। ऊ लोकनाट्य-परम्परा…

बोली-भाषा के कविता : आ ओकरा सुघराई के गाँहक

भोजपुरी दिशा-बोध के पत्रिका पाती के नयका अंक आ गइल। पेश बा ओकरा संपादक डॉ0 अशोक द्विवेदी जी के "हमार पन्ना" - एघरी कविता जवना लूर-ढंग , शैली आ कलात्मक…

भोजपुरी भाषा के सरकारी उपेक्षा आ अन्याय का खिलाफ भोजपुरियन के आवाज

हिन्दी भाषा परिवार में बड़की बहिन होखला का बावजूद भोजपुरी भाषा के जवन सरकारी उपेक्षा हो रहल बा ओह अन्याय का खिलाफ रहि रहि के भोजपुरियन के शिकायत भरल आवाज…

बतरस आ पाती

अनिल कुमार राय ‘आंजनेय’ भोजपुरी अइसन भाषा ह, जवना पर केहू गुमान करि सकेला. एह भाषा के जेही पढ़ल, जेही सुनल, जेही गुनल ऊहे अगराइल, ऊहे धधाइल, ऊहे सराहल, ऊहे…

सँझवत के नयका अंक

भाषा, साहित्य, संस्कृति अऊर शोध के भोजपुरी त्रैमासिक पत्रिका सँझवत के नयका अंक पढ़े ला ओकर पीडीएफ फाइल डाउनलोड क के पढ़ लीं. https://www.anjoria.com/wp-content/uploads/2021/04/Sanjhavat-7.pdf

भोजपुरी साहित्य के समृद्धि में विमल के डायरी ‘नीक-जबून’

डॉ अर्जुन तिवारी न समझने की ये बातें हैं न समझाने कीजिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की. फिराक गोरखपुरी दुख-सुख, हर्ष-विषाद, आशा-निराशा, हानि-लाभ, जीवन-मरण, यश-अपयश के चलते हमनी के…

पढ़े-लिखे वाला पाठक, पठनीयता आ “पाती” – हमार पन्ना

डॉ अशोक द्विवेदी एगो जमाना रहे कि 'पाती' (चिट्ठी) शुभ-अशुभ, सुख-दुख का सनेस के सबसे बड़ माध्यम रहे। बैरन, पोस्टकार्ड, अन्तर्देशी आ लिफाफा में लोग नेह-छोह, प्रेम-विरह, चिन्ता-फिकिर, दशा-दिशा आ…

भोजपुरी के गँवारू भाषा जनि बनाईं (सँझवत-2 के संपादकीय)

रामरक्षा मिश्र विमल भोजपुरी दू डेग आगे त हिंदी दू डेग पाछे हिंदी के कुछ तथाकथित विद्वान एह घरी भोजपुरी पर आपन-आपन ब्रह्मास्त्र चलावे में लागल बा लोग. ऊहन लोग…