शिवानी सिंह का गाना रील वाला लईका रिलीज

by | Feb 16, 2024 | 0 comments

ढेर दिन हो गइल मनरंजन करेवाला कवनो पोस्ट ना डलनी. आजु भोजपुरी गवनई देखावत एगो पोस्ट अँजोर करे जात बानी. अधिका लोग के नीक लागी बाकिर कुछ लोग मुँह बिचकइबो करी. अँजोरिया पर हमार कोशिश रहेला कि भोजपुरी से जुड़ल हर रंग परोसत रहीं. बहुते भोजपुरिया अइसन बाड़ें जिनका घर-परिवार में भोजपुरी ना बोलल जाला. अपना मित्रोमण्डली में ई लोग भरसक भोजपुरी ना बोले चाहे काहें कि एह लोग के लाज लागेला कि कहीं लोग उनुका के गँवार मत बूझि लेव. हमरा त अपना गँवार भइला के गौरव बा.

एने कुछ दिन से अँजोरिया पढ़े-देखे वालन के गिनिती हजार का ऊपर जाए लागल बा आ एहसे हमरो उत्साह बढ़ल कि भोजपुरी में पहिलका वेबसाइट आपन पुरनका लोकप्रियता फेरू हासिल कर ली. रउरा पता ना पहिलका बेर आइल बानी कि नियमित पाठक हईं. अगर नियमित पाठक हईं त शायद रउरा मालूमो होखी कि पुरनका अँजोरिया भोजपुरी साहित्य के खजाना भरल बा. दिक्कत बा कि ओकरा के तब साधारण एचटीएमएल साइट का रूप में परोसत रहीं. जबसे वर्डप्रेस के सुविधा आ गइल तबसे काम बहुते आसान हो गइल. पाठक आराम से अपना पसंद के पोस्ट, लेख, कविता, कहानी, राजनीति, फिल्मी खबर, गीत गवनई के आनंद ले सकेलें. अगर रउरा नया आइल बानीं त एक बेर पुरनको अँजोरिया जरूर देखीं. सब कुछ बेतरतीब छितराइल मिली बाकिर ओही में रउरा बहुत कुछ अउसन मिल जाई जवन रउरा के पुरनका अँजोरिया के नियमित पाठक बना दी.

आजु जब ई पोस्ट लिखे चलनी त इयाद पड़ गइल डॉ अशोक द्विवेदी जी के कुछ कविता. ओहिमें से एगो रहुवे गाँव के कहानी -3. सबसे पहिले ओह कविता के रस ले लीं – पूरा कविता एहिजा ना डालब काहें कि तब रउरा पुरनका अँजोरिया खोलब कइसे. त ओह कविता में द्विवेदी जी लिखले बानी कि –

कवना अँतरा समा गइल,
मिलि-बइठि के गावे वाला
लोग आ लोकराग ?
कहवाँ लुका गइल
चइता, कजरी आ फाग ?
फिल्मी लागऽता मनभावन
ना त फूहर कैसेट से हो ता मनसायन
नवहा त नवहा,
ठावाँ ठई
बुढ़वो मूड़ी डोलावत बाड़न सऽ !
xxxx
नीमन नीमन चीझु लेखा
नीमन लड़िकवो शहर चलि गइलन स
रहि गइलन स बुड़बक, भकोल
ना त टेढ़ुवा तिरछोल
बनि गइलन सऽ चट्टी के चंडाल
पोसुआ ठीकेदार, ना त गँवई मोख्तार.
केहू के केहू से बझा के,
उल्लू सीधा हो जाय, बस
सझुरावल त दूर, अउरी अझुरइहन स
बात सुनऽ एक लाख क
लज्जत दूइयो पइसा के ना !

कविता लमहर बा. आ एह कड़ी में तीन गो कविता बाड़ी सँ. तीनों के एक बेर पढ़ीं जरूर. त एह कविता में जवन वेदना गाँव के कहानी कहत मे उभरल बा उहे वेदना वाला हाल भोजपुरिओ के बा. नीमन नीमन चीझु लेखा, नीमन लड़िकवो शहर चलि गइलन स, रहि गइलन स बुड़बक, भकोल, ना त टेढ़ुवा तिरछोल. बनि गइलन सऽ चट्टी के चंडाल पोसुआ ठीकेदार, ना त गँवई मोख्तार.

भोजपुरी में जे बढ़िया लिखे वाला रहल. जे बढ़िया गावे वाल रहलें, सभे दूर चलि गइल. या त ओह लोग के कदरदान ना भेंटइलें, भा ओह लोग के सोझा ले आवे वाला साधन ना मिलल. आम भोजपुरिया आ खास भोजपुरिया में एगो बड़हन अंतर होला. आम भोजपुरिया भोजपुरी बोलेला, भोजपुरी में बतियावेला, भोजपुरी सिनेमा देखेला आ भोजपुरी गीत गवनई के आनन्द लेत रहेला. साँच कहीं त एही गीत-गवनई भोजपुरी के जियवले रखले बावे. ना त खास भोजपुरिया त कवनो कसर ना छोड़ेलें कि भोजपुरी के हत्या कइसे कर दीहल जाव कि रहबो ना करे आ ओकरा हत्या के आरोपो ना लागे ओह लोग पर. ई खास भोजपुरिया मुंबई-दुबई वगैरह में अन्धाधु्न्ध कमाई का बल पर अपना ला एगो पहचान पैदा करेला भोजपुरी के कवनो अखिल भारतीय, भा अखिल विश्व, भा हो सके त अखिल ब्रह्माण्ड भोजपुरी सम्मेलन भा संस्थान खोल लेबेलें. कुछ लोग अपना-अपना जाति के गिरोह बना के रखले बा. कुछ लोग समय-कुसमय कवनो ना कवनो गोष्ठी समारोह करत रहेलें जवना में ऊ इनका के सम्मानित करेलें आ अपना समारोह में ई उनुका के. अदाज इहे रहेला कि तूं हमरा ओरी ताकऽ हम तोहरा ओरी ताकीं.

बहुत मेहनत से हम अँजोरिया के एह सब बेमारियन से दूर रखले बानीं. हर समूह के लिखनिहारन के मौका मिलत रहेला बशर्ते ऊ आपन रचना हमरा के अँजोर करे ला भेजत रहसु. अब केहू भेजबे ना करी त हम उनुकर चिरअउरिओ करीं से हमरा से पार ना लागे. ना त हमरा कवनो सम्मान-पुरस्कार के जरुरत लागल ना हम केहू के सम्मान-पुरस्कार देबे के आयोजन करीलें.

बाति कहवाँ से निकलल आ कहवाँ ले आ गइल. चलीं लवटल जाव भोजपुरी मनरंजन करे वाला एगो गीत का तरफ.

हालही में गायिका शिवानी सिंह के एगो गाना यू ट्यूब पर आइल बा. एह गाना में नायिका के रील वाला लईका पसंद आ जात बा. ओकरे पर ई गीत बनल बा. एकर गीतकार अजीत मंडल, संगीतकार आर्य शर्मा, निर्देशक वेंकट महेश, रचनात्मक निर्देशक नितेश सिंह, आ नृत्य निर्देशक हउवें प्रेम शर्मा.

रील बनावे वालन का बारे में त रउरा सभे जानते होखब. यूट्यूब, इंस्टाग्राम वगैरह सोशल साइटन पर रीलन के बाजार लागल रहेला. गाना के मथैला सोझ भाव से राखल बा – रील वाला लईका. एकर फिलिमो आवे वाला बा शायद. ओकरा बारे में जब पता चली त जरुरे बताएब.

रउरा सभे सुनीं आ पार लागे त नीचे दीहल कमेंट बाक्स में आपन टिप्पणी जरूर टीप दीं. रउरा ला ना त हमरा ला राउर टिप्पणी संजीवनी के काम करी. आ चलत चलत एगो निहोरा. अगर भोजपुरी के एह पहिलका वेबसाइट के सहयोग करे के चाहीं त बगल में दीहल लिंक से आपन अभिदान भेज सकीलें. कम से कम जवन पोस्ट नीमन लागे तवना के अपना-अपना व्हाट्सअप ग्रूप में जरूरे डाल दीहल करीं.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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