आजु व्हाट्सअप पर सूचना मिलल कि भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका पाती का तरफ से एगो सजीव प्रसारण होखे जा रहल बा. चेता त दीहल रहुवे कि एह कार्यक्रम में श्री शशिदेव प्रेम जी के हिन्दी कविता संग्रह के विमोचन होखे जा रहल बा. बाकिर साथही इहो बतावल गइल रहल कि पाती पत्रिका के 103 वां अंको के विमोचन कइल जाई.
बरीसन से पाती पत्रिका आ डॉ अशोक द्विवेदी जी से जुड़ल रहल बानी त स्वाभाविक उत्सुकता रहबे कइल आ चहुँप गइनी प्रसारण देखे खातिर. आदत बिगड़ल बा यूट्यूब के वीडियो देखि-देखि के बोरियत होखे त आगा खसका दीं भा जब मन करे, जहँवे से मन करे, तहँवे से देख ली. फेसबुक के सजीव प्रसारण देखे के ई हमार पहिलका मौका रहुवे त ओकरो उत्कंठा अलगा रहल.
सजीव प्रसारण त ना जाने कब शुरु भइल रहुवे, आ कतना देर ले चलल एकरा बारे में हमरा ना त अनुभव रहुवे ना जानकारी. गनीमत रहल कि फेसबुक लिंक खुलला का बाद शुरुआते से शुरु भइल.
शुरुआत कइलन भोजपुरी के बहुमुखी व्यक्तित्व मनोज भावुक जिनका से हमार पुरान परिचय रहल बा. परिचय त मंच पर आसीन सभका से रहल बा – एगो हरिराम पाठक जी के छोड़ि के – भोजपुरी विश्व साहित्य सम्मेलन के अध्यक्ष अजीत दूबेजी, जेपी द्विवेदी जी, केशव मोहन पाण्डेयजी, शशि प्रेमदेव जी, आ सबले घनिष्ठ डॉ अशोक द्विवेदी जी सभका से. अलगा बाति कि छोटहन मनई बड़कन से भइल भेंट के धरोहर बना के मन में रखले रहेला आ बड़का मनइयन के यादो ना रहे कि एह आदमी से कब कहाँ भेंट भइल रहुवे. खैर चलीं कार्यक्रम का ओर लवटल जाय.
त कार्यक्रम के शुरुआत होखते मन हदसि गइल कि भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका पाती अब कवना दिशा के बोध करावल चाहत बिया. का कहल चाहत बिया कि भोजपुरी के कवनो भविष्य नइखे आ हिंदी के सहारा लेबहीं के पड़ी ? हमरा मुँहदेखी बतियावे ना आवे. हम हिंदी में काम करेनी, पढ़ेनी, लिखेनी बाकिर हिंदी के प्रशंसा हमरा तनिको ना सुहाव. काहें कि भोजपुरी के दुर्दशा के सबले बड़का दोष ओही लोग के बा जे रहल त भोजपुरी इलाका के, बाकिर हिंदी के मशहूर साहित्यकार बन गइल लोग. एह बाति ला ओह लोग से कवनो शिकायत नइखे कि ऊ लोग हिंदी के साहित्यकार काहें बनल. शिकायत एहपर बा कि ऊ लोग भोजपुरी के राह में काँटा काहे बिछावत गइल. जब जब भोजपुरी के संवैधानिक मान्यता के सवाल उठल तब तब एही में से कुछ लोग रहल जे कहल कि भोजपुरी के भाषा का रुप में मान्यता ना मिले के चाहीं. बलिए से सांसद बन के आइल आ बाद में देश के प्रधान मंत्री बनल दाढ़ी बाबा – जिनका के बाकी दुनिया चन्द्रशेखर का नाम से जानेला. समाजवादी रहलन से सिंह कहाए में लाज लागत रहुवे. ओही चन्द्रशेखर का प्रधानमंत्री रहते नेपाली भाषा के मान्यता मिल गइल बाकिर भोजपुरी के ना मिल सकल. अब कहे वाला ओह मान्यता का पीछे के कारणो के जिक्र करेलें जवना के जिक्र हमरा मुनासिब नइखे लागत. खैर, बाति फेरु बहकि गइल. एह घरी बहुते बहकहूं लागल बा. मन में कुछ कड़ुवाहट सहज नइखे होखे देत. ओहि कड़ुवाहट का चलते हम अँजोरिया के चाल-चरित्र-चेहरो बदले के जोखिम ले लिहनी. बरीसन से पोसल आपन फेसबुक अकाउंट बंद कर दिहनी. काहें कि केहू के अब इयाद ना आवे अँजोरिया. बीसवां सालगिरह पर बहुते महान-महान भोजपुरियन से निहोरा कइनी कि दू लाइन के शुभकामना संदेश भेज दीं. बाकिर दू चार लोग के छोड़ बाकी लोग का लागल ई उनुका सम्मान का खिलाफ होखी कि ऊ अँजोरिया ला शुभकामने करत देखल-सुनल जासु.
हँ, त सजीव प्रसारण के शुरुआत हिंदी में होखते मन तिताह हो गइल. गनीमत रहल कि कुछ देर बादि भोजपुरी लवटि आइल कार्यक्रम में आ बाद के सगरी वक्ता भोजपुरी में आपन बाति कहलें. चरचा से पता चलल कि भोजपुरी दिशाबोध के पत्रिका पाती फेरु एगो नया आधुनिक आयाम देबे जा रहल बिया भोजपुरी के. आ एह काम का पीछे एके गो नाम बावे आ ऊ हवे प्रगति द्विवेदी जी के. साधन संपन्नता उनुका के उनुका संस्कार से अलगा ना ले जा सकल. उहाँ के डॉ अशोक द्विवेदी जी के सपूत हईं – आ सचहूं पूत होखे त अइसने. पिता के सगरी प्रयासन के अउर ऊँचाई देत प्रगति जी भोजपुरी के अब ओह मंच पर ले आइल बानी जवन आजु के युग में सबले प्रभावी बा.
अगर एह कार्यक्रम के वीडियो अगर यूट्यूब पर डालल जाव त ऊ अउरी प्रभावी होखी. नइखीं जानत कि प्रगति जी के आगे के योजना का बा. बाकिर जवनो करब तवन भोजपुरी ला बढ़िए करब एकर पूरा भरोसा बा.
फेसबुक के ऊ लिंक हम नीचे दे रहल बानी एह चेतावनी का साथे कि अइसहीं मत चहुँपब. पूरा समय राखब. काहें कि कार्यक्रम देखे के बा त ओकरे के देखे के पड़ी ना त रुक जाई.
पाती रचना मंच पर पाती के 103वां अंक के विमोचन
हम त कविगोष्ठी छोड़ सगरी कार्यक्रम सुननीं. मन में रहुवे कि का जाने एह सगरी लोग के अंजोरियो के ईयाद आ जाव आ ओकर जिक्र कर देव लोग. बाकिर –
ऐ छूंछा, तोरा के पूछा ?
सरहला का सँगे , हुरिआवलो जरूरी होला ।
ई आयोजन जल्दी में, बिना पूर्व तइयारी के जरूर भइल । गलती हमरे बा। हम टेस्ट चेकिंग का फेर में,समय से लगाइत रूपरेखा बनावल भुला गइनी।हमरा ओतना तकनीकी जानकारी हइयो नइखे। आगा होखे वाला कार्यक्रम ठीक-ठाक होई ,ई उमेद जरूर रखले बानी।