महाकवि राधामोहन चौबे ‘अंजन’ जी के जनमदिन पर विशेष

by | Dec 5, 2023 | 0 comments

– गणेश नाथ तिवारी

आजु महाकवि राधामोहन चौबे ‘अंजन’ जी के जनमदिन ह आ ई हमार सौभाग्य रहल कि साल 2014 में अंजन जी से हमार भेंट भइल रहे. उहाँ से मिल के बहुत अच्छा लागल रहल. बहुते प्रभावित भइनी हम भोजपुरी लिखे खातिर.

अंजन जी सचहूँ अंजन रहनीं. आँखि का कोरन में तनकी भर लगा दीं – आँखि के सुन्दरता बढ़ि जाई आ आँखिन में अइसन रोशनी आई जवन जिनगी भर लवटिके वापस ना जाई. अंजन साहित्य से भोजपुरी आ हिन्दी के भंडार उहाँ के रचल 38 गो किताबन से भरल बा आ केतने किताबन के पाण्डुलिपि तइयार बा. अंजन का तरे एह धरोहर से एको लाइन के अंजन अपना मन की आँखिन का कोर पर लगवले जीवन सार्थक हो जाई, जिनिगी जिए के एगो नया अंदाज आ जाई. कवनो गाढ़ समय में होखीं, अंजन जी के एगो कवनो मुक्तक पढ़ि लीं, कवनो ना कवनो राह मिलिए जाई.

हमनीं का भगिमान बानीं कि उहाँ कऽ रचनन के पढ़तानीं आ पढ़ि-पढ़िके सिखतानीं. भोजपुरियन के एगो बट़हन मंच ‘जयभोजपुरीजय_भोजपुरिया’ का ओर से उहाँ के नमन करत प्राथना करबि कि सगरे भोजपुरिया जगत के अपना आशीर्वाद का बरखा में भिंजावत रहीं. हमनीं का त अंजन जी के अपनी आँखिन के अंजन बनवलहीं बानीं जा.

महाकवि राधामोहन चौबे अंजन जी के कुछ रचना पेश बा —

(1)

भाई के दुलार

( गंवार भाई अपना होशियार भाई के अलगा भइला के दुष्परिणाम के संकेत कर रहल बा ई कविता -)

जब-जब याद आई, भाई के दुलार तहरा,
तब-तब काटे धाई, अँगना दुआर तहरा ।।

मइया कोरा में खेलवली, जहिया झोरा में झुलवली,
अँगना एके-एक दुअरिया, घर के एके-एक डगरिया,
सपना बाबूजी के एक, हमरे बबुआ होइहें नेक,
सपना केतनो फुलइले एके डार तहरा ।। जब0।।

अलगा होके तूँ का पइबऽ, तनिका नीमन चीकन खइबऽ,
हमरा सुखल-साखल जूरी, करबि दोसरा के मजदूरी,
तहरा जूठन फेंकल जाई, हमरा आगी ना बराई,
सोचब एके अँगना दू-दू गो बेवहार तहरा ।।जब0।।

जहिया दियरी बाती आई, तहरा पाँती दिया धराई,
हमरा घर में रही अन्हार, अँखिया डूबी आँसू धार,
फगुआ हँसि-हँसि खूब मनइबऽ, पुआ संगी साथ उडइबऽ,
देखब कई रंग के एके गो तिउहार तहरा ।। जब0।।

इहे किस्मत के ह बात, बाड़ऽ पइसा ढेर कमात,
जिनगी माटी में हमार, चमकत बाटे देह तोहार,
हमरे चलते तूँ बनि गइलऽ, बनि के हमरे से तनि गइलऽ,
हँसि-हँसि ताना मारे गउवाँ जवार तहरा ।।जब0।।

करबि तहरे हम सेवकाई, लेइबि जिनगी सजी गँवाई,
मइया बाबूजी के सेवल, नइया एक साथ जे खेवल,
पालल बगिया के मति काटऽ, अँगना-दुअरा के मति बाँटऽ,
एक दिन आई फेरु बगिया में बहार तहरा ।। जब0।।

धनवा लेबऽ बहुत कमाई, नाही मिली सहोदर भाई,
तोहार मोटरी हम पहुँचाइबि, जे-जे कहबऽ टहल बजाइबि,
बाकी हमके मति बिलगावऽ, अँखियन से मति दूर भगावऽ,
उहे करबि जेइसे भरल रही संसार तहरा ।।जब0।।

(2)

काहे करेलऽ तू रोजो तकरार बबुआ
तू त बेटा हउअ गोदी के सिंगार बबुआ।

तहरे के देखि-देखि दुखवा भुलाइले
सुतेलऽ त जाग-जाग लोरी हम सुनाइले
तहके देखि-देखि करीं भिनुसार बबुआ
तू त बेटा हउअ गोदी के सिंगार बबुआ़।

छोड़ि देब चोरिया के बानि जे लगावेलऽ
काहे रोज गाँव घर से ओरहन मंगावेलऽ
आजिज कइले बाड़ऽ सगरो जवार बबुआ
तू त बेटा हउअ गोदी के सिंगार बबुआ।

करेलऽ जियान काहे सगरो बदनिया
तुहि बाड़ऽ जिनगी के हमरो निशानियां
काहे करेल इजतिया के उघार बबुआ
तू त बेटा हउअ गोदी के सिंगार बबुआ।

ढेर जे अखरखन करबऽ लाठी चकवइबऽ
गाव से जवार सजी दुश्मन बनइबऽ
परी तहरो पर कहियो कसि के मार बबुआ
तू त बेटा हउअ गोदी के सिंगार बबुआ।

अबहु से चलऽ चलि के माखन मिसिरी खा ल
ढंग आ ढूआब सीखऽ, अंजन रचा ल
केतना निमन बाड़ कान्हा तू हमार बबुआ
तू त बेटा हउअ गोदी के सिंगार बबुआ।

(3)

कागा उचरे भोर से पहुनवा
परनवा हमार आजु अइहे ।
फरकत बाटे सांझे से नयनवा
सपनवा हमार आजु अइहे ।

छने-छने झाँकेला ओसरवा के ओरी
पोरे-पोर बान्हल बा सनेहिया के डोरी ।
झाँकेला दियारखा में अयनवा
नयनवा हमार आजु अइहे ।

ढेर दिन पर पलटल बाड़े हमरे करेजउ
आवत बाड़े जियरा जुड़ाइहे मोर रजउ ।
हमरे बहुरि गइले दिनवा
बिहानवा हमार आजु अइहे ।

पहिरबि धराउ साड़ी लहंगा पुरनके
अह जह में सुगना उड़त बाटे मन के ।
बड़हन लागे आजु के बिहानवा
सुमनवा हमार आजु अइहे ।

देख चमके पगरी सीवान पर बुझाता
हालि-चलि सुबहित उनका चाल से चिन्हाता ।
अंजन रचिते सुघर नयनवा
सजनवा हमार आजु अइहे ।

(4)

हिम्मत मन में, बल बाँहिन में, यारी रहे जवानी से।
मरद उहे ह जे लड़ि जाला, आन्ही से आ पानी से।।

सागर में तूफान उठेला, झंझा भरल बयार चले ।
उड़े पाल ‘हैया-रे-हैया’ माँझी के पतवार चले ।
गरजे बादर, चमके बिजुरी, आसमान फाटे लागे ।
उड़े पाल ‘हैया-रे-हैया’ माँझी के पतवार चले ।
गरजे बादर,…

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


संस्तुति

हेल्थ इन्श्योरेंस करे वाला संस्था बहुते बाड़ी सँ बाकिर स्टार हेल्थ एह मामिला में लाजवाब बा, ई हम अपना निजी अनुभव से बतावतानी. अधिका जानकारी ला स्टार हेल्थ से संपर्क करीं.
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सुतला मे, जगला में, चेत में, अचेत में। बारी, फुलवारी में, चँवर, कुरखेत में। घूमे जाला कतहीं लवटि आवे सँझिया, चोरवा के मन बसे ककड़ी के खेत में। - संगीत सुभाष के ह्वाट्सअप से


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