मदर्स डे पर विशेष

माई हो, माई तोहार दिन कहिया?

प्रभाकर गोपालपुरिया

माई-माई कइले बाड़ऽ, अबहिन ले कहाँ रहलऽ हऽ. अब्बे न माई के दिन बीतल हऽ. पूरा संसार माई के दिन मनावल हऽ. माई के दिन क मतलब ऊ दिन जवने दिने माई के खास कर के याद कइल जाला. अब तूँ सोंचत होखबऽ कि माई के ईयादि करे खातिर एगो अलगहिं दिन काहें बनावल बा? अरे भाई केहू क लगे अब समये कहाँ बा की ऊ माई के इयादि क सको. कम से कम आजु क जुग में एही बहाने सालि में एकबेर माई के इयादि त क लेहल करऽता आदमी.

अंग्रेजी में एही के मदर्स डे कहल गइल बा भाई. कहल नइखे गइल, ए दिन के शुरुआते आपन विदेशिए भाई-बंधु कइले बा. रउआँ सभे त जानते बानी की विदेसिया भाई-बहिन अपना पैरे खड़ा होतहीं अपना माई-बाप से अलगे रहे लागेला. अरे अब त माई-बाप से अलगे रहल एगो कल्चरे हो गइल बा. अब जब हमनी जान (भारत माई के लाल) विदेसिएन भाई-बहन क कदम पर चलऽतानी जाँ अउरी अपनी माई-बाप से अलगहीं रहल ठीक समझतानी जा त एह सिचुएसन में सालि में एक बेर माई के इयादि क लिहले में कवन बुराई बा? मेहररुओ कुछु नाहीं कही सकेले, काँहे की ओकरो त अपनी माई के इयादि करे के बा! माई भले खाँसि-खाँसि के पुअरा झोंकी के खाना बनावति होखे पर आपन मेहरारू त लिपिस्टिक लगाके गैसे पर खाना बनावऽतिया. माई भले नून-तेल खातिर तरसति होखो पर आपन मेहरारू त पकउड़ी छान तिया. माई के आँखि खराब हो गइल बा अउरी टूटहो चस्मा नइखे जुरत बाकिर आपन मेहरारू फैशनवाला चश्मा त लगावतिया. ओकरा अब्बे कहाँ बुझाता की उहो एही तरे एकदिन मम्मी से माई हो जाई अउरी ओकरो लइकन कुल्हि ओकरा के सालि में एक बेर इयादि कइल करीहें.

अरे ऊ माई जबन पहिले अपनी बाबू, बबूनी के खिया नाहीं ले खाना नाहीं खात रहे. अपने भींजले में सुते अउरी बाबू-बबूनी के सुखले में सुतावे. ओहि माई के ममता क मूरति इयादि करे खातिर एगो दिन के जरूरत? का आज क समय में हमनी जान एतना आपस्वारथी हो गइल बानि जा कि माई खातिर, पुरनियन खातिर समय नइखी निकालि पावत जा ? का खालि सालि में एकदिन माई के इयादि क लेहले से माई के करजा भरा जाई? अरे माई त परेम के भुखाइलि ह, अगर ओके कबो इयादि ना कइल जाव अउरी काफी सालन की बादो खालि एतने पूछि लेहल जाव की ए माई, ते कइसन बाड़े? त ऊ आपन सारा दुख-दरद भूलि के छछना के, धधाके अपनी बचवन के हिरदय से लगा ले ले. ओहि माई खातिर मडर्स डे के औपचारिकता ?

अरे भाई! माई कवनो यादि करेवाली चीज हऽ? माई त असतित्व ह, माई त जननी ह, माई त माई ह. ऊ त अपनी बबुअन अउरी बबुनियन क रोम-रोम में बिया. सबेरे जगवले से लेकर राति खान लोरी सुना के सुतवले तक माई- माईए बिया. ओह माई के इयादी कइले से अच्छा बा की कुछु एइसन काम होखे की इ जबन कहाउत बा 'पूत कपूत हो सकेला पर माता कुमाता नाहीं हो सकेली' इ बदलि के हो जाव कि ना त पूत कपूत होला ना माता कबो कुमाता!

परिवार के मतलब खालि आपन मेहरारू अउरी लोग लइका ना, ए सब से ऊपर उठले के ताक बा. अउरी हमरी देखले में ऊ परिवार कहाँ कहाई जवनें में ना माई के पेयार होखे, ना बाबूजी के फटकार होखे, ना ईया-बाबा के साथ होखे, ना काका-काकी के दुलार होखे, ना फुआ के हाथ से कपारे पर कुचकाच होखे.

माई के इयादी कइले की संगे-संगे माई के दुख-दर्दो क समझले के कोशिश कइल जाव. परिवार के सही अरथ अउरी सबके अहमियत समझल जाव. हम सोंचतानी की माई के इयादी कइले के सबसे बढ़िया तरीका इहे बा की माई के बस माई समझल जाव. माई के बस माई समझल जाव.

माई तोर सदा जय हो!

(Posted on 10 May 2009)


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