नीक-जबून – 10 ( विमल के डायरी )
– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल बोले खातिर बोलल जब से नोकरी के शुरुआत भइल तबे से देखत आ रहल बानी. आजु तक एहमें कवनो कमी नइखे आइल, बढ़ंतिए भइल बा.…
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– डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल बोले खातिर बोलल जब से नोकरी के शुरुआत भइल तबे से देखत आ रहल बानी. आजु तक एहमें कवनो कमी नइखे आइल, बढ़ंतिए भइल बा.…
डायरी – डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल बुदबुदाई अब समय मौसम के सुगबुगाहट के पता साफ-साफ चल जाता. काल्हु तक के टेढ़ आ लरुआइल पतइयो आजु हवा का सङे घुमरी-परउआ खेले…
डायरी सरगो से नीमन बाटे सइँया के गाँव रे – डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल बसंत का आइल, गाँव के इयादि एक-एक क के ऊठत-बइठत आ सूतत खा तंग करे लागलि.…
डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल के डायरी प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ‘सेंगर’ आजु स्टाफ रूम में इंस्पेक्शन के बात एक-एक क के उघरत रहे. हमरा प्राचार्य डॉ. संजय सिंह ‘सेंगर’ जी…
डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल के डायरी बगसर बिसरत नइखे ए पारी के जाड़ा के छुट्टी के बहुत उत्साह रहे. बहुत दिन बाद, लगभग 30-31बरिस बाद…
डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल के डायरी रसियाव खाईं आ टन-टन काम करत रहीं आजु स्टाफ रूम में अपना गीत के एगो लाइन गुनगुनात रहीं- “ननदी का बोलिया में बने रसियाव…
डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल के डायरी चले दीं, प्रयोग बहे दीं धार काल्हु “ये दिल माँगे मोर” पर बहस होत रहे. हम कहलीं कि भाई ‘मोर’ का जगहा ‘और’…
डॉ. रामरक्षा मिश्र विमल के डायरी दीया-दियरी के दिन बहुरल तीन-चार दिन पहिले कपड़ा-ओपड़ा कीने खातिर निकलल रहीं जा. प्लेटफॉर्म प चढ़ते जवन लउकल, ओसे त चका गइलीं हम. जहाँ…