एल.के. प्रोडक्शन के बैनर तले बनल निर्माता कृष्णेश्वर शर्मा के फिलिम ‘खोंईछा‘ के सहनिर्मात्री ललिता शर्मा के अहम योगदान के चरचा जोर पर बा. पेश बा ललिता शर्मा से भइल बातचीत के कुछ अश :-
प्रः मैडम, इन्डस्ट्रीज में एगो मिसाल बने खातिर आपके बहुत-बहुत धन्यवाद. फिल्म निर्माण में राउर रुचि के कारण का रहल?
उः- हमार पति कृष्णेश्वर शर्मा जी के शुरूवे से कला से लगाव रहल आ जबे मौका मिलत रहल ऊ कुछ ना कुछ गुनगुनावल शुरू कर दी भा फेर कागज के पन्ना पर अपना मन के भाव उकेरल शुरू कर देत रहीं. आजुओ ई सब बदस्तूर जारी बा. आ ई या त गीत बन के सामने आइल बा भा कहानी बन के. उहाँ के हर कहानी हर गीत हम पढ़त आइल बानी. एक दिन खोंईछा के कहानी हमरा के सुनवनी आ कहनीं कि एह पर फिलिम बनावल सोचत बानी त हम हामी बड़ दिहनी आ चूंकि कहानी नारी-सशक्तिकरण के रहल से हमहूं एहमें सहभागी बन गइनी.
प्रः आखिर एह फिलिम में खास का बा जे औरत एकरा के देखे जुटीहें?
उः पुरूष प्रधान ई समाज हमेशा से नारी के अनदेखी कइले बा आ ओकरा के प्रताड़ित कइले बा. एह फिलिमो में देखावल बा कि कइसे एगो दुष्ट एगो अबला नारी पर तरह-तरह के अत्याचार करत बा आ जवना से तंग आ के ऊ अपना के सबल बना लेत बिया आ अपना बेटा के फौलाद बना देत बिया. फिलिम के ई दमदार कहानी औरतन में स्वाभिमान जगाई आ एकरा के देखे मरद मेहरारू दुनु जुटीहें.
प्र: सुनत बानी कि रउरो एह फिलिम में किरदार निभवले बानीं?
उः जी हँ. एगो छोटहन बाकिर खास किरदार निर्देशक जितेन्द्र कुमार सुमन हमरो के दिहले बाड़न एह फिलिम में. ई किरदार फिलिम के क्लाइमेक्स में बहुते बड़े राज के पर्दाफास करऽतिया बाकि ऊ राज जाने ला सिनेमाघर में जाए पड़ी.
प्र: (हँसत) हमरा से बतियावे ला बहुत बहुत धन्यवाद।
उ. (मुस्कुरात) जी! थैंक यू। शुक्रिया.
(संजय भूषण पटियाला)
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