– ओमप्रकाश अमृतांशु
जब नृत्य-संगीत के रंग में तरंग उठेला त आदमी के रोम-रोम झनझना उठेला. शास्त्रीय संगीत आ कत्थक-नृत्य के भाव-भंगिमा भलहीं आम आदमी के समझ में ओतना ना आवे बाकिर ओकरा अन्तरमन में सुरहुरी जरूर हो जाला. आंनद के भीतरी अनुभूति के साकार करे के सशक्त विद्या हउए नृत्य-संगीत. संगीत के जन्म वैदिक काल में भइल. वैदिक काल में संगीत के प्रयोग ईश्वर के अराधना-भक्ति खातिर कइल जात रहे. फेर, जइसे-जइसे समय बदलत गइल संगीत के रूप-स्वरूपो में बदलाव आवे लागल. आज हमनी के सामने जवन नृत्य-संगीत बा ओहसे सभे परिचित बा.
पिछला दिने ३१ अगस्त के सांझे से कमायनी सभगार, दिल्ली खचाखच भरल रहे. पूर्वी अंग नृत्य-संगीत के कार्यक्रम में शास्त्रीय संगीत के साथे विद्यापति के रचना, चैती, ठूमरी, बारहमासा, कजरी के रस जे छलकत रहे. गायिका मिनाक्षी जी के कंठ से शास्त्रीय संगीत आ लोक गीतन के मधुरस टपकत रहे. स्वर के जादू से सभे नजरबंद भइल रहे. हई देखीं एगो दादरा के भाव –
राधे मानऽ मोर कहनावा, चलऽ ना इठलाईके.
राधे कमर पे बल पड़ जइहें,
गिर जइबू कहीं तुहुं बिछलाइके.
सरस्वती के किरिपा जेकरा पे होखेला ओकर गायिकी अद्भूत होखेला. बारहमासा के नशा में सभे झूमल.
नई झूलनी के छईयां, बलम दूपहरिया बिताइलऽ हो.
सभे के नजर जब मिनाक्षी जी पे गड़ गइल तब गीत के भाव में आपन भावना व्यक्त कइली कि –
अब हम कइसे चलीं डगरिया, लोगवा नजर गडा़वेला.
थपरी के थपथपाहट से गूँज गइल प्रेक्षागृह आ लगातार गूँजत रहल.
कार्यक्रम के दूसरका चरण के शुरूआत भइल. अब संगीत के साथे-साथे नृत्य के मिलन होखे के समय आइल. ‘कत्थक क्वीन ऑफ इंडिया’ के नाम से नलिनी-कमलिनी के जोड़ी के कवनो मंच पे आगमन से मंच के गरिमा बढ़ जाला. अइसन साधिका जेकर रोवां-रोवां नृत्य-कला खातिर समर्पित बा. शिव अराधना से समारोह के शुरूआत भइल. स्वर गायिका नलिनी आ नृत्य भाव नलिनी-कमलिनी जी के. अइसन नजारा कि सभे नजर से नजर उतारे लागल. एही तरे गायिका ममता शर्मा के कोकिला आवाज –
घिरी-घिरी आई सावन कि बदरिया ना
बदरिया बरसे बड़ी जोर, सूझे नाहि चहूँ ओर
डर लागे मोरी सूनी बा अटरिया ना
हर भाव – हर मुद्रा संगीत के एक-एक शब्द के साथे खिलत-खिलखिलात रहे. विद्यापति के कालजयी रचना मां काली के वर्णन कत्थक के हाव-भाव में देखे के मिलल. सभे दर्शक गदगद आ मस्त होके मन हीं मन एह कला के समर्पित कलाकार के कला-आत्मा के प्रति नतमस्तक भइल.
मैथिली-भोजपुरी अकादमी, दिल्ली के ई कार्यक्रम बड़ी नीक, सफल, सार्थक आ मनमोहक लागल. उद्घाटन समारोह में उपाध्यक्ष अजीत दूबे, सचिव राजेश सचदेवा, नृत्यागंना नलिनी-कमलिनी, गायिका मिनाक्षी प्रसाद, कत्थक गुरू जीतेन्द्र महाराज सभे लोग शामिल भइल. अजीत दूबे जी स्वागत भाषण में कहलीं – ‘अकादमी मैथिली-भोजपुरी खातिर समर्पित बिया. अकादमी के त्रिमासिक पत्रिका परिछन रउरे सभे खातिर निकलत बा. पत्रिका के स्तर बढावे के काम त रउरे सभे के बा. हम मुख्य मंत्री जी के बहुत-बहुत ध्न्यवाद देत बानी जे हमनी के माटी के मोल समुझली आ मैथिली-भोजपुरी के गठन कइली. उतर प्रदेश में सबसे अधिका भोजपुरी बोलेवाला मनई लोग बा बाकिर भोजपुरी अकादमी नइखे.’
मंच संचालन शंकर कुमार झा के सराहे जोग रहल. आखिर में न्यूज रीडर रमा पाण्ड़ेय सभ कलाकार लोगन के फूल के गुलदस्ता देके सम्मानित कइली आ आभार जतवली.
मैथिली-भोजपुरी अकादमी
वाह ! वाह ! क्या बात है ?
बहुत सुनदर