कुछ दिन पहिले 9 मई का दिने हम लिखले रहीं कि एक्जिट पोल जवना पर चुनावो आयोग के बस नइखे . कारण कि तब लोकसभा चुनाव के तिसरको डेग पूरा हो गइल रहुवे आ कम मतदान प्रतिशल का नाम पर हवा बान्हे भा बिगाड़े का कोशिश में कुछ चतुर सुजान लोग बाजार के गिरावट पर लिखल शुरु कर दिहले रहल कि निवेशकन का मन में डर समा गइल बा कि पता ना भाजपा के स्पष्ट बहुमत मिल पाई कि ना. बाकिर हम उदाहरण का साथे बतवले रहीं कि बाजार के गिरावट आ उठान चलते रहेला. पता ना कब कवना बात पर चढ़ जाव, पता ना कवना बात पर गिर जाव. होखत का रहुवे कि विदेशी निवेशक जम के बिकवाली करत रहलें तब आ ओकरा के देख के कहाए लागल रहुवे कि चुनाव के अनिश्चितता के चलते विदेशी निवेशक आपन पूंजी निकालत बाड़ें.
अगर बाजार में अनिश्चितता ना रहे त बाजारे ना रहि जाई. एगो फिल्मी गीत के मुखड़ा इयाद पड़ गइल कि – “हारेगा जब कोई बाजी तभी तो होगी किसी की जीत, दोस्त यही दुनिया की रीत.” आ जब इयाद पड़िए गइल त ओह गाना के नीचे देइए देत बानी. भलहीं ऊ हिन्दी फिलिम के गीत ह.
बाजार कतनो ऊपर जाय जबले खरीदे वाला ना मिली तब ले रउरा कुछ बेवच ना पाएब, आ बाजार कतनो गिर जब ले केहू बेचे वाला ना आई रउरा खरीदब केकरा से ? बाजार के पसंगा कबो बराबर ना रहे. एक पल एने झुकी त दोसरके पल ओने झुक जाई. तबो जब बेचेवाला अधिका हो जइहें त दाम गिरे लागी आ जब खरीदे वाला अधिका हो जइहें त बाजार चढ़े लागी. एक जमाना रहुवे जब विदेशी निवेशकन के जुकाम हो जाव त हमनी के कँपकँपी समा जाव. अब हालात अइसन हो गइल बा कि हजारन करोड़ के बिकवाली का बादो बाजार हलुके फुलुका हिल डुल के रहि जात बा.
ओह दिन जब निवेशकन के कई लाख करोड़ डूब गइल रहुवे, असल में ना खाता में, त चतुर सुजान लोग बतावे लागल रहुवे कि लोकसभा चुनाव के परिणाम निवेशकन के मन मुताबिक नइखे होखे जा रहल. आ आजु उहे लोग शायद मानी कि चुनाव के पाँच डेग पूरा हो गइला का बाद बाजारो मान लिहले बा कि “आएगा तो मोदी ही !”
आजुु अइसन ना रहल कि सगरी दुनिया के बाजार तेजी ले के बन्द भइल भा तेजी में रहल. बाकिर अपना देश के बाजार जे चढ़ल शुरु कइलसि त चढ़ते चलि गइल. बिकवालन भा शार्टसेलरन के त आजु खटिया खड़े हो गइल होखी. बाकिर बाजार एह सब से विरक्त रहेला. चढ़ला पर उछाह में ना आवे आ गिरला पर उदास ना होखे. आजु घाटा भइल त का, अगिला दिन हो सकेला कि फेर बिकवालन के बन जाव. आ बाजार में उठा-पठक ना होखे त ई जे करोड़ो लोग खरीद-बेच में लाागल रहेला उनुकर का होखी !
आजु सेंसेक्स 1.61 फीसदी चढ़ के 75418 पर त निफ्टी 1.64 फीसदी चढ़ के 22967.65 पर बन्द भइल. बैंक निफ्टी 47782 से 2.06 फीसदी चढ़ के 48769 पर बन्द भइल. अब चुनाव के बस दुइए गो डेग बाकी रह गइल बा. छठवां डेग ला त आजु से प्रचारो बन्द हो गइल. अगर एकरा के देश के जनता के आम राय मान लीहल जाव त लागत बा कि जइसे बाजार अबहीं तकले के सबले शिखर पर चमकत बा ओइसहीं 4 जून का दिने राजगो के सितारा एही तरह चमकी.
बाकिर बाजार पर चरचा करत में धेयान राखे के चाहीं ऊ कहानी जवना में एगो बाप के दू गो बेटी रहल. एगो के बिआह खेती करे वाला घर में त दोसरका के बिआह ईंट भट्ठा चलावे वाला घर में हो गइल रहल. एगो आशीर्वाद मांगे कि जम के बरखो त दोसरकी मने मने देवी-देवता गोहरावे कि बरखा मत होखे ! हालांकि बाजार में इहे होला कि जब खरीदेवाला के पेट भर जाला त ऊ मुनाफावसूली करे लागेला आ बेचेवाला के बेचे खातिर निकहा भाव मिल जाला. ऊ त एही फिराक में रहेला कि ऊपर में बेचो आ नीचे में खरीदो. जबकि खरीददारन के मनसा रहेला कि नीचे में खरीदो आ ऊपर में बेचो. बाजार अइसहीं चलेला आ अइसहीं चलत रही. ओह लोग के कहना पर कान दिहला के जरूरत नइखे कि अबकी जे तिसरको बेर मोदी जीत गइलें त फेर चुनाव ना होखी !
बाजार कतनो ऊपर चढ़े. कतनो नीचे गिरे, अगिला दिने फेरु खुलबे करेला. से मोदी जीतसु भा हारसु 2029 में फेर चुनाव होखहीं के बा. राहुल आ उनुका साथियन के अबहिंए से तइयारी में लाग जाए के चाहीं. काहें कि तब हो सकेला कि भगवान उनुको सुन लेसु आ अगिला बेर एह लोग के बुलडोजर बाबा से मुकाबला करे के पड़ जाव. रउरा होखो भा ना होखे, हमरा त ओह करजीभा पर पूरा भरोसा बा कि ओकर अनेसा हमेशा साँच होला, कसम-वादा भलहीं हर बेर तूड़ देव. कहलसि कि सतेंदर जैन जेल जइहें, चल गइलन, कहलसि कि मनीष सिसोदिया जेल जइहें, चल गइलन. कहलसि कि संजय सिंह जेल जइहन, चल गइलन. कहलसि कि उहो जेल जाई, चलिये गइल. बिभवो के जेल भेजवाइए दिहलसि. अब कहले बा कि आतिशी, सौरभ, राघव, गोपाल वगैरह के बारी बा त तय मानीं कि एहू लोग के जाहीं के पड़ी काहें कि केजरीवाल के सभकर करिया चिट्ठा के जानकारी बा. अब बुलदोजर बाबा के इयाद करे लागल बा तय मान लीं कि अगिला बेर बाबा से फरियावे के पड़ी इंडी गठबन्हन वालन के.
राजनीति आ बाजार के खेल त चलते रही, चली रउरा उ गाना सुनीं जवना के चरचा हम ऊपर कइले रहीं –
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