खबर सुन के रामचेला नर्भसा गइले

by | Sep 29, 2014 | 0 comments

jayanti-pandey

– जयंती पांडेय

रामचेला बाबा लस्टमानंद के लगे अईले आ आवते नर्भसा गइले. टेंनसनिआइल तऽ पहिलहीं से रहले. तनी अस्थिर भइले तऽ बाबा पूछले, का हो का बात बा. रामचेला थूकि घोंटि के कहले- सुनलऽ हऽ रेलवे के सब इस्टेशन हवाई अड्डा के बराबर होखे जा रहल बाड़े सन.

सुनि के बाबा लस्टमानंद अकचका गइले. का हो सांचो?

हां हो.

ई मालूम भइल हऽ का कि कवन इस्टेसन कवना ग्रेड के हवाई अड्डा के दर्जा पायी. अपना गांव के लग के सरसर इस्टेशन कवना ग्रेड के के होई. अभी कुछ दिन भईल बचई पांड़े अपना बेटा के लग से आवत रहले. उहां बेटवा कहीं असाम से अउरी उत्तर पूरुब में रहेला. बतावत रहले कि ऊ हवाई अड्डा पर बइठल रहले आ कर्मचारी आ के सवाचऽ सन कि का हो बंबई जइबऽ, लोग कहे ना भाई बागडोगरा जाइब. एकदम घरउ मामला लागे. कहीं सरसरो में इहे ना होखे कि समान के जांच करे वाला कहे कि भाई लगे चूना धइले बाड़ऽ तऽ तनी सुर्ती बनावऽ ना. अब बतावऽ कि जब इस्टेसन में लगातार बिजली रही आ बत्ती जरऽत रही तऽ कातना गलतफहमी हो जाई. बुझाई ना कि गांवें बानी कि बिदेश में. अब बतावऽ कि डर हो ना हो जाई गजाधर बाबा के रेल पर चढ़ावे अइनी आ गाव छूटि गइल. बिजलीविहीनता खाली आंखिये के कष्ट ना देला ऊ तऽ मन के भी शंकाशील बना देला कि सांचों हम कहां बानी. काहे कि लोग कही अरे, दू घंटा से लाइन बा अब तऽ चलिये जाई. जे ना गइल तऽ जरूर छोटका लक्ष्कवा जेनरेटर चलावत होई, अब्बे आई डीजल के रुपिया मांग. अइसन कई तरह के व्याधि मन में शंका के पहाड़ खड़ा कऽ देला. मान लऽ होइकयो गइल तऽ का इस्टेसन के कायदा कबो एयरपोर्ट अइसन हो सकेला. आ स्टेशन के माजा कबो हवाई अड्डा दे सकेला. देस भर के स्टेशन पर चाह बिकाला. एकदम रद्दी चाह होला. दस रुपिया से कम में भेंटाला. लेकिन चाह बेचे वाला जब चकेहु चाय्य गरम- चाय्य गरम कही के बेंचेला तऽ ओकर दोसरे सुख होला. इस्टेसनन में चाह 40 रुपिया कप होला आ कतनो रद्दी होखो. अतने ना अब इस्टेसन में भीखमंगा कवना ग्रेड के होहें सन. इहो एगो प्राब्लम बा. एह पर प्रोफसर उमा बाबा कहले, काका आलू टमाटर के दाम अतना बढ़ऽता कि साधारण मोसाफिर भीखार हो जाई.


जयंती पांडेय दिल्ली विश्वविद्यालय से इतिहास में एम.ए. हईं आ कोलकाता, पटना, रांची, भुवनेश्वर से प्रकाशित सन्मार्ग अखबार में भोजपुरी व्यंग्य स्तंभ “लस्टम पस्टम” के नियमित लेखिका हईं. एकरा अलावे कई गो दोसरो पत्र-पत्रिकायन में हिंदी भा अंग्रेजी में आलेख प्रकाशित होत रहेला. बिहार के सिवान जिला के खुदरा गांव के बहू जयंती आजुकाल्हु कोलकाता में रहीलें.

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अँजोरिया के भामाशाह

अगर चाहत बानी कि अँजोरिया जीयत रहे आ मजबूती से खड़ा रह सके त कम से कम 11 रुपिया के सहयोग कर के एकरा के वित्तीय संसाधन उपलब्ध कराईं.
यूपीआई पहचान हवे -
anjoria@uboi


सहयोग भेजला का बाद आपन एगो फोटो आ परिचय
anjoria@outlook.com
पर भेज दीं. सभकर नाम शामिल रही सूची में बाकिर सबले बड़का पाँच गो भामाशाहन के एहिजा पहिला पन्ना पर जगहा दीहल जाई.


अबहीं ले 11 गो भामाशाहन से कुल मिला के छह हजार सात सौ छियासी रुपिया के सहयोग मिलल बा.


(1)
अनुपलब्ध
18 जून 2023
गुमनाम भाई जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(3)


24 जून 2023
दयाशंकर तिवारी जी,
सहयोग राशि - एगारह सौ एक रुपिया

(4)

18 जुलाई 2023
फ्रेंड्स कम्प्यूटर, बलिया
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(7)
19 नवम्बर 2023
पाती प्रकाशन का ओर से, आकांक्षा द्विवेदी, मुम्बई
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


(11)

24 अप्रैल 2024
सौरभ पाण्डेय जी
सहयोग राशि - एगारह सौ रुपिया


पूरा सूची


एगो निहोरा बा कि जब सहयोग करीं त ओकर सूचना जरुर दे दीं. एही चलते तीन दिन बाद एकरा के जोड़नी ह जब खाता देखला पर पता चलल ह.


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